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छत्तीसगढ़ में ईसाई धर्मांतरण सिर्फ राजनीतिक मुद्दा: अरुण पन्नालाल - छत्तीसगढ़ में फिर उठा धर्मांतरण का मुद्दा

छत्तीसगढ़ में ईसाई धर्मांतरण (Christian conversion in Chhattisgarh) मुद्दा एक बार फिर गरमाया हुआ है. नारायणपुर जिले (Narayanpur district) में करीब 14 गांवों के ईसाईयों ने ग्रामीणों पर गंभीर आरोप लगाए और नारायणपुर कलेक्ट्रेट में धरना देकर हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की है. वहीं सर्व आदिवासी समाज ने भी दो टूक कहा है कि हमारे रीति रिवाजों, परंपरा को कोई छेड़ेगा तो उसे हम नहीं छोड़ेग. इस मुद्दे पर 23 दिसंबर को भूपेश बघेल ने भी ईसाई समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की है. ईसाई समाज के प्रदेश अध्यक्ष अरुण पन्नालाल के मुताबिक '' धर्मांतरण धार्मिक मुद्दा नहीं है और ना ही सामाजिक मुद्दा है. यह सिर्फ राजनीतिक मुद्दा है, जिसे समय-समय पर भड़काया जाता है. सभी अपने धर्म का प्रचार करने के लिए स्वतंत्र हैं.'' उनका यह भी आरोप है कि सरकार संवैधानिक दायरे के अंदर काम नहीं कर रही है.conversion issue

Tribal Area Bastar
छत्तीसगढ़ में ईसाई समुदाय
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Published : Dec 30, 2022, 9:22 PM IST

छत्तीसगढ़ में ईसाई धर्मांतरण का मुद्दा

रायपुर: छत्तीसगढ़ में ईसाई समाज की कितनी जनसंख्या है? धर्मांतरण के किस तरह के मामले आ रहे हैं? ईसाई समाज से जुड़े लोगों का क्या कहना है? क्या प्रदेश में धर्मांतरण हो रहा है? या फिर सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के चलते यह मुद्दा उठाया जा रहा है. इन सारे सवालों का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता प्रवीण कुमार सिंह ने ईसाई समाज के प्रदेश अध्यक्ष अरुण पन्नालाल से खास बातचीत की.special conversation with arun pannalal

सवाल : छत्तीसगढ़ में ईसाई समाज की क्या स्थिति है?

जवाब: छत्तीसगढ़ में ईसाई समाज (Christian Society in Chhattisgarh) की तीन प्रमुख उपधारा है. पहला रोमन कैथोलिक का चर्च (Roman Catholic Church) है. दूसरा मेनलाइन प्रोटेस्टेंट चर्च (Mainline Protestant Church) और तीसरा पैराचर्च(Parachurch). पैरा चर्च गांव में काम करते हैं और इंडिपेंडेंट रहते हैं. यह संस्थागत चर्च नहीं है. यह हमारा मेन स्ट्रक्चर है. कैथोलिक चर्च इंस्टीट्यूशन, स्कूल, हॉस्पिटल चलाते हैं और बड़े बड़े रिलीफ कैंप चलाते हैं. मेनलाइन प्रोटेस्टेंट चर्च का काम बहुत ज्यादा नहीं है. वह अपने में ही खुश रहते हैं. तीसरा वर्ग Parachurch सबसे बड़ा वर्ग है. इसे हम अनऑर्गेनाइज चर्च (unorganized church) कह सकते हैं. Parachurch में सिंगल आदमी रहता है. वह गांव में रहकर मानवता की सेवा करता है. Christian conversion in Chhattisgarh

सवाल : छत्तीसगढ़ में ईसाई समुदाय की जनसंख्या कितनी है?

जवाब : यदि जनसंख्या की बात की जाए तो 2018 चुनाव के दौरान हमने इंटरनल अलग अलग जगहों की जनगणना की है. हर विधानसभा क्षेत्र का हमारे पास डाटा है. हम लोगों ने पिछले चुनाव में काफी प्रभावित किया था. 2 लाख 25 हजार के आसपास रोमन कैथोलिक की पापुलेशन पूरे छत्तीसगढ़ (Roman Catholic Population in Chhattisgarh) में थी. Mainline Protestant Church के करीब 1 लाख 25 हजार अनुयायी मिले. Parachurch से जुड़े करीब 9 लाख वोटर्स हैं. पिछले चुनाव में हमने सभी से एक तरफा वोटिंग कराया था.Christian conversion in Chhattisgarh

सवाल : टोटल आपकी जनसंख्या की बात की जाए तो कितनी होगी और कितने विधानसभा में आपका हस्तक्षेप है?

