ETV Bharat / bharat

सरकार के खिलाफ शिकायत के लिए नागरिकों को 'तड़ीपार' नहीं किया सकता : हाईकोर्ट

गुजरात उच्च न्यायालय ने सीएए विरोधी प्रदर्शन के आयोजक के खिलाफ पुलिस के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि नागरिकों को उनकी शिकायत करने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. इस आधार पर उन्हें 'तड़ीपार' भी नहीं किया जा सकता है.

Citizens
Citizens
author img

By

Published : Aug 27, 2021, 3:34 PM IST

Updated : Aug 27, 2021, 7:27 PM IST

अहमदाबाद : हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति परेश उपाध्याय ने अहमदाबाद पुलिस द्वारा 39 वर्षीय कार्यकर्ता कलीम सिद्दीकी के खिलाफ जारी एक आदेश को रद्द कर दिया है.

दरअसल, पिछले साल नवंबर में जारी किए गए निष्कासन आदेश के अनुसार सिद्दीकी को एक वर्ष की अवधि के लिए अहमदाबाद, गांधीनगर, खेड़ा और मेहसाणा जिलों में प्रवेश करने से रोक दिया गया था. सिद्दीकी ने तब उच्च न्यायालय में आदेश को चुनौती दी थी.

दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ आंदोलन से प्रेरित होकर सिद्दीकी और कुछ अन्य लोगों ने पिछले साल जनवरी और मार्च के बीच राखियाल इलाके में धरना-प्रदर्शन किया था.

शहर की पुलिस ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए अज्ञात व्यक्तियों के प्राथमिकी दर्ज की थी. पुलिस ने दावा किया था कि सिद्दीकी भी भीड़ का हिस्सा थे. इसी आधार पर सिद्दीकी के 'तड़ीपार' का आदेश जारी किया गया.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जहां तक ​​दिसंबर 2019 की दूसरी प्राथमिकी का संबंध है, यह अज्ञात व्यक्तियों की भीड़ के खिलाफ थी जो एनआरसी/सीएए पर सरकार की नीति के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. याचिकाकर्ता को उक्त भीड़ में से एक बताया गया है.

यह भी पढ़ें-नए आईटी रूल्स को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस

न्यायमूर्ति उपाध्याय ने कहा कि एक नागरिक को सरकार के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए सजा नहीं दी जा सकती. याचिकाकर्ता को राहत देते हुए अदालत ने यह भी नोट किया कि अहमदाबाद पुलिस द्वारा अपने निर्वासन आदेश में उल्लिखित दो प्राथमिकी में से सिद्दीकी को 2018 में दर्ज मामले में पहले ही बरी कर दिया गया था.

अहमदाबाद : हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति परेश उपाध्याय ने अहमदाबाद पुलिस द्वारा 39 वर्षीय कार्यकर्ता कलीम सिद्दीकी के खिलाफ जारी एक आदेश को रद्द कर दिया है.

दरअसल, पिछले साल नवंबर में जारी किए गए निष्कासन आदेश के अनुसार सिद्दीकी को एक वर्ष की अवधि के लिए अहमदाबाद, गांधीनगर, खेड़ा और मेहसाणा जिलों में प्रवेश करने से रोक दिया गया था. सिद्दीकी ने तब उच्च न्यायालय में आदेश को चुनौती दी थी.

दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ आंदोलन से प्रेरित होकर सिद्दीकी और कुछ अन्य लोगों ने पिछले साल जनवरी और मार्च के बीच राखियाल इलाके में धरना-प्रदर्शन किया था.

शहर की पुलिस ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए अज्ञात व्यक्तियों के प्राथमिकी दर्ज की थी. पुलिस ने दावा किया था कि सिद्दीकी भी भीड़ का हिस्सा थे. इसी आधार पर सिद्दीकी के 'तड़ीपार' का आदेश जारी किया गया.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जहां तक ​​दिसंबर 2019 की दूसरी प्राथमिकी का संबंध है, यह अज्ञात व्यक्तियों की भीड़ के खिलाफ थी जो एनआरसी/सीएए पर सरकार की नीति के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. याचिकाकर्ता को उक्त भीड़ में से एक बताया गया है.

यह भी पढ़ें-नए आईटी रूल्स को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस

न्यायमूर्ति उपाध्याय ने कहा कि एक नागरिक को सरकार के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए सजा नहीं दी जा सकती. याचिकाकर्ता को राहत देते हुए अदालत ने यह भी नोट किया कि अहमदाबाद पुलिस द्वारा अपने निर्वासन आदेश में उल्लिखित दो प्राथमिकी में से सिद्दीकी को 2018 में दर्ज मामले में पहले ही बरी कर दिया गया था.

Last Updated : Aug 27, 2021, 7:27 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.