गुवाहाटी : केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों को देश का पाम ऑयल हब बनाने का एलान किया है. सरकार की इस योजन का कांग्रेस ने पुरजोर विरोध किया है. असम से कांग्रेस सांसद प्रद्युत बोरदोलोई ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर इस योजना पर चिंता जताई है.
पूर्वोत्तर राज्यों को पाम ऑयल हब के रूप में बदलने की योजना का विरोध करते हुए बोरदोलोई ने कहा कि वे खाद्य तेल आयात पर देश की निर्भरता को कम करने की सरकार की योजना की सराहना करते हैं. लेकिन, सरकार को पर्यावरण से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस योजना पूर्वोत्तर क्षेत्र की जैव विविधता नष्ट हो सकती है.
इस विषय पर विशेषज्ञों का हवाला देते हुए उन्होंने पत्र में कहा कि आय सृजन के साधन के रूप में पाम ऑयल की खेती अल्पावधि के लिए फायदेमंद हो सकती है, लेकिन यह लंबे समय के लिए ठीक नहीं है.
बोरदोलोई ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा कि मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे कुछ दक्षिण एशियाई देशों में पाम ऑयल की खेती का दुष्प्रभाव देखा जा चुका है. इसकी खेती से न केवल जैव विविधता प्रभावित होती है, बल्कि अत्यधिक रसायन के प्रयोग से धरती के बंजर होने का भी खतरा होता है. पाम ऑयल की खेती के कारण भूगर्भ जलस्तर भी काफी तेजी से नीचे जाता है.
बोरदोलोई ने कहा कि पाम ऑयल की खेती शुरू करने से पहले एक वैज्ञानिक अध्ययन करने की जरूरत है, इस पर जोर देते हुए बोरदोलोई ने कहा कि इससे छोटे और सीमांत किसान भी प्रभावित होंगे. इससे पहले भी 1980 में बड़ी संख्या में तेल-पाम की खेती के प्रस्तावों को पारिस्थितिक आपदाओं की संभावना के लिए अस्वीकार कर दिया गया था.
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गौरतलब है कि इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा अगले पांच वर्ष में राष्ट्रीय खाद्य तेल-तेल पाम (एनएमईओ-ओपी) मिशन के जरिये 11,040 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इससे पूर्वोत्तर के राज्य देश के पाम तेल केन्द्र में बदल जाएंगे.