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सिविल न्यायाधीश ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय में अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी

हरिद्वार की बर्खास्त सिविल न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) दीपाली शर्मा ने मंगलवार को उच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में दावा किया है कि मामले में जांच करने वाले अधिकारी उनके खिलाफ पूर्वाग्रही थे.

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Published : Aug 11, 2021, 8:00 PM IST

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नैनीताल : अपने आवास पर घरेलू कामकाज करने वाली एक नाबालिग लड़की को कथित रूप से यातना देने के आरोप में पिछले साल पदच्युत सिविल न्यायाधीश ने अपनी बर्खास्तगी को चुनौती देते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है.

हरिद्वार की बर्खास्त सिविल न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) दीपाली शर्मा ने मंगलवार को उच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में दावा किया है कि मामले में जांच करने वाले अधिकारी उनके खिलाफ पूर्वाग्रही थे. पद पर बहाल करने की प्रार्थना करते हुए बर्खास्त सिविल न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें मामले में अपना पक्ष रखने के लिए उचित मौका नहीं मिला.

उल्लेखनीय है कि जांच रिपोर्ट के आधार पर उन्हें पिछले साल अक्टूबर में बर्खास्त कर दिया गया था. दीपाली पर आरोप था कि उन्होंने अपने घर में घरेलू कामकाज करने वाली 13 वर्षीय लड़की को यातनाएं दी थीं. याचिका पर अभी सुनवाई होनी है.

ये है मामला

हरिद्वार की तत्कालीन सिविल जज दीपाली शर्मा पर एक नाबालिग लड़की को अपने आवास पर रखने और उसका शारीरिक-मानसिक शोषण करने का आरोप लगा था. छापे की कार्रवाई में बालिका उनके घर पर बरामद हुई थी. आरोपों की पुष्टि भी हुई थी. जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था. मामले में सिडकुल थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था. मामले में उच्च न्यायालय की फुल बेंच ने दीपाली शर्मा की सेवाएं समाप्त करने का संकल्प पारित किया था, जिस पर शासन ने कार्रवाई की.

किशोरी के शरीर पर कई चोट के निशान

उस वक्त के जिला जज राजेंद्र सिंह चौहान तत्कालीन एसएसपी किशन कुमार वीके, एडीजे अमरिंदर सिंह वहां मौजूद थे. जिला जज की मौजूदगी में ही जिला अस्पताल में किशोरी का मेडिकल परीक्षण हुआ था, जिसमें उसके शरीर पर चोटों के 20 निशान पाए गए थे. उस वक्त एएसपी रचिता जुयाल की ओर से सिडकुल थाने में जज दीपाली शर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था. मामले में सीओ कनखल रहे मनोज कात्याल ने दीपाली शर्मा के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी.

नैनीताल : अपने आवास पर घरेलू कामकाज करने वाली एक नाबालिग लड़की को कथित रूप से यातना देने के आरोप में पिछले साल पदच्युत सिविल न्यायाधीश ने अपनी बर्खास्तगी को चुनौती देते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है.

हरिद्वार की बर्खास्त सिविल न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) दीपाली शर्मा ने मंगलवार को उच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में दावा किया है कि मामले में जांच करने वाले अधिकारी उनके खिलाफ पूर्वाग्रही थे. पद पर बहाल करने की प्रार्थना करते हुए बर्खास्त सिविल न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें मामले में अपना पक्ष रखने के लिए उचित मौका नहीं मिला.

उल्लेखनीय है कि जांच रिपोर्ट के आधार पर उन्हें पिछले साल अक्टूबर में बर्खास्त कर दिया गया था. दीपाली पर आरोप था कि उन्होंने अपने घर में घरेलू कामकाज करने वाली 13 वर्षीय लड़की को यातनाएं दी थीं. याचिका पर अभी सुनवाई होनी है.

ये है मामला

हरिद्वार की तत्कालीन सिविल जज दीपाली शर्मा पर एक नाबालिग लड़की को अपने आवास पर रखने और उसका शारीरिक-मानसिक शोषण करने का आरोप लगा था. छापे की कार्रवाई में बालिका उनके घर पर बरामद हुई थी. आरोपों की पुष्टि भी हुई थी. जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था. मामले में सिडकुल थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था. मामले में उच्च न्यायालय की फुल बेंच ने दीपाली शर्मा की सेवाएं समाप्त करने का संकल्प पारित किया था, जिस पर शासन ने कार्रवाई की.

किशोरी के शरीर पर कई चोट के निशान

उस वक्त के जिला जज राजेंद्र सिंह चौहान तत्कालीन एसएसपी किशन कुमार वीके, एडीजे अमरिंदर सिंह वहां मौजूद थे. जिला जज की मौजूदगी में ही जिला अस्पताल में किशोरी का मेडिकल परीक्षण हुआ था, जिसमें उसके शरीर पर चोटों के 20 निशान पाए गए थे. उस वक्त एएसपी रचिता जुयाल की ओर से सिडकुल थाने में जज दीपाली शर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था. मामले में सीओ कनखल रहे मनोज कात्याल ने दीपाली शर्मा के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी.

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