रायगढ़: ऐतिहासिक रामलीला मैदान में गुरुवार को तीन दिवसीय राष्ट्रीय रामायण महोत्सव की शुरुआत हो गई है. यह तीन दिवसीय आयोजन 3 जून तक चलेगा. कार्यक्रम में सीएम भूपेश बघेल भी शामिल हुए. असम, गोवा, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तराखंड सहित इंडोनेशिया और कंबोडिया की टीमों ने मार्च पास्ट किया.
अरण्यकांड की थीम पर मंच: राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का मुख्य मंच रामायण के अरण्य कांड की थीम पर सजा है. पर्णकुटी से यह मंच सजाया गया है. रामायण ऐसा महाकाव्य है, जिसने सांस्कृतिक रूप से गहरा प्रभाव दक्षिण पूर्वी एशियाई द्वीपों पर छोड़ा है. भारत का गहरा संबंध इन द्वीपों से रहा है. यह संबंध सांस्कृतिक के साथ ही व्यापारिक तौर पर भी रहा है. सैकड़ों बरसों बाद भी आज यह सांस्कृतिक संबंध कायम हैं.
पहले दिन का कार्यक्रम: कंबोडिया के कलाकारों की प्रस्तुति होगी. वहीं अंतरराज्यीय रामायण मंडलियों के बीच अरण्यकांड पर आधारित प्रतियोगिता के क्रम में उत्तराखंड, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ की टीम का परफार्मेंस होगा.
सीएम ने बताया भगवान राम के साथ छत्तीसगढ़ का रिश्ता: सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि "हमने महोत्सव का नाम भले ही राष्ट्रीय रामायण महोत्सव दिया है लेकिन यहां विदेशों के दल भी हैं. हमारा छत्तीसगढ़ माता कौशल्या और शबरी माता का प्रदेश है. यह सदियों से निवास कर रहे आदिवासियों, वनवासियों का प्रदेश है. हमारा रिश्ता वनवासी राम के साथ ही कौशल्या के राम से भी है, इसलिए वे हमारे भांजे हैं. यही वजह है कि हम भांजों का पैर छूते हैं."
"छत्तीसगढ़ का कुछ न कुछ अंश भगवान राम के चरित्र में देखने को मिलता है. हमारा रिश्ता राम से केवल वनवासी राम का नहीं है. बल्कि हमारा रिश्ता शबरी के राम, कौशल्या के राम के रूप में भी है. तीन साल से हम लोग राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव का आयोजन कर रहे हैं. उनकी संस्कृति के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं. उनके घोटुल, देवगुड़ी को संरक्षित कर रहे हैं. राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन पहली बार शासकीय रूप से किया जा रहा है." -भूपेश बघेल, सीएम छत्तीतसगढ़
भगवान राम साकार भी हैं और निराकार भी: सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि "राम को मानने वाले उन्हें दोनों स्वरूप में मानने वाले हैं. हमारा प्रयास हमारी संस्कृति, हमारे खानपान, हमारे तीज-त्यौहारों को आगे बढ़ाने का है. मैंने देखा कि रामनामी संप्रदाय के भाइयों ने मार्चपास्ट किया. जो कबीर का रास्ता है, रामनामी का रास्ता है, वो निराकार का रास्ता है. सबके अपने-अपने राम हैं. अपनी संस्कृति को संरक्षित करने का काम हम लोग कर रहे हैं. हमारे गांव-गांव में भी रामकथा के दल बने हैं. राम सबके हैं. निषादराज के हैं, शबरी के हैं. सब उनमें आत्मीयता महसूस करते हैं. दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर हमने तीर्थ स्थलों के लिए 2 एकड़ जमीन मांगी है ताकि हमारे भक्त वहां जाएं तो उन्हें सुविधा मिले."
आयोजन पर ये बोले अतिथिगण: गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत राम सुंदर दास ने कहा कि "आज गौ माता की सेवा के लिए प्रदेशभर में गौठान चल रहे हैं. संस्कृति और परंपरा के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए काम हो रहा है." उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि "इस तरह का कार्यक्रम आदरणीय मुख्यमंत्री जी की पहल से हो रहा है, जो अभूतपूर्व है." पूर्व सांसद नंदकुमार साय ने भूपेश सरकार को गरीबों के लिए काम करने वाली सरकार बताया.
इन जगहों पर पड़े थे प्रभु राम के पांव: छत्तीसगढ़ में ऐसी 9 पुण्यभूमि हैं, जो राम वनगमन परिपथ में शामिल हैं. सीतामढ़ी हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (अंबिकापुर), शिवरी नारायण (जांजगीर चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर) और रामाराम (सुकमा) से होकर प्रभु श्रीराम गुजरे थे. दंडक वन में हुई इन घटनाओं को वाल्मीकि रामायण और इसके बाद अनेक भाषाओं में लिखी गई रामायण में अंकित किया गया है.
दूसरे दिन इन दलों के बीच होगी प्रतियोगिता: पहले दिन यानी 1 जून को अरण्य कांड पर उत्तराखंड, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ के दलों के बीच प्रतियोगिता होगी. दूसरे दिन झारखंड, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, ओडिशा, असम, हिमाचल प्रदेश, गोवा और छत्तीसगढ़ के बीच प्रतियोगिता होगी. अंतिम दिन समापन समारोह में विजेता दलों को पुरस्कृत किया जाएगा.
रामलीला मैदान पहुंचने से पहले सीएम भूपेश बघेल रायगढ़ कलेक्ट्रेट पहुंचे और छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा का अनावरण किया. इतना ही नहीं सीएम ने 465 कारोड़ के विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण भी किया. इस दौरान खाद्य मंत्री अमरजीत भगत और उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल भी मौजूद रहे.