नई दिल्ली : दिल्ली के IVF सेंटर पर आने वाले लोगों को बच्चे बेचने वाले एक गैंग का क्राइम ब्रांच ने पर्दाफाश किया है. इस गैंग के सदस्य छह महिलाएं हैं, जो व्हाट्सएप के जरिये माता-पिताओं से बच्चों की खरीद-फरोख्त करती थीं. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने छह सदस्यों को गिरफ्तार (Gang of women busted in delhi) करने के साथ उनके पास से दो नवजात बच्चों को भी बरामद किया है. इस मामले में गैंग की सरगना फरार है.
जानकारी के मुताबिक, बच्चा बेचने वाला यह गैंग गरीब माता-पिता को रुपये कमाने का लालच देकर उनके बच्चे उनसे लेते थे. इसके बाद बच्चे की चाहत रखने वाले माता-पिता को वे बच्चे बेचते थे. यह गैंग के नवजात को दो से तीन लाख रुपये में बेचा करते थे. इस तरह से गैंग ने अब तक 10 से ज्यादा बच्चों को बेचा है. इस गैंग की सरगना प्रियंका फिलहाल फरार है. दिल्ली पुलिस उसकी तलाश कर रही है.
डीसीपी राजेश देव के अनुसार, 17 दिसंबर को क्राइम ब्रांच को सूचना मिली कि महिलाओं का एक गैंग नवजात बच्चों को लाखों की डील के जरिये बेचता (Child selling in delhi) है. यह गैंग गांधीनगर शमशान घाट के पास दोपहर के वक्त एक नवजात बच्चे को बेचने की कोशिश करेगा. इस जानकारी के आधार पर एसीपी संजीव कुमार के नेतृत्व में इंस्पेक्टर मनोज वर्मा, एसआई प्रकाश और पवन की टीम ने छापामारी कर तीन महिलाओं को गिरफ्तार किया. उनका नाम प्रिया जैन, काजल उर्फ कोमल और प्रिया है. उनके पास सात से आठ दिन का एक नवजात बच्चा बरामद हुआ. उन्होंने बताया कि वह इस बच्चे को बेचने के लिए लाए थे. यह बच्चा प्रिया की बड़ी बहन प्रियंका लेकर आई थी. इस बाबत मामला दर्ज किया गया और तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया.
उन्होंने बताया कि इनकी निशानदेही पर तीन अन्य महिलाएं रेखा उर्फ अंजलि, शिवानी उर्फ बिट्टू और प्रेमवती को गिरफ्तार किया गया. इनके पास से भी एक बच्ची को बरामद किया गया. इसे वह एक दलाल के माध्यम से लेकर आए थे और बेचने की कोशिश कर रहे थे. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह आर्थिक रूप से बहुत गरीब हैं. शुरू में वह IVF सेंटर के संपर्क में आए और IVF प्रोसेसिंग के लिए अपने एग्स देने लगे. इसके लिए उन्हें 20 से 25 हजार रुपये मिलते थे. इस दौरान उनके संपर्क में कई ऐसे लोग आए जिनके बच्चे नहीं थे. कई ऐसे माता-पिता थे, जिन्हें IVF प्रोसेस के जरिए भी बच्चा नहीं हो रहा था. काजल कई महिलाओं को एग्स डोनेशन के लिए IVF सेंटर (egg donation at ivf center) लेकर जाती थी और इसके बदले उसे कमीशन मिलता था.
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इस तरह उसका एक बड़ा नेटवर्क खड़ा हो गया था, जिसमें महिलाएं अपना एग्स डोनेट करती थीं. इसके बाद उसने महिलाओं को उनका बच्चा बेचने के लिए तैयार किया, जिससे उनकी गरीबी दूर हो सकती है. गरीब लोग उसकी बातों में आने लगे और अपने बच्चे बेचने लगे. उन्होंने बच्चे बेचने और खरीदने वालों को यह बताया कि यह अवैध नहीं है. कुछ मामलों में उन्होंने कच्चे कागज बनाकर भी उन्हें दिए ताकि यह लगे कि उन्होंने कानूनी रूप से बच्चे को गोद लिया है. एक बच्चे को वह दो से तीन लाख रुपये में बेचते थे. वह गरीब गर्भवती महिलाओं को देखते और उनके पति से बच्चे की डील करते थे. वह बच्चे को डिलीवरी के बाद अपने पास रखते थे.
वह बच्चा खरीदने वालों की पहचान कर उन्हें व्हाट्सएप पर तस्वीर दिखाते और बच्चे की रकम तय कर बेचते (child selling business on whatsapp) थे. इस पूरे गैंग के मास्टरमाइंड काजल और प्रियंका हैं. पुलिस को पता चला है कि कई अन्य राज्यों में भी इनका गैंग फैला हुआ है. इस गैंग की सरगना प्रियंका फिलहाल फरार है. पुलिस टीम उसकी तलाश कर रही है. पुलिस ने इनके पास से दो नवजात बच्चे बरामद किए हैं, जबकि 10 ऐसे बच्चों की जानकारी मिली है, जिन्हें बीते दिनों उन्होंने बेचा था. मुख्य आरोपी प्रियंका के खिलाफ पहले भी बच्चा बेचने का अन्य एक मामला पश्चिम विहार थाने में दर्ज है.