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देश में 2020 में सांप्रदायिक और धार्मिक दंगों के मामले लगभग दोगुने: एनसीआरबी

एनसीआरबी ने कहा कि कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान 25 मार्च, 2020 से 31 मई 2020 तक देश में पूर्ण लॉकडाउन लागू था और इस अवधि में सार्वजनिक स्थलों पर आवाजाही 'बेहद सीमित' थी.

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Published : Sep 18, 2021, 7:12 AM IST

Updated : Sep 18, 2021, 1:00 PM IST

एनसीआरबी ने जारी किया बयान
एनसीआरबी ने जारी किया बयान

नई दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार 2020 में सांप्रदायिक या धार्मिक दंगों के मामले 2019 की तुलना में लगभग दोगुने हो गए जबकि देश में पिछले साल कोविड-19 महामारी संबंधी प्रतिबंधों की वजह से बाहरी गतिविधियां 'बेहद सीमित' थीं. केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बताया कि देश में 2020 में सांप्रदायिक और धार्मिक दंगों के 857 मामले दर्ज किए गए.

रिपोर्ट के अनुसार 2019 में ऐसे मामलों की संख्या राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 438 थी जबकि 2018 में ऐसे मामलों की संख्या 512 थी.

रिपोर्ट में एनसीआरबी ने कहा कि कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान 25 मार्च, 2020 से 31 मई 2020 तक देश में पूर्ण लॉकडाउन लागू था और इस अवधि में सार्वजनिक स्थलों पर आवाजाही 'बेहद सीमित' थी. देश में पिछले साल जनवरी और फरवरी में संशोधित नागरिकता कानून को लेकर कई प्रदर्शन हुए और उत्तरपूर्वी दिल्ली में दंगे हुए.

रोज 80 लोगों का मर्डर

गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले एनसीआरबी (NCRB) के आंकड़ों पर एक नजर डालें तो पता चला कि कोरोना महामारी से प्रभावित साल 2020 में अपराध के मामलों में 2019 की तुलना में 28 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. साल 2020 में रोज औसतन 80 हत्याएं हुईं और कुल आंकड़ा 29,193 पहुंच गया. इस मामले में राज्यों की सूची में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है. यह ऐसे समय में था जब 25 मार्च 2020 से 31 मई 2020 तक कोविड-19 महामारी के कारण देश में लॉकडाउन था.

सबसे ज्यादा रेप के मामले राजस्थान से

पूरे देश में 2020 में बलात्कार के रोज औसतन 77 मामले दर्ज किए गए और कुल 28,046 मामले सामने आए. देश में ऐसे सबसे ज्यादा मामले राजस्थान में और दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए. पिछले साल पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 3,71,503 मामले दर्ज किए गए जो 2019 में 4,05,326 थे और 2018 में 3,78,236 थे.

कोरोना काल में नियमों के उल्लंघन के ज्यादा मामले

साल 2020 में दर्ज किए गए कुल अपराधों में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188 के तहत लोक सेवकों द्वारा लागू व्यवस्था का उल्लंघन करने के मामले काफी ज्यादा थे. इस साल कुल 66,01,285 अपराध दर्ज किए गए जिसमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत 42,54,356 मामले और विशेष एवं स्थानीय कानून (एसएलएल) के तहत 23,46,929 मामले दर्ज किए गए. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि अपहरण के मामलों में 2019 की तुलना में 2020 में 19 प्रतिशत की कमी आई है. 2020 में अपहरण के 84,805 मामले दर्ज किए गए जबकि 2019 में 1,05,036 मामले दर्ज किए गए थे. इसकी एक बड़ी वजह लॉकडाउन और घर से बाहर न निकलना माना जा सकता है.

दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध घटे

राष्ट्रीय राजधानी में 2019 की तुलना में 2020 में कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के बाद महिलाओं के खिलाफ अपराध करीब 25 फीसद घट गए. NCRB के अनुसार शहर में 2020 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 10,093 दर्ज किए गए जबकि उससे एक साल पहले इस तरह के 13,395 मामले सामने आए थे, यानी 2019 की तुलना में 2020 में महिलाओं के खिलाफ 24.65 फीसद अपराध कम हुए. 2020 में यहां महिलाओं के अपहरण के 2938, बलात्कार के प्रयास के 9 और बलात्कार या सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या का एक मामला दर्ज किया गया.