जवाब : टोटल की बात की जाए तो 12 लाख 75 हजार ईसाई समुदाय इस समय छत्तीसगढ़ (Christian Population in Chhattisgarh) में निवासरत है. विधानसभा में हस्तक्षेप की बात की जाए तो अंबिकापुर की 4 सीट पर 100% ईसाई वोट बैंक का असर देखने को मिलता है. उसमें रायगढ़ भी आता है. प्रभावित करने वाले विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो आदिवासी क्षेत्र बस्तर (Tribal Area Bastar) भी आता है. वहां 12 सीटों में जो भी खड़े होते हैं, उस पर अनुमानित 10 हजार से लेकर 70 हजार तक वोटर हैं. जगदलपुर में 70 हजार वोटर हैं. सुकमा में 25000 वोटर हैं. छत्तीसगढ़ में 8 विधानसभा सीट ऐसी हैं, जहां हमारी संख्या कम है या वहां पर चर्च भी नहीं है. इनको यदि छोड़ दिया जाए तो पूरे प्रदेश में अधिकतर सीटों पर हमारी सहभागिता होती है. इस तरह कुल प्रदेश की अंबिकापुर की चार, Bastar की 12 सीटें मिला ली जाए तो 16 सीटों पर ईसाई समाज का जबरदस्त हस्तक्षेप है.

सवाल : आपके पास बस्तर से ज्यादा सीटें हैं. अब Bastar से ही धर्मांतरण के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं, इसकी क्या वजह है?

जवाब : मैं शासन प्रशासन सहित आम जनता से पूछना चाहता हूं कि धर्मांतरण का मुद्दा (conversion issue) सिर्फ चुनाव के समय ही सामने आता है. 20 सालों से वहां पर ईसाई समाज के लोग रह रहे हैं. आदिवासी समाज के लोग रह रहे हैं. आपस में मिलजुल कर रहे हैं. उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. जैसे ही चुनाव करीब आता है, यह मुद्दा आ जाता है. वहां 10 महीने पहले से नरसंहार चालू हो गया है. 1000 परिवार विस्थापित हो गया है. यह धार्मिक मुद्दा नहीं है और ना ही सामाजिक मुद्दा है. यह सिर्फ राजनीतिक मुद्दा है, जिसे समय-समय पर भड़काया जाता है.

सवाल : आदिवासी समाज के द्वारा पत्थर, पहाड़ को पूजा जाता है लेकिन क्या आप लोग उन्हें चर्च बुलाते हैं और उन्हें ईसाई समाज में आने के लिए प्रेरित करते हैं ?

जवाब : हम प्रेरित करते हैं या नहीं करते हैं, यह बेमानी है. सबसे पहली बात है अनुच्छेद 25 में अधिकार है कि कोई भी अपने धर्म का प्रचार कर सकता है और वह कर रहा है. जहां तक रही बात धर्मांतरण की तो वह अधिकार कलेक्टर का होता है, बाकी कोई धर्मांतरण नहीं कर सकता है. कलेक्टर के पास हमने आरटीआई लगाया तो वहां पर बताया गया कि यहां पर एक भी धर्मांतरण नहीं हुआ है. जब हमारे पास कोई धर्मांतरण का मामला ही नहीं है, सरकार बोल रही थी मामला नहीं हुआ, हम बोल रहे हैं नहीं हुआ है, हम किसकी बात मानें. conversion issue

सवाल : धर्मांतरण की बात कहां से सामने आ रही है ? conversion का विरोध क्यों किया जा रहा है?

जवाब : अब वहां पर प्रतिरोध शुरू हुआ है. उसकी वजह बता दूं. वहां एक ऐसा वर्ग है, जो बहुत सक्रिय है. वह सब आदिवासियों को हिंदू घोषित करना चाह रहा है. उनका ध्यान भटकाने के लिए उस काम में आंच ना आए इसलिए सारे आरोप ईसाई समाज पर लगाए जा रहे हैं. हकीकत यह है कि आज देवगुड़ी (Devgudi of Bastar) के ऊपर मंदिर बन रहा है. यदि आदिवासी विरोध करते तो वह अपने देवगुड़ी, गौठान या जहां उनकी सामाजिक जगह होती है, वहां विरोध करते. लेकिन आज सारे आदिवासियों को मंदिरों में इकट्ठा किया जाता है. शीतला मंदिर में पुराने विधायक आते हैं, भड़काऊ भाषण देते हैं, यह मंदिर का खेल है.

सवाल : आप लोग भी चर्च में आदिवासी समाज सहित अन्य लोगों को बुलाकर अपनी जानकारी सूचना और धर्म का प्रचार करते हैं इसी तर्ज पर दूसरे लोग भी करते हैं तो इसमें आपत्ति किस बात की है?

