वाशिंगटन : अफगानिस्तान पर हुए कब्जे के कुछ हफ्ते पहले चीनी विदेश मंत्री ने दोनों देशों के बीच 'मैत्रीपूर्ण संबंध' विकसित करने के लिए तालिबानी नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से मुलाकात की थी.
चीन तालिबान को धन मुहैया कराएगा इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि तालिबान के साथ चीन की वास्तविक समस्या है. इसलिए चीन शांति बनाए रखने के लिए एक दूसरे के साथ कुछ समझौता करने जा रहा है.
दरअसल अफगानिस्तान पर हुए कब्जे के कुछ हफ्ते पहले, चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित करने के लिए अफगान तालिबान राजनीतिक आयोग मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से मुलाकात की थी. वहीं यूएस न्यूज के मुताबिक काबुल के पतन से पहले ही चीन ने तालिबान को अफगानिस्तान के वैध शासक के रूप में मान्यता देने की तैयारी कर ली थी.
वहीं दूसरी तरफ तालिबान जो इस्लाम के ध्वजवाहक होने का दावा करता है ने चीन में उइगर दमन पर अपना मुंह बंद कर लिया जब संगठन के शीर्ष नेता ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की क्योंकि उसके बीजिंग के साथ वित्तीय हित हैं. माना जाता है कि बीजिंग को अफगानिस्तान पर इनवेस्ट करने में अभी कुछ समय लगेगा.
एक मीडिया रिपाेर्ट ने इस बात का जिक्र किया है कि चाहे वह मानवाधिकारों के उल्लंघन की बात हो या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की तालिबान और चीन में इस मामले में समानता है. तालिबान कट्टरपंथी और रूढ़िवादी है, वहीं विकास का एक लंबा इतिहास होने के बावजूद चीन का कम्युनिस्ट शासन अभी भी अपने लोगों को गुलाम के रूप में देखता है.
धीरे धीरे सभी देश अफगानिस्तान में निवेश करने के लिए आगे आएंगे और धीरे धीरे यह देश भी विकसित देश बन जाएगा. वहीं चीनी कंपनियों ने पहले ही तेल क्षेत्रों के लिए ड्रिलिंग अधिकार हासिल कर लिया है.
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इसके अलावा, अफगानिस्तान में दुर्लभ खनिज भंडार हैं जो स्मार्टफोन, टैबलेट और एलईडी स्क्रीन जैसी चीजों के लिए आवश्यक हैं.