नई दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार 2020 में सांप्रदायिक या धार्मिक दंगों के मामले 2019 की तुलना में लगभग दोगुने हो गए जबकि देश में पिछले साल कोविड-19 महामारी संबंधी प्रतिबंधों की वजह से बाहरी गतिविधियां 'बेहद सीमित' थीं. केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बताया कि देश में 2020 में सांप्रदायिक और धार्मिक दंगों के 857 मामले दर्ज किए गए.

रिपोर्ट के अनुसार 2019 में ऐसे मामलों की संख्या राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 438 थी जबकि 2018 में ऐसे मामलों की संख्या 512 थी.

रिपोर्ट में एनसीआरबी ने कहा कि कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान 25 मार्च, 2020 से 31 मई 2020 तक देश में पूर्ण लॉकडाउन लागू था और इस अवधि में सार्वजनिक स्थलों पर आवाजाही 'बेहद सीमित' थी. देश में पिछले साल जनवरी और फरवरी में संशोधित नागरिकता कानून को लेकर कई प्रदर्शन हुए और उत्तरपूर्वी दिल्ली में दंगे हुए.

रोज 80 लोगों का मर्डर

गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले एनसीआरबी (NCRB) के आंकड़ों पर एक नजर डालें तो पता चला कि कोरोना महामारी से प्रभावित साल 2020 में अपराध के मामलों में 2019 की तुलना में 28 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. साल 2020 में रोज औसतन 80 हत्याएं हुईं और कुल आंकड़ा 29,193 पहुंच गया. इस मामले में राज्यों की सूची में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर है. यह ऐसे समय में था जब 25 मार्च 2020 से 31 मई 2020 तक कोविड-19 महामारी के कारण देश में लॉकडाउन था.

सबसे ज्यादा रेप के मामले राजस्थान से

पूरे देश में 2020 में बलात्कार के रोज औसतन 77 मामले दर्ज किए गए और कुल 28,046 मामले सामने आए. देश में ऐसे सबसे ज्यादा मामले राजस्थान में और दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए. पिछले साल पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 3,71,503 मामले दर्ज किए गए जो 2019 में 4,05,326 थे और 2018 में 3,78,236 थे.

कोरोना काल में नियमों के उल्लंघन के ज्यादा मामले

साल 2020 में दर्ज किए गए कुल अपराधों में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188 के तहत लोक सेवकों द्वारा लागू व्यवस्था का उल्लंघन करने के मामले काफी ज्यादा थे. इस साल कुल 66,01,285 अपराध दर्ज किए गए जिसमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत 42,54,356 मामले और विशेष एवं स्थानीय कानून (एसएलएल) के तहत 23,46,929 मामले दर्ज किए गए. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि अपहरण के मामलों में 2019 की तुलना में 2020 में 19 प्रतिशत की कमी आई है. 2020 में अपहरण के 84,805 मामले दर्ज किए गए जबकि 2019 में 1,05,036 मामले दर्ज किए गए थे. इसकी एक बड़ी वजह लॉकडाउन और घर से बाहर न निकलना माना जा सकता है.

दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध घटे

राष्ट्रीय राजधानी में 2019 की तुलना में 2020 में कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के बाद महिलाओं के खिलाफ अपराध करीब 25 फीसद घट गए. NCRB के अनुसार शहर में 2020 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 10,093 दर्ज किए गए जबकि उससे एक साल पहले इस तरह के 13,395 मामले सामने आए थे, यानी 2019 की तुलना में 2020 में महिलाओं के खिलाफ 24.65 फीसद अपराध कम हुए. 2020 में यहां महिलाओं के अपहरण के 2938, बलात्कार के प्रयास के 9 और बलात्कार या सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या का एक मामला दर्ज किया गया.

Last Updated : Sep 18, 2021, 1:00 PM IST
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