जवाब : मुझे इससे कोई एतराज नहीं है. लेकिन जब आप भड़काऊ भाषण देंगे, उस पर ऐतराज है. हर समाज अपना काम करे, उसमें कोई ऐतराज की बात नहीं है. लेकिन उसको ऐसा रंग पहनाते हैं कि ईसाई लोग ही अपराधी हैं. आज की स्थिति में आदिवासी समाज हिंदू बनने का भी उतना ही विरोध कर रहा है, जितना ईसाई बनने का विरोध कर रहा है. हकीकत यह है कि ईसाई कोई बन नहीं रहा है. क्योंकि वहां ना कोई मैनलाइन चर्च है, ना ही कैथोलिक चर्च है, जहां धर्मांतरण होता हो. पैरा चर्च की बात की जाए तो एक आदमी जाता है, वह दुआ प्रार्थना कर अपने घर वापस चला जाता है. कुछ लोगों को चंगाई मिलती है तो वह रेगुलर चर्च जाने लगते हैं. वहां ना धर्मांतरण के लिए एप्लीकेशन देते हैं, ना ही वो हमारे किसी तरीके को फॉलो करते हैं. यदि वह चर्च जा रहा है तो उसमें आपत्ति किस बात की है. उसे आपने धर्मांतरण की श्रेणी में कैसे रख दिया. हमारे ऊपर जो मारपीट हो रही है, वह चिंताजनक है. पूरे शांति के माहौल को डिस्टर्ब करने का काम किया जा रहा है.

सवाल: लगातार मारपीट के मामले सामने आ रहे हैं, एफआईआर दर्ज हो रहे हैं. ऐसे में सरकार के रुख को आप किस तरीके से देखते हैं?

जवाब : हमारे ऊपर पिछले 3 साल में 380 हमले हुए हैं, उसमें एक या दो FIR ही नाम मात्र की हुई है. हमारी कोई FIR नहीं लिखी जाती. उल्टा जो लोग हम पर प्रताड़ना करते हैं, उनको प्रोत्साहित किया जाता है. हाल की बात की जाए तो बेलूर थाना में हड्डी टूट गई, सिर फूट गया, जबड़ा टूट गया, लहूलुहान हो गए, 2 गर्भवती महिलाओं के पेट में लात मारी गई, उनकी स्थिति चिंताजनक थी. हमने उन्हें दूसरे स्टेट शिफ्ट कर दिया है. उन पर धारा 294 लगाई गई. जिसका मतलब होता है गाली गलौज. क्या गाली गलौज में उनकी हड्डी टूट गई , घर ध्वस्त हो गया , पूरा घर मकान लूट लिया गया? यह सरकार उनको समर्थन दे रही है. सरकार संवैधानिक दायरे के अंदर काम नहीं कर रही है. यह राजनीति से प्रभावित होकर के काम कर रही है, यह मेरा आरोप है. इसके हमारे पास पुख्ता सबूत हैं.

सवाल : यदि आपके साथ मारपीट होती है तो क्या थानों में उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी जाती है?

जवाब : गोलापल्ली थाने की बात की जाए तो जब रिपोर्ट दर्ज कराने गए तो पुलिस वालों ने शिकायतकर्ता के साथ मारपीट की, जिसकी याचिका हमने सुप्रीम कोर्ट में लगाई. वहां टीआई बैठकर थानेदारों को बोलकर सब को पिटवा रहा है. उसका वीडियो हमारे पास है. जिन लोगों के द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराई गई, उन्हें अरेस्ट करने के लिए सरकार हेलीकॉप्टर भेज रही है. ईसाई समाज इतना बड़ा अपराधी हो गया कि हमारे पीछे हेलीकॉप्टर दौड़ाया जा रहा है.

सवाल : क्या माना जाए कि धर्मांतरण की स्क्रिप्ट सरकार के द्वारा तैयार की जा रही है?

जवाब : जी हां इसकी स्क्रिप्ट सरकार तैयार कर रही है. इसके हमारे पास लिखित प्रमाण हैं. पुलिस का काम होता है, कोई अपराध हो रहा है तो उसकी जांच करें और एफआईआर दर्ज करें. सुकमा एसपी ने आज से 2 साल पहले फतवा जारी कर दिया. कोर्ट का भी काम कर लिया, हाईकोर्ट का काम भी कर लिया और हमको अपराधी बना दिया. पुलिस ने वहां पर यह बोल दिया कि हम धर्मांतरण के आरोपी हैं. पुलिस के पास इसके क्या अधिकार हैं? एसपी ने किया है, वह चिट्ठी आज तक वापस नहीं हुई , जिसकी याचिका हमने सुप्रीम कोर्ट में लगाई है. पहले हाईकोर्ट में लगाई थी. हाईकोर्ट ने हमारी बात नहीं सुनी. यदि पुलिस कोर्ट का भी काम करने लगे, हमारे पास आवाज भी ना हो, यह अपने प्रदेश के लिए चिंताजनक बात है.

सवाल : आप का आरोप है कि सरकार के संरक्षण में यह सब हो रहा है ?

जवाब : हमारे पास लिखित प्रमाण है कि सरकार के द्वारा प्रायोजित हिंदू धर्म में आदिवासियों को कन्वर्ट करने के षड्यंत्र में सरकार भी शामिल है. आज किस्ताराम थाने में आम मारपीट के मामले को लेकर थानेदार ने जो दोनों पक्ष को बुलाया और उसमें समझौतानामा किया गया है, उसकी कॉपी मेरे पास है. इसमें उन्होंने एक तरफ लिखा ईसाई आदिवासी और दूसरी तरफ हिंदू आदिवासी. यह उनकी मंशा को दर्शाता है. वह सीधा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ बोला है कि किसी आदिवासी का धर्म नहीं होता. ऐसे में सरकार उनको हिंदू आदिवासी कैसे घोषित कर रही है, यह चिंताजनक है.Christian conversion in Chhattisgarh

सवाल : क्या आपने इन बातों की शिकायत राज्यपाल से की है?

