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छत्तीसगढ़ का ये शख्स परिंदों को देता है आजादी

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Published : Jan 9, 2023, 9:23 PM IST

छत्तीसगढ़ का एक शख्स परिंदों को आजादी देता है. Chhattisgarh teacher gives freedom to birds छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक ऐसा शिक्षक है, जो अपने सैलरी के पैसों से हर माह 3 से 4 पक्षी खरीदता है. खास बात यह है कि परिंदों को घर ले जाने के बजाय शिक्षक उन पक्षियों को दुकानदार के सामने ही उड़ा देता है. Chhattisgarh teacher gives freedom to birds हम बात कर रहे हैं रायपुर के मायाराम सुरजन शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय के शिक्षक यशवंत साहू की. Chhattisgarh teacher Yashwant Sahu पक्षी प्रेमी मायाराम सुरजन अब तक 250 से ज्यादा पक्षियों को पिंजरे से आजाद करा चुके हैं. उनकी इस पहल में अब उनके दोस्त भी साथ दे रहे हैं. ईटीवी भारत ने यशवंत से खास बातचीत की.

Chhattisgarh teacher gives freedom to birds
शिक्षक परिंदों को देता है आजादी
शिक्षक परिंदों को देता है आजादी

रायपुर: पशु पक्षियों से लगाव के आपने कई किस्से कहानियां सुनी होगी. लेकिन छत्तीसगढ़ के शिक्षक यशवंत साहू की कहानी सबसे जुदा है. मायाराम साल 2019 से ही बेजुबां पक्षियों को आजाद करा रहे हैं. पक्षी प्रेमी यशवंत साहू कहते हैं कि ''ऐसा करने से आत्मिक खुशी मिलती है.'' अब परिंदों को आजादी दिलाना उनकी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है और उन्होंने इसे अभियान बना लिया है. Chhattisgarh teacher gives freedom to birds

सवाल: आपके मन में कैसे आया कि पक्षियों को खरीदकर उन्हें आजाद कर दिया जाए?
जवाब: आपने देखा होगा जब हम छोटे थे तो बहुत सारे पक्षी हमारे आसपास रहते थे. जब हम बड़े हुए तो हमारे जहन में आया की पक्षी कम हो रहे हैं. खासकर गौरैया हमारे आसपास उड़ती थी, लेकिन अब यह दिखाई नहीं देती. ऐसे में मुझे एहसास हुआ कि पक्षियों के लिए कुछ करना चाहिए. इसी बीच एक दिन जब मैं ट्रैफिक में फंसा हुआ था तो देखा कि पिंजड़े में कुछ पक्षी रखे हैं और फड़फड़ा रहे हैं. मुझे लगा कि इनके लिए कुछ करना चाहिए. फिर वहां से कुछ पक्षियों को खरीद कर मैंने आजाद कर दिया. यह सिलसिला साल 2019 से लगातार जारी है. अब तक मैंने 250 से ज्यादा पक्षियों को उड़ा दिया है. अब तो ऐसा हो गया है कि जैसे ही मेरी सैलरी आती है तो सबसे पहले बर्ड दुकान आता हूं और यहां से पक्षियों को खरीद कर उड़ा देता हूं. उस समय मेरे मन में जो आनंद की अनुभूति होती है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.Chhattisgarh teacher gives freedom to birds

यह भी पढ़ें: संगीत कथा से सनातन धर्म की शिक्षा, निषाद परिवार चार पीढ़ियों से निभा रहे परंपरा

सवाल: आप शिक्षक हैं. कौन से विद्यालय के बच्चों को पढ़ाते हैं ?
जवाब: सबसे पहले मैं साजा के लोधी खपरी गांव में था. उसके बाद धरसीवां ब्लॉक के सोनरा गांव में था. अब रायपुर के मायाराम सुरजन उत्कृष्ट विद्यालय में हूं. मुझे शिक्षक के कार्य में 14 साल हो गए हैं. बहुत से पेरेंट्स मेरे कामों को देखकर प्रेरित भी होते हैं. बच्चों को भी एक प्रेरणा मिलती है कि पशु पक्षियों से हमको विशेष लगाव रहना चाहिए. उन्हें बेवजह सताना नहीं चाहिए. बहुत से मेरे दोस्त हैं. वह लोग मेरे कामों से प्रभावित होकर इस अभियान से जुड़ गए हैं. उन्हें भी जब सैलरी मिलती है तो वह भी इसी तरह पक्षियों को आजाद करते हैं. ऐसे में इस अभियान में मुझे भी उड़ने का एक पंख मिल गया है.

