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जलवायु परिवर्तन : स्वास्थ्य जोखिमों से कैसे निपटा जा सकता है? - पश्चिमी अफ्रीका

WRI की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि नीति निर्माताओं को स्वास्थ्य प्रणालियों की क्षमताओं को मजबूत करना चाहिए, ताकि वे जलवायु परिवर्तन के भविष्य के प्रभावों से निपटने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित हों.

जलवायु परिवर्तन
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Published : Jun 6, 2021, 8:14 PM IST

हैदराबाद : 2020 से पूरी दुनिया का ध्यान कोविड-19 पर केंद्रित है. ऐसे में मानव स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन (climate change) के प्रभाव को पहचानना भी महत्वपूर्ण हो गया है. इसका एक उदाहरण वायु प्रदूषण है, जो हर साल 4.2 मिलियन लोगों की जान लेता है, या बढ़ते तापमान से जुड़ी प्राकृतिक आपदाएं भी इसका उदाहरण हो सकती हैं.

WRI की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि कैसे देश अपनी राष्ट्रीय जलवायु और स्वास्थ्य रणनीतियों में जलवायु परिवर्तन स्वास्थ्य जोखिमों को शामिल कर सकते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि नीति निर्माताओं को स्वास्थ्य प्रणालियों की क्षमताओं को मजबूत करना चाहिए, ताकि वे जलवायु परिवर्तन के भविष्य के प्रभावों से निपटने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित हों.

जलवायु परिवर्तन
स्वास्थ्य जोखिमों से जलवायु परिवर्तन कैसे संबधित है

एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण, 2050 तक पश्चिमी अफ्रीका (Western Africa) में अतिरिक्त 51.3 मिलियन लोगों को मलेरिया ( malaria) के संपर्क में आने का खतरा होगा.

ये बदलाव दुख को बढ़ा सकते हैं, देशों पर बीमारी का बोझ (burdens of disease) बढ़ा सकते हैं और महामारी का कारण बन सकते हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) का अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर होने वाली बीमारी और विकलांगता का छठा हिस्सा बेर्न बीमारियों (vector-borne diseases) के कारण होता है.

जीवन और आजीविका के लिए बढ़ा जोखिम

उच्च तापमान (Higher temperatures ) और चरम घटनाएं (extreme events) - जैसे तीव्र वर्षा (intense rainfall) , मजबूत चक्रवात (stronger cyclones ) और भूस्खलन का बढ़ता जोखिम - शारीरिक चोटों, जल प्रदूषण, श्रम उत्पादकता में कमी और मानसिक तनाव जैसे चिंता, अवसाद और तनाव विकारों का कारण बन सकता है.

गर्म मौसम और अधिक तीव्र गर्मी की लहरें लोगों के काम करने और स्वस्थ रहने की क्षमता को कम कर देती हैं. एक ऐसा वातावरण जो बहुत गर्म और आर्द्र (humid) होता है, जिससे मानव शरीर के लिए पसीना आना असंभव हो जाता है और इससे अधिक गर्मी और मृत्यु हो सकती है.

पढ़ें - अपने पूरे गांव और खानदान को राजभवन में ले आए हैं 'अंकल जी' : महुआ मोइत्रा

सामाजिक असमानताओं का अधिक जोखिम

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव विशेष रूप से सबसे कमजोर लोगों द्वारा महसूस किए जाते हैं, जिनमें गरीबी में रहने वाले लोग, हाशिए पर रहने वाले या सामाजिक रूप से बहिष्कृत (socially excluded), महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और वे जो पहले से ही बीमार हैं या विकलांगता के साथ जी रहे हैं. पर्याप्त समर्थन और वित्त पोषण के बिना (Without adequate support and funding), कमजोर समूहों को स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से सबसे अधिक नुकसान होता रहेगा.

हैदराबाद : 2020 से पूरी दुनिया का ध्यान कोविड-19 पर केंद्रित है. ऐसे में मानव स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन (climate change) के प्रभाव को पहचानना भी महत्वपूर्ण हो गया है. इसका एक उदाहरण वायु प्रदूषण है, जो हर साल 4.2 मिलियन लोगों की जान लेता है, या बढ़ते तापमान से जुड़ी प्राकृतिक आपदाएं भी इसका उदाहरण हो सकती हैं.

WRI की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि कैसे देश अपनी राष्ट्रीय जलवायु और स्वास्थ्य रणनीतियों में जलवायु परिवर्तन स्वास्थ्य जोखिमों को शामिल कर सकते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि नीति निर्माताओं को स्वास्थ्य प्रणालियों की क्षमताओं को मजबूत करना चाहिए, ताकि वे जलवायु परिवर्तन के भविष्य के प्रभावों से निपटने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित हों.

जलवायु परिवर्तन
स्वास्थ्य जोखिमों से जलवायु परिवर्तन कैसे संबधित है

एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण, 2050 तक पश्चिमी अफ्रीका (Western Africa) में अतिरिक्त 51.3 मिलियन लोगों को मलेरिया ( malaria) के संपर्क में आने का खतरा होगा.

ये बदलाव दुख को बढ़ा सकते हैं, देशों पर बीमारी का बोझ (burdens of disease) बढ़ा सकते हैं और महामारी का कारण बन सकते हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) का अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर होने वाली बीमारी और विकलांगता का छठा हिस्सा बेर्न बीमारियों (vector-borne diseases) के कारण होता है.

जीवन और आजीविका के लिए बढ़ा जोखिम

उच्च तापमान (Higher temperatures ) और चरम घटनाएं (extreme events) - जैसे तीव्र वर्षा (intense rainfall) , मजबूत चक्रवात (stronger cyclones ) और भूस्खलन का बढ़ता जोखिम - शारीरिक चोटों, जल प्रदूषण, श्रम उत्पादकता में कमी और मानसिक तनाव जैसे चिंता, अवसाद और तनाव विकारों का कारण बन सकता है.

गर्म मौसम और अधिक तीव्र गर्मी की लहरें लोगों के काम करने और स्वस्थ रहने की क्षमता को कम कर देती हैं. एक ऐसा वातावरण जो बहुत गर्म और आर्द्र (humid) होता है, जिससे मानव शरीर के लिए पसीना आना असंभव हो जाता है और इससे अधिक गर्मी और मृत्यु हो सकती है.

पढ़ें - अपने पूरे गांव और खानदान को राजभवन में ले आए हैं 'अंकल जी' : महुआ मोइत्रा

सामाजिक असमानताओं का अधिक जोखिम

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव विशेष रूप से सबसे कमजोर लोगों द्वारा महसूस किए जाते हैं, जिनमें गरीबी में रहने वाले लोग, हाशिए पर रहने वाले या सामाजिक रूप से बहिष्कृत (socially excluded), महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और वे जो पहले से ही बीमार हैं या विकलांगता के साथ जी रहे हैं. पर्याप्त समर्थन और वित्त पोषण के बिना (Without adequate support and funding), कमजोर समूहों को स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से सबसे अधिक नुकसान होता रहेगा.

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