जवाब : हमारे द्वारा उनको विस्तृत जानकरी दी गई है. सारे डॉक्यूमेंट दिए गए हैं. वीडियो, फोटोग्राफ और स्टेटमेंट दिया गया है. उनसे मिलने का समय मांगा गया है. हो सकता है बहुत ज्यादा व्यस्त होने की वजह से समय नहीं दिया है, लेकिन हम उनसे गुहार लगाएंगे. एक दो दिनों में फिर से हमारा प्रतिनिधिमंडल वहां जाएगा, समय मांगेगा. यदि उसके बाद भी समय नहीं मिलेगा तो जो भी प्रजातांत्रिक, संवैधानिक कार्यवाही होगी, धरना प्रदर्शन, कोर्ट वह सब ईसाई समाज कर रहा है और करता रहेगा.Christian conversion in Chhattisgarh

सवाल : आरक्षण का मुद्दा प्रदेश में गरमाया हुआ है इसे आप लोग किस रूप में देखते हैं ?

जवाब : यह मेरा व्यक्तिगत मानना है. इसका समाज से कोई लेना-देना नहीं है कि अब आरक्षण की मानसिकता से बाहर निकलना चाहिए. दूसरी बात आरक्षण को हर समय राजनीतिक फायदा उठाने के नाम से किया जाता है. वास्तविक तौर पर आरक्षण का हमारे किसी भी पिछड़े वर्ग और जरूरतमंदों को नहीं मिल रहा है. यह मैं दावे के साथ कह सकता हूं. मैं भी गोंड समाज से आता हूं, मैं भी जानता हूं कि आरक्षण का लाभ हमें नहीं मिलता है. इतना ही नहीं जब सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बोल दिया गया है कि 50% से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता, ऐसे में आप 76% घोषित करके क्या करना चाह रहे हैं. यह सब भड़काने की राजनीति है. यहां से पब्लिक खुश हो जाएगी. 76 प्रतिशत आरक्षण दे दिया गया. कल कोई सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा देगा. वह आरक्षण सुप्रीम कोर्ट वापस कर देगा. वापस हम उसी स्थान पर आ जाएंगे. आज राष्ट्रपति मुर्मू जी ने भी चिंता जाहिर की है कि जो वंचित वर्ग है, उस तक न्याय नहीं पहुंच रहा है.Christian conversion in Chhattisgarh

सवाल : चुनावी साल है सभी तरह के हथकंडे अपनाए जाएंगे. ऐसे में धर्मांतरण के मुद्दे से आप लोग कैसे निपटेंगे ?

जवाब : हमारे समाज ने इस बार मन बना लिया है कि यदि कोई अच्छा जमीनी स्तर पर बदलाव नहीं दिखा तो रणनीति अपनाई जाएगी. हम भाजपा और कांग्रेस दोनों से तंग हैं. कांग्रेस के साथ हम 70 साल से खड़े रहे और वह लोग बहुत हल्के में हमको ले रहे हैं. इनको शायद 12 लाख वोट की जरूरत नहीं है. हम उनका भी आदर करते हैं, आज हमारी ऐसी स्थिति है कि हम किसी भी गांव में जाएं तो हजारों लोग नाम सुनकर खड़े हो जाते हैं. उसे लखमा जी भी जानते हैं. हमारे चर्च में आए थे. उनके नाम से महज 300- 400 लोग उठे थे. जब हम लोग पहुंचे तो 10000 लोग इकट्ठा हो गए. हमारी फॉलोइंग वहां पर है. जो गैर आदिवासी समाज है, वह भी हमसे सहानुभूति रखता है. गैर आदिवासी समाज कई जगहों में भड़काऊ भाषण और पैसे के लालच में आकर भले हमसे आज मारपीट कर रहा है पर आदिवासी समाज आपस में एक दूसरे को समझता है. आदिवासी समाज ये सोच रहे हैं कि ईसाई को पिटवा देंगे तो सारे आदिवासी वोट किसी एक पार्टी को मिल जाएगा, इस मुखालफत से बाहर आएं.Christian conversion in Chhattisgarh

सवाल : आपने पैसे का लालच दिए जाने का आरोप लगाने की बात कही है आरोप आप पर भी लगते रहे हैं फ्री में अन्य सुविधाएं मुहैया कराते हैं ?

