नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने अधिकतम प्रवासी श्रमिकों को राशन सुनिश्चित करने का राज्य सरकारों को तौर-तरीके तैयार करने का निर्देश देते हुए बृहस्पतिवार को कहा, हमारे विकास करने के बावजूद लोग भूख से मर रहे हैं. न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न की पीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यह कहा. उल्लेखनीय है कि मामले में साल 2020 में मई महीने में शीर्ष न्यायालय ने प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं और दशा का संज्ञान लिया था.
पीठ ने कहा, प्रत्येक राज्य में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को अवश्य ही इसका लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए कि वे कितनी संख्या में राशन कार्ड पंजीकृत करने जा रहे हैं. इस पर स्थानीय स्तर पर काम करना होगा. क्योंकि हर राज्य की अपनी खुद की अर्हता है. अवश्य ही एक निर्धारित अर्हता होनी चाहिए. न्यायमूर्ति नागरत्न ने मौखिक टिप्पणी में कहा, अंतिम लक्ष्य यह है कि भारत में कोई नागरिक भूख से नहीं मरे. दुर्भाग्य से यह (भुखमरी से होने वाली मौतें) हमारे विकास करने के बावजूद हो रही हैं.
यह भी पढ़ें: देश में चार करोड़ से ज्यादा मामले लंबित, SC में 72 हजार केस
न्यायाधीश ने कहा, लोग भूख से और भोजन के अभाव के चलते मर रहे हैं. उन्होंने कहा कि गांवों में, लोगों ने भूख से समझौता कर लिया है. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि वह विषय पर कुछ आदेश जारी करेगा और दो हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेगा.
अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप छोकर नाम के तीन नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने न्यायालय में याचिका दायर कर केंद्र और राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था कि प्रवासी श्रमिकों के लिए खाद्य सुरक्षा, नकद अंतरण और अन्य कल्याणकारी उपाय किए जाएं.
यह भी पढ़ें: कोविड के दौरान ईसीआर देशों से 4,23,559 भारतीय प्रवासी कामगार वापस आए : केंद्र
याचिका में उन प्रवासी श्रमिकों का जिक्र किया गया है, जिन्होंने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में कर्फ्यू और लॉकडाउन के दौरान संकट का सामना किया.