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भीख माफिया : महिलाएं किराए पर बच्चे लेकर मांगती हैं भीख, सुलाने के लिए देती हैं नशा

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Published : Nov 15, 2022, 6:08 PM IST

बेंगलुरु में भीख मांगने में बच्चों का इस्तेमाल करने वाले रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है (begging mafia in Bangalore). पुलिस ने 10 महिलाओं को पकड़ा है. उनके कब्जे से 21 बच्चे छुड़ाए गए हैं. पुलिस का दावा है कि लोगों की सहानुभूति पाने के लिए मजदूरों से किराए पर बच्चे लिए जाते थे. बच्चों को शराब पिलाई जाती थी, ताकि वह सोते रहें.

Increased begging mafia in Bangalore
भीख माफिया

बेंगलुरु : भीख मांगना भी 'धंधा' बन गया है (begging). ज्यादा भीख पाने के लिए बच्चों का इस्तेमाल किया जा रहा है. केंद्रीय अपराथ शाखा पुलिस (CCB police) ने लोगों की सहानुभूति का फायदा उठाकर भीख मांग रहे बच्चों और महिलाओं समेत कुल 31 लोगों को पकड़ा है. उन्हें महिला और बच्चों के अनाथालय को सौंप दिया गया है.

सीसीबी एसीपी रीना सुवर्णा के नेतृत्व में एक टीम ने बस, रेलवे स्टेशनों, सिग्नल और धार्मिक केंद्रों के सामने बच्चों के साथ भीख मांग रहे लोगों पर एक ऑपरेशन चलाया. 10 महिलाओं और 21 बच्चों समेत कुल 31 लोगों को हिरासत में लिया गया है. सीसीबी ने 9 नवंबर को ऑपरेशन चलाया था (begging mafia in Bangalore).

लोगों की दया का फायदा उठाते हैं : इस संबंध में बार-बार जागरूक किया जाता है कि धार्मिक केंद्रों या सड़कों पर भीख मांगने वाले भिखारियों की मदद नहीं करनी चाहिए, लेकिन लोग इंसानियत की मदद कर रहे हैं ऐसा सोचकर कुछ रुपये देने से नहीं चूकते. इससे भीख मांगने का चलन बढ़ा है. कुछ लोग दूसरे बच्चों को गोद में लेकर हमदर्दी की भीख मांग रहे हैं. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उत्तर भारत के कई अन्य राज्यों से वे भीख के धंधे में सक्रिय पाए गए.

हिरासत में ली गई 10 महिलाओं से प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि बच्चे को लेकर भीख मांगने वाली महिलाएं असली मां नहीं हैं. जांच के दौरान यह पता चला कि वह कुछ ने बच्चे किराए पर लिए थे, तो कोई तस्करी कर बच्चे को लाई थी. बच्चों को सुबह-सुबह शराब पिलाई जाती थी, ताकि वह दिनभर सोते रहें.

महिला एवं बाल कल्याण समिति की देखरेख में बच्चों से पूछताछ की जा रही है. जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया जाएगा. अधिकारियों ने जानकारी दी है कि अदालत की अनुमति मिलने के बाद फर्जी माताओं और बच्चों का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा.

सरकार ने राज्य में भीख निषेध अधिनियम को सख्ती से लागू करने का वादा किया है, लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है. राज्य में अब तक भीख माफिया से 1,220 बच्चों को छुड़ाया जा चुका है. जानकारी है कि बेंगलुरु शहर में करीब 6 हजार भिखारी हैं.

बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब परिवारों से संपर्क करने वाले एजेंट उन्हें इस विश्वास के साथ शहर लाते हैं कि वे काम देंगे. वे गरीब माता-पिता को प्रति माह कुछ पैसे देते हैं और उनसे बच्चे लेते हैं. पुलिस ने कहा कि एजेंट, बच्चे महिलाओं को सौंप देते हैं और कमीशन लेते हैं फिर फरार हो जाते हैं.

पढ़ें- तेलंगाना: बेटों ने संपत्ति अपने नाम कराकर बूढ़ी मां को घर से निकाला, भीख मांगने को मजबूर

बेंगलुरु : भीख मांगना भी 'धंधा' बन गया है (begging). ज्यादा भीख पाने के लिए बच्चों का इस्तेमाल किया जा रहा है. केंद्रीय अपराथ शाखा पुलिस (CCB police) ने लोगों की सहानुभूति का फायदा उठाकर भीख मांग रहे बच्चों और महिलाओं समेत कुल 31 लोगों को पकड़ा है. उन्हें महिला और बच्चों के अनाथालय को सौंप दिया गया है.

सीसीबी एसीपी रीना सुवर्णा के नेतृत्व में एक टीम ने बस, रेलवे स्टेशनों, सिग्नल और धार्मिक केंद्रों के सामने बच्चों के साथ भीख मांग रहे लोगों पर एक ऑपरेशन चलाया. 10 महिलाओं और 21 बच्चों समेत कुल 31 लोगों को हिरासत में लिया गया है. सीसीबी ने 9 नवंबर को ऑपरेशन चलाया था (begging mafia in Bangalore).

लोगों की दया का फायदा उठाते हैं : इस संबंध में बार-बार जागरूक किया जाता है कि धार्मिक केंद्रों या सड़कों पर भीख मांगने वाले भिखारियों की मदद नहीं करनी चाहिए, लेकिन लोग इंसानियत की मदद कर रहे हैं ऐसा सोचकर कुछ रुपये देने से नहीं चूकते. इससे भीख मांगने का चलन बढ़ा है. कुछ लोग दूसरे बच्चों को गोद में लेकर हमदर्दी की भीख मांग रहे हैं. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उत्तर भारत के कई अन्य राज्यों से वे भीख के धंधे में सक्रिय पाए गए.

हिरासत में ली गई 10 महिलाओं से प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि बच्चे को लेकर भीख मांगने वाली महिलाएं असली मां नहीं हैं. जांच के दौरान यह पता चला कि वह कुछ ने बच्चे किराए पर लिए थे, तो कोई तस्करी कर बच्चे को लाई थी. बच्चों को सुबह-सुबह शराब पिलाई जाती थी, ताकि वह दिनभर सोते रहें.

महिला एवं बाल कल्याण समिति की देखरेख में बच्चों से पूछताछ की जा रही है. जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया जाएगा. अधिकारियों ने जानकारी दी है कि अदालत की अनुमति मिलने के बाद फर्जी माताओं और बच्चों का डीएनए टेस्ट कराया जाएगा.

सरकार ने राज्य में भीख निषेध अधिनियम को सख्ती से लागू करने का वादा किया है, लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है. राज्य में अब तक भीख माफिया से 1,220 बच्चों को छुड़ाया जा चुका है. जानकारी है कि बेंगलुरु शहर में करीब 6 हजार भिखारी हैं.

बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब परिवारों से संपर्क करने वाले एजेंट उन्हें इस विश्वास के साथ शहर लाते हैं कि वे काम देंगे. वे गरीब माता-पिता को प्रति माह कुछ पैसे देते हैं और उनसे बच्चे लेते हैं. पुलिस ने कहा कि एजेंट, बच्चे महिलाओं को सौंप देते हैं और कमीशन लेते हैं फिर फरार हो जाते हैं.

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