जवाब : यह बहुत अच्छी बात है. आरोप लगना भी चाहिए तभी तो यह गणतंत्र है लेकिन आरोप पुख्ता भी होने चाहिए. उसमें हमको सजा भी होना किसी का पकड़ा जाना यह भी बहुत आवश्यक है. खाली आरोप लगाकर एक विचारधारा बना देना, यह गलत है. आपको बता दूं कि साल 1950 से लेकर आज तक एक भी हमारा आदमी कभी पैसा बांटते हुए नहीं पकड़ा गया , ना उसके ऊपर कोई मुकदमा चला और ना ही उस को दोषी ठहराया गया है, यह सब क्या दर्शाता है? धर्मांतरण सिर्फ राजनीतिक मुद्दा है और उसके अलावा कुछ नहीं और यह राजनीति में ही रहे तो अच्छा है लेकिन इसे धर्म को लाकर के पूरे देश को बर्बाद करने की कशिश की जा रही है. चाहे वह मुस्लिम धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म को ला रहे हैं, यह दुर्भाग्यजनक है.Christian conversion in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में ईसाई धर्मांतरण का मुद्दा

रायपुर: छत्तीसगढ़ में ईसाई समाज की कितनी जनसंख्या है? धर्मांतरण के किस तरह के मामले आ रहे हैं? ईसाई समाज से जुड़े लोगों का क्या कहना है? क्या प्रदेश में धर्मांतरण हो रहा है? या फिर सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के चलते यह मुद्दा उठाया जा रहा है. इन सारे सवालों का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता प्रवीण कुमार सिंह ने ईसाई समाज के प्रदेश अध्यक्ष अरुण पन्नालाल से खास बातचीत की.special conversation with arun pannalal

सवाल : छत्तीसगढ़ में ईसाई समाज की क्या स्थिति है?

जवाब: छत्तीसगढ़ में ईसाई समाज (Christian Society in Chhattisgarh) की तीन प्रमुख उपधारा है. पहला रोमन कैथोलिक का चर्च (Roman Catholic Church) है. दूसरा मेनलाइन प्रोटेस्टेंट चर्च (Mainline Protestant Church) और तीसरा पैराचर्च(Parachurch). पैरा चर्च गांव में काम करते हैं और इंडिपेंडेंट रहते हैं. यह संस्थागत चर्च नहीं है. यह हमारा मेन स्ट्रक्चर है. कैथोलिक चर्च इंस्टीट्यूशन, स्कूल, हॉस्पिटल चलाते हैं और बड़े बड़े रिलीफ कैंप चलाते हैं. मेनलाइन प्रोटेस्टेंट चर्च का काम बहुत ज्यादा नहीं है. वह अपने में ही खुश रहते हैं. तीसरा वर्ग Parachurch सबसे बड़ा वर्ग है. इसे हम अनऑर्गेनाइज चर्च (unorganized church) कह सकते हैं. Parachurch में सिंगल आदमी रहता है. वह गांव में रहकर मानवता की सेवा करता है. Christian conversion in Chhattisgarh

सवाल : छत्तीसगढ़ में ईसाई समुदाय की जनसंख्या कितनी है?

जवाब : यदि जनसंख्या की बात की जाए तो 2018 चुनाव के दौरान हमने इंटरनल अलग अलग जगहों की जनगणना की है. हर विधानसभा क्षेत्र का हमारे पास डाटा है. हम लोगों ने पिछले चुनाव में काफी प्रभावित किया था. 2 लाख 25 हजार के आसपास रोमन कैथोलिक की पापुलेशन पूरे छत्तीसगढ़ (Roman Catholic Population in Chhattisgarh) में थी. Mainline Protestant Church के करीब 1 लाख 25 हजार अनुयायी मिले. Parachurch से जुड़े करीब 9 लाख वोटर्स हैं. पिछले चुनाव में हमने सभी से एक तरफा वोटिंग कराया था.Christian conversion in Chhattisgarh

सवाल : टोटल आपकी जनसंख्या की बात की जाए तो कितनी होगी और कितने विधानसभा में आपका हस्तक्षेप है?

जवाब : टोटल की बात की जाए तो 12 लाख 75 हजार ईसाई समुदाय इस समय छत्तीसगढ़ (Christian Population in Chhattisgarh) में निवासरत है. विधानसभा में हस्तक्षेप की बात की जाए तो अंबिकापुर की 4 सीट पर 100% ईसाई वोट बैंक का असर देखने को मिलता है. उसमें रायगढ़ भी आता है. प्रभावित करने वाले विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो आदिवासी क्षेत्र बस्तर (Tribal Area Bastar) भी आता है. वहां 12 सीटों में जो भी खड़े होते हैं, उस पर अनुमानित 10 हजार से लेकर 70 हजार तक वोटर हैं. जगदलपुर में 70 हजार वोटर हैं. सुकमा में 25000 वोटर हैं. छत्तीसगढ़ में 8 विधानसभा सीट ऐसी हैं, जहां हमारी संख्या कम है या वहां पर चर्च भी नहीं है. इनको यदि छोड़ दिया जाए तो पूरे प्रदेश में अधिकतर सीटों पर हमारी सहभागिता होती है. इस तरह कुल प्रदेश की अंबिकापुर की चार, Bastar की 12 सीटें मिला ली जाए तो 16 सीटों पर ईसाई समाज का जबरदस्त हस्तक्षेप है.

