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गोरखनाथ मंदिर में CM योगी ने की अपनों से मुलाकात, कालू और गौरी-गंगा के साथ बिताया समय - गोरखनाथ मंदिर के मेला

अपने चार दिवसीय दौरे पर गोरखपुर पहुंचे सीएम योगी ने आज गोरखनाथ मंदिर में अपनों के बीच रहकर होली का त्योहार मनाए. वहीं, इस दौरान मंदिर में जो भी शुभेच्छु पहुंचे उनसे उन्होंने मुलाकात की. हालांकि प्रतिदिन की दिनचर्या के क्रम में मुख्यमंत्री ने अपने पालतू कुत्ते कालू और गौशाला में जाकर गौरी-गंगा गायों के बीच समय बिताया.

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Published : Mar 18, 2022, 1:18 PM IST

गोरखपुर: यूपी चुनाव में फतह करने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री व गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ (up cm yogi adityanath) गुरुवार को अपने चार दिवसीय दौरे पर गोरखपुर पहुंचे. इस दौरान वो गुरुवार की शाम को होलिका दहन उत्सव में प्रह्लाद की शोभायात्रा में शामिल हुए व मौके पर मौजूद लोगों को संबोधित किए. वहीं, शुक्रवार यानी आज के दिन उन्होंने गोरखनाथ मंदिर में अपनों के बीच रहकर होली का त्योहार मनाया. इस बीच मंदिर में जो भी शुभेच्छु पहुंचे उनसे योगी आदित्यनाथ ने मुलाकात की. हालांकि प्रतिदिन की दिनचर्या के क्रम में मुख्यमंत्री ने अपने पालतू कुत्ते कालू और गौशाला में जाकर गौरी-गंगा गायों के बीच समय बिताया.

मंदिर प्रबंधन व जिला प्रशासन के अनुसार योगी आदित्यनाथ आज दिन में किसी भी समय चिड़ियाघर जा सकते हैं. लेकिन इसकी पुष्टि आधिकारिक तौर पर नहीं हुई है. माना जा रहा है कि सीएम योगी के प्रयास से असम से गोरखपुर चिड़ियाघर में जो नर और मादा प्रजाति के "हर-गौरा" गैंडा यहां लाए गए हैं योगी उन्हें देखने पहुंच सकते हैं. वहीं, असम से आए गैंडे को लेकर सीएम योगी बहुत ही उत्साहित थे, जो अब गोरखपुर चिड़ियाघर में जोड़े के रूप में पहुंच चुके हैं. प्रदेश में गोरखपुर चिड़ियाघर पहला ऐसा चिड़ियाघर है, जहां पर नर-मादा दोनों ही गैंडे हैं. जबकि पूरे प्रदेश में कुल 5 ही गैंडे विभिन्न चिड़ियाघरों में मौजूद हैं.

वीडियो

पढ़ें : होली की धूम! राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत गणमान्य हस्तियों ने दीं शुभकामनाएं

बता दें कि योगी आदित्यनाथ कल यानी शनिवार की सुबह गोरखनाथ मंदिर के मेला परिसर में जलाई गई होलिका दहन की राख से साधु-संतों और अपने मौजूद लोगों को तिलक करने के बाद राख उड़ाकर घंटाघर चौक से निकलने वाली भगवान नरसिंह की शोभायात्रा में बतौर नेतृत्वकर्ता शामिल होंगे. यह यात्रा शहर के दर्जनों मोहल्लों से होते हुए फिर घंटाघर पर आकर समाप्त होगी. यह शोभायात्रा सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बनती है. जिसमें मुस्लिम समाज के लोग भी फूलों की वर्षा करते हैं. योगी इस यात्रा का नेतृत्व पिछले 24 वर्षों से करते चले आ रहे हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद भी यह परंपरा टूटी नहीं है. सिर्फ कोरोनाकाल में इसका आयोजन नहीं हुआ था.

गोरखपुर: यूपी चुनाव में फतह करने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री व गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ (up cm yogi adityanath) गुरुवार को अपने चार दिवसीय दौरे पर गोरखपुर पहुंचे. इस दौरान वो गुरुवार की शाम को होलिका दहन उत्सव में प्रह्लाद की शोभायात्रा में शामिल हुए व मौके पर मौजूद लोगों को संबोधित किए. वहीं, शुक्रवार यानी आज के दिन उन्होंने गोरखनाथ मंदिर में अपनों के बीच रहकर होली का त्योहार मनाया. इस बीच मंदिर में जो भी शुभेच्छु पहुंचे उनसे योगी आदित्यनाथ ने मुलाकात की. हालांकि प्रतिदिन की दिनचर्या के क्रम में मुख्यमंत्री ने अपने पालतू कुत्ते कालू और गौशाला में जाकर गौरी-गंगा गायों के बीच समय बिताया.

मंदिर प्रबंधन व जिला प्रशासन के अनुसार योगी आदित्यनाथ आज दिन में किसी भी समय चिड़ियाघर जा सकते हैं. लेकिन इसकी पुष्टि आधिकारिक तौर पर नहीं हुई है. माना जा रहा है कि सीएम योगी के प्रयास से असम से गोरखपुर चिड़ियाघर में जो नर और मादा प्रजाति के "हर-गौरा" गैंडा यहां लाए गए हैं योगी उन्हें देखने पहुंच सकते हैं. वहीं, असम से आए गैंडे को लेकर सीएम योगी बहुत ही उत्साहित थे, जो अब गोरखपुर चिड़ियाघर में जोड़े के रूप में पहुंच चुके हैं. प्रदेश में गोरखपुर चिड़ियाघर पहला ऐसा चिड़ियाघर है, जहां पर नर-मादा दोनों ही गैंडे हैं. जबकि पूरे प्रदेश में कुल 5 ही गैंडे विभिन्न चिड़ियाघरों में मौजूद हैं.

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बता दें कि योगी आदित्यनाथ कल यानी शनिवार की सुबह गोरखनाथ मंदिर के मेला परिसर में जलाई गई होलिका दहन की राख से साधु-संतों और अपने मौजूद लोगों को तिलक करने के बाद राख उड़ाकर घंटाघर चौक से निकलने वाली भगवान नरसिंह की शोभायात्रा में बतौर नेतृत्वकर्ता शामिल होंगे. यह यात्रा शहर के दर्जनों मोहल्लों से होते हुए फिर घंटाघर पर आकर समाप्त होगी. यह शोभायात्रा सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बनती है. जिसमें मुस्लिम समाज के लोग भी फूलों की वर्षा करते हैं. योगी इस यात्रा का नेतृत्व पिछले 24 वर्षों से करते चले आ रहे हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद भी यह परंपरा टूटी नहीं है. सिर्फ कोरोनाकाल में इसका आयोजन नहीं हुआ था.

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