सवाल: आम लोगों को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
जवाब: जो पक्षियों को पालने का शौक रखते हैं, उनसे मैं विशेष निवेदन करना चाहूंगा कि पक्षियों को तो पंख इसलिए दिया गया है कि वे खुले आसमान में उड़ सकें, लेकिन लोग शौक के तौर पर उन्हें पिंजरे में बंद कर देते हैं. हम देखते हैं कि हमें कितना भी अच्छा खाना पीना मिले, लेकिन हम जिस वातावरण के लिए बने हैं या भगवान ने जिस वातावरण के लिए हमें बनाया है, उस वातावरण में हम रहें तो बहुत ही अच्छा रहता है. उसी तरह पक्षियों को भगवान ने पंख उड़ने के लिए दिया है. ऐसे में आम लोगों को यही बोलना चाहूंगा कि पक्षियों को पिंजरे में बंद करके ना रखें. अपने शौक के लिए पशु पक्षियों को ना सताएं. Chhattisgarh teacher gives freedom to birds

शिक्षक परिंदों को देता है आजादी

रायपुर: पशु पक्षियों से लगाव के आपने कई किस्से कहानियां सुनी होगी. लेकिन छत्तीसगढ़ के शिक्षक यशवंत साहू की कहानी सबसे जुदा है. मायाराम साल 2019 से ही बेजुबां पक्षियों को आजाद करा रहे हैं. पक्षी प्रेमी यशवंत साहू कहते हैं कि ''ऐसा करने से आत्मिक खुशी मिलती है.'' अब परिंदों को आजादी दिलाना उनकी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है और उन्होंने इसे अभियान बना लिया है. Chhattisgarh teacher gives freedom to birds

सवाल: आपके मन में कैसे आया कि पक्षियों को खरीदकर उन्हें आजाद कर दिया जाए?
जवाब: आपने देखा होगा जब हम छोटे थे तो बहुत सारे पक्षी हमारे आसपास रहते थे. जब हम बड़े हुए तो हमारे जहन में आया की पक्षी कम हो रहे हैं. खासकर गौरैया हमारे आसपास उड़ती थी, लेकिन अब यह दिखाई नहीं देती. ऐसे में मुझे एहसास हुआ कि पक्षियों के लिए कुछ करना चाहिए. इसी बीच एक दिन जब मैं ट्रैफिक में फंसा हुआ था तो देखा कि पिंजड़े में कुछ पक्षी रखे हैं और फड़फड़ा रहे हैं. मुझे लगा कि इनके लिए कुछ करना चाहिए. फिर वहां से कुछ पक्षियों को खरीद कर मैंने आजाद कर दिया. यह सिलसिला साल 2019 से लगातार जारी है. अब तक मैंने 250 से ज्यादा पक्षियों को उड़ा दिया है. अब तो ऐसा हो गया है कि जैसे ही मेरी सैलरी आती है तो सबसे पहले बर्ड दुकान आता हूं और यहां से पक्षियों को खरीद कर उड़ा देता हूं. उस समय मेरे मन में जो आनंद की अनुभूति होती है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.Chhattisgarh teacher gives freedom to birds

यह भी पढ़ें: संगीत कथा से सनातन धर्म की शिक्षा, निषाद परिवार चार पीढ़ियों से निभा रहे परंपरा

सवाल: आप शिक्षक हैं. कौन से विद्यालय के बच्चों को पढ़ाते हैं ?
जवाब: सबसे पहले मैं साजा के लोधी खपरी गांव में था. उसके बाद धरसीवां ब्लॉक के सोनरा गांव में था. अब रायपुर के मायाराम सुरजन उत्कृष्ट विद्यालय में हूं. मुझे शिक्षक के कार्य में 14 साल हो गए हैं. बहुत से पेरेंट्स मेरे कामों को देखकर प्रेरित भी होते हैं. बच्चों को भी एक प्रेरणा मिलती है कि पशु पक्षियों से हमको विशेष लगाव रहना चाहिए. उन्हें बेवजह सताना नहीं चाहिए. बहुत से मेरे दोस्त हैं. वह लोग मेरे कामों से प्रभावित होकर इस अभियान से जुड़ गए हैं. उन्हें भी जब सैलरी मिलती है तो वह भी इसी तरह पक्षियों को आजाद करते हैं. ऐसे में इस अभियान में मुझे भी उड़ने का एक पंख मिल गया है.

सवाल: आम लोगों को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
जवाब: जो पक्षियों को पालने का शौक रखते हैं, उनसे मैं विशेष निवेदन करना चाहूंगा कि पक्षियों को तो पंख इसलिए दिया गया है कि वे खुले आसमान में उड़ सकें, लेकिन लोग शौक के तौर पर उन्हें पिंजरे में बंद कर देते हैं. हम देखते हैं कि हमें कितना भी अच्छा खाना पीना मिले, लेकिन हम जिस वातावरण के लिए बने हैं या भगवान ने जिस वातावरण के लिए हमें बनाया है, उस वातावरण में हम रहें तो बहुत ही अच्छा रहता है. उसी तरह पक्षियों को भगवान ने पंख उड़ने के लिए दिया है. ऐसे में आम लोगों को यही बोलना चाहूंगा कि पक्षियों को पिंजरे में बंद करके ना रखें. अपने शौक के लिए पशु पक्षियों को ना सताएं. Chhattisgarh teacher gives freedom to birds

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