सवाल : आपके पास बस्तर से ज्यादा सीटें हैं. अब Bastar से ही धर्मांतरण के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं, इसकी क्या वजह है?

जवाब : मैं शासन प्रशासन सहित आम जनता से पूछना चाहता हूं कि धर्मांतरण का मुद्दा (conversion issue) सिर्फ चुनाव के समय ही सामने आता है. 20 सालों से वहां पर ईसाई समाज के लोग रह रहे हैं. आदिवासी समाज के लोग रह रहे हैं. आपस में मिलजुल कर रहे हैं. उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. जैसे ही चुनाव करीब आता है, यह मुद्दा आ जाता है. वहां 10 महीने पहले से नरसंहार चालू हो गया है. 1000 परिवार विस्थापित हो गया है. यह धार्मिक मुद्दा नहीं है और ना ही सामाजिक मुद्दा है. यह सिर्फ राजनीतिक मुद्दा है, जिसे समय-समय पर भड़काया जाता है.

सवाल : आदिवासी समाज के द्वारा पत्थर, पहाड़ को पूजा जाता है लेकिन क्या आप लोग उन्हें चर्च बुलाते हैं और उन्हें ईसाई समाज में आने के लिए प्रेरित करते हैं ?

जवाब : हम प्रेरित करते हैं या नहीं करते हैं, यह बेमानी है. सबसे पहली बात है अनुच्छेद 25 में अधिकार है कि कोई भी अपने धर्म का प्रचार कर सकता है और वह कर रहा है. जहां तक रही बात धर्मांतरण की तो वह अधिकार कलेक्टर का होता है, बाकी कोई धर्मांतरण नहीं कर सकता है. कलेक्टर के पास हमने आरटीआई लगाया तो वहां पर बताया गया कि यहां पर एक भी धर्मांतरण नहीं हुआ है. जब हमारे पास कोई धर्मांतरण का मामला ही नहीं है, सरकार बोल रही थी मामला नहीं हुआ, हम बोल रहे हैं नहीं हुआ है, हम किसकी बात मानें. conversion issue

सवाल : धर्मांतरण की बात कहां से सामने आ रही है ? conversion का विरोध क्यों किया जा रहा है?

जवाब : अब वहां पर प्रतिरोध शुरू हुआ है. उसकी वजह बता दूं. वहां एक ऐसा वर्ग है, जो बहुत सक्रिय है. वह सब आदिवासियों को हिंदू घोषित करना चाह रहा है. उनका ध्यान भटकाने के लिए उस काम में आंच ना आए इसलिए सारे आरोप ईसाई समाज पर लगाए जा रहे हैं. हकीकत यह है कि आज देवगुड़ी (Devgudi of Bastar) के ऊपर मंदिर बन रहा है. यदि आदिवासी विरोध करते तो वह अपने देवगुड़ी, गौठान या जहां उनकी सामाजिक जगह होती है, वहां विरोध करते. लेकिन आज सारे आदिवासियों को मंदिरों में इकट्ठा किया जाता है. शीतला मंदिर में पुराने विधायक आते हैं, भड़काऊ भाषण देते हैं, यह मंदिर का खेल है.

सवाल : आप लोग भी चर्च में आदिवासी समाज सहित अन्य लोगों को बुलाकर अपनी जानकारी सूचना और धर्म का प्रचार करते हैं इसी तर्ज पर दूसरे लोग भी करते हैं तो इसमें आपत्ति किस बात की है?

जवाब : मुझे इससे कोई एतराज नहीं है. लेकिन जब आप भड़काऊ भाषण देंगे, उस पर ऐतराज है. हर समाज अपना काम करे, उसमें कोई ऐतराज की बात नहीं है. लेकिन उसको ऐसा रंग पहनाते हैं कि ईसाई लोग ही अपराधी हैं. आज की स्थिति में आदिवासी समाज हिंदू बनने का भी उतना ही विरोध कर रहा है, जितना ईसाई बनने का विरोध कर रहा है. हकीकत यह है कि ईसाई कोई बन नहीं रहा है. क्योंकि वहां ना कोई मैनलाइन चर्च है, ना ही कैथोलिक चर्च है, जहां धर्मांतरण होता हो. पैरा चर्च की बात की जाए तो एक आदमी जाता है, वह दुआ प्रार्थना कर अपने घर वापस चला जाता है. कुछ लोगों को चंगाई मिलती है तो वह रेगुलर चर्च जाने लगते हैं. वहां ना धर्मांतरण के लिए एप्लीकेशन देते हैं, ना ही वो हमारे किसी तरीके को फॉलो करते हैं. यदि वह चर्च जा रहा है तो उसमें आपत्ति किस बात की है. उसे आपने धर्मांतरण की श्रेणी में कैसे रख दिया. हमारे ऊपर जो मारपीट हो रही है, वह चिंताजनक है. पूरे शांति के माहौल को डिस्टर्ब करने का काम किया जा रहा है.

सवाल: लगातार मारपीट के मामले सामने आ रहे हैं, एफआईआर दर्ज हो रहे हैं. ऐसे में सरकार के रुख को आप किस तरीके से देखते हैं?

जवाब : हमारे ऊपर पिछले 3 साल में 380 हमले हुए हैं, उसमें एक या दो FIR ही नाम मात्र की हुई है. हमारी कोई FIR नहीं लिखी जाती. उल्टा जो लोग हम पर प्रताड़ना करते हैं, उनको प्रोत्साहित किया जाता है. हाल की बात की जाए तो बेलूर थाना में हड्डी टूट गई, सिर फूट गया, जबड़ा टूट गया, लहूलुहान हो गए, 2 गर्भवती महिलाओं के पेट में लात मारी गई, उनकी स्थिति चिंताजनक थी. हमने उन्हें दूसरे स्टेट शिफ्ट कर दिया है. उन पर धारा 294 लगाई गई. जिसका मतलब होता है गाली गलौज. क्या गाली गलौज में उनकी हड्डी टूट गई , घर ध्वस्त हो गया , पूरा घर मकान लूट लिया गया? यह सरकार उनको समर्थन दे रही है. सरकार संवैधानिक दायरे के अंदर काम नहीं कर रही है. यह राजनीति से प्रभावित होकर के काम कर रही है, यह मेरा आरोप है. इसके हमारे पास पुख्ता सबूत हैं.

सवाल : यदि आपके साथ मारपीट होती है तो क्या थानों में उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी जाती है?

जवाब : गोलापल्ली थाने की बात की जाए तो जब रिपोर्ट दर्ज कराने गए तो पुलिस वालों ने शिकायतकर्ता के साथ मारपीट की, जिसकी याचिका हमने सुप्रीम कोर्ट में लगाई. वहां टीआई बैठकर थानेदारों को बोलकर सब को पिटवा रहा है. उसका वीडियो हमारे पास है. जिन लोगों के द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराई गई, उन्हें अरेस्ट करने के लिए सरकार हेलीकॉप्टर भेज रही है. ईसाई समाज इतना बड़ा अपराधी हो गया कि हमारे पीछे हेलीकॉप्टर दौड़ाया जा रहा है.

सवाल : क्या माना जाए कि धर्मांतरण की स्क्रिप्ट सरकार के द्वारा तैयार की जा रही है?

जवाब : जी हां इसकी स्क्रिप्ट सरकार तैयार कर रही है. इसके हमारे पास लिखित प्रमाण हैं. पुलिस का काम होता है, कोई अपराध हो रहा है तो उसकी जांच करें और एफआईआर दर्ज करें. सुकमा एसपी ने आज से 2 साल पहले फतवा जारी कर दिया. कोर्ट का भी काम कर लिया, हाईकोर्ट का काम भी कर लिया और हमको अपराधी बना दिया. पुलिस ने वहां पर यह बोल दिया कि हम धर्मांतरण के आरोपी हैं. पुलिस के पास इसके क्या अधिकार हैं? एसपी ने किया है, वह चिट्ठी आज तक वापस नहीं हुई , जिसकी याचिका हमने सुप्रीम कोर्ट में लगाई है. पहले हाईकोर्ट में लगाई थी. हाईकोर्ट ने हमारी बात नहीं सुनी. यदि पुलिस कोर्ट का भी काम करने लगे, हमारे पास आवाज भी ना हो, यह अपने प्रदेश के लिए चिंताजनक बात है.

सवाल : आप का आरोप है कि सरकार के संरक्षण में यह सब हो रहा है ?

जवाब : हमारे पास लिखित प्रमाण है कि सरकार के द्वारा प्रायोजित हिंदू धर्म में आदिवासियों को कन्वर्ट करने के षड्यंत्र में सरकार भी शामिल है. आज किस्ताराम थाने में आम मारपीट के मामले को लेकर थानेदार ने जो दोनों पक्ष को बुलाया और उसमें समझौतानामा किया गया है, उसकी कॉपी मेरे पास है. इसमें उन्होंने एक तरफ लिखा ईसाई आदिवासी और दूसरी तरफ हिंदू आदिवासी. यह उनकी मंशा को दर्शाता है. वह सीधा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ बोला है कि किसी आदिवासी का धर्म नहीं होता. ऐसे में सरकार उनको हिंदू आदिवासी कैसे घोषित कर रही है, यह चिंताजनक है.Christian conversion in Chhattisgarh

सवाल : क्या आपने इन बातों की शिकायत राज्यपाल से की है?

जवाब : हमारे द्वारा उनको विस्तृत जानकरी दी गई है. सारे डॉक्यूमेंट दिए गए हैं. वीडियो, फोटोग्राफ और स्टेटमेंट दिया गया है. उनसे मिलने का समय मांगा गया है. हो सकता है बहुत ज्यादा व्यस्त होने की वजह से समय नहीं दिया है, लेकिन हम उनसे गुहार लगाएंगे. एक दो दिनों में फिर से हमारा प्रतिनिधिमंडल वहां जाएगा, समय मांगेगा. यदि उसके बाद भी समय नहीं मिलेगा तो जो भी प्रजातांत्रिक, संवैधानिक कार्यवाही होगी, धरना प्रदर्शन, कोर्ट वह सब ईसाई समाज कर रहा है और करता रहेगा.Christian conversion in Chhattisgarh

सवाल : आरक्षण का मुद्दा प्रदेश में गरमाया हुआ है इसे आप लोग किस रूप में देखते हैं ?

जवाब : यह मेरा व्यक्तिगत मानना है. इसका समाज से कोई लेना-देना नहीं है कि अब आरक्षण की मानसिकता से बाहर निकलना चाहिए. दूसरी बात आरक्षण को हर समय राजनीतिक फायदा उठाने के नाम से किया जाता है. वास्तविक तौर पर आरक्षण का हमारे किसी भी पिछड़े वर्ग और जरूरतमंदों को नहीं मिल रहा है. यह मैं दावे के साथ कह सकता हूं. मैं भी गोंड समाज से आता हूं, मैं भी जानता हूं कि आरक्षण का लाभ हमें नहीं मिलता है. इतना ही नहीं जब सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बोल दिया गया है कि 50% से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता, ऐसे में आप 76% घोषित करके क्या करना चाह रहे हैं. यह सब भड़काने की राजनीति है. यहां से पब्लिक खुश हो जाएगी. 76 प्रतिशत आरक्षण दे दिया गया. कल कोई सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा देगा. वह आरक्षण सुप्रीम कोर्ट वापस कर देगा. वापस हम उसी स्थान पर आ जाएंगे. आज राष्ट्रपति मुर्मू जी ने भी चिंता जाहिर की है कि जो वंचित वर्ग है, उस तक न्याय नहीं पहुंच रहा है.Christian conversion in Chhattisgarh

सवाल : चुनावी साल है सभी तरह के हथकंडे अपनाए जाएंगे. ऐसे में धर्मांतरण के मुद्दे से आप लोग कैसे निपटेंगे ?

जवाब : हमारे समाज ने इस बार मन बना लिया है कि यदि कोई अच्छा जमीनी स्तर पर बदलाव नहीं दिखा तो रणनीति अपनाई जाएगी. हम भाजपा और कांग्रेस दोनों से तंग हैं. कांग्रेस के साथ हम 70 साल से खड़े रहे और वह लोग बहुत हल्के में हमको ले रहे हैं. इनको शायद 12 लाख वोट की जरूरत नहीं है. हम उनका भी आदर करते हैं, आज हमारी ऐसी स्थिति है कि हम किसी भी गांव में जाएं तो हजारों लोग नाम सुनकर खड़े हो जाते हैं. उसे लखमा जी भी जानते हैं. हमारे चर्च में आए थे. उनके नाम से महज 300- 400 लोग उठे थे. जब हम लोग पहुंचे तो 10000 लोग इकट्ठा हो गए. हमारी फॉलोइंग वहां पर है. जो गैर आदिवासी समाज है, वह भी हमसे सहानुभूति रखता है. गैर आदिवासी समाज कई जगहों में भड़काऊ भाषण और पैसे के लालच में आकर भले हमसे आज मारपीट कर रहा है पर आदिवासी समाज आपस में एक दूसरे को समझता है. आदिवासी समाज ये सोच रहे हैं कि ईसाई को पिटवा देंगे तो सारे आदिवासी वोट किसी एक पार्टी को मिल जाएगा, इस मुखालफत से बाहर आएं.Christian conversion in Chhattisgarh

सवाल : आपने पैसे का लालच दिए जाने का आरोप लगाने की बात कही है आरोप आप पर भी लगते रहे हैं फ्री में अन्य सुविधाएं मुहैया कराते हैं ?

जवाब : यह बहुत अच्छी बात है. आरोप लगना भी चाहिए तभी तो यह गणतंत्र है लेकिन आरोप पुख्ता भी होने चाहिए. उसमें हमको सजा भी होना किसी का पकड़ा जाना यह भी बहुत आवश्यक है. खाली आरोप लगाकर एक विचारधारा बना देना, यह गलत है. आपको बता दूं कि साल 1950 से लेकर आज तक एक भी हमारा आदमी कभी पैसा बांटते हुए नहीं पकड़ा गया , ना उसके ऊपर कोई मुकदमा चला और ना ही उस को दोषी ठहराया गया है, यह सब क्या दर्शाता है? धर्मांतरण सिर्फ राजनीतिक मुद्दा है और उसके अलावा कुछ नहीं और यह राजनीति में ही रहे तो अच्छा है लेकिन इसे धर्म को लाकर के पूरे देश को बर्बाद करने की कशिश की जा रही है. चाहे वह मुस्लिम धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म को ला रहे हैं, यह दुर्भाग्यजनक है.Christian conversion in Chhattisgarh

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