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Chhattisgarh Liquor Scam: ईडी की बड़ी कार्रवाई, 180 करोड़ की संपत्ति अटैच

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Published : May 22, 2023, 8:56 PM IST

रायपुर के महापौर एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर, आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक अरुण पति त्रिपाठी और अन्य की 180 करोड़ की संपत्ति अटैच की गई है. ईडी ने सोमवार को कहा कि कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रॉपर्टी को अटैच करने की प्रक्रिया की गई है. ED action in Chhattisgarh

Chhattisgarh Liquor Scam
छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच

रायपुर: छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ के शराब घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने अस्थायी रूप से लगभग 119 अचल संपत्तियों को कुर्क किया है. छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच चल रही है. मामले में ईडी ने आईएएस अनिल टुटेजा, कारोबारी अनवर ढेबर, आबकारी विभाग के विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी, अरविंद सिंह और विकास अग्रवाल की 121.87 करोड़ की संम्पतियों को कुर्क किया है. इसके अलावा और भी संपत्ति अटैच की गई है. कुल मिलाकर 180 करोड़ की संपत्ति ईडी ने अटैच किया है.

ऐसे हुई कार्रवाई: ईडी ने बताया कि" प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कुर्क की गई संपत्तियों में अनवर ढेबर की 98.78 करोड़ रुपये की संपत्ति शामिल है. उसके अलावा 69 संपत्तियां, 8.83 करोड़ रुपये की अनिल टुटेजा की 14 संपत्तियां हैं. इसमें भारतीय दूरसंचार सेवा, आईटीएस के अधिकारी एपी त्रिपाठी की एक संपत्ति भी शामिल है. संघीय एजेंसी ने एक बयान में कहा कि इसकी कीमत 1.35 करोड़ रुपये है. अनिल टुटेजा 2003 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और वर्तमान में राज्य के उद्योग और वाणिज्य विभाग में संयुक्त सचिव के रूप में तैनात हैं. अनवर ढेबर की फर्म ए ढेबर बिल्डकॉन के तहत चलाए जा रहे होटल वेनिंग्टन कोर्ट को भी कुर्क कर लिया गया है. विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू की 1.54 करोड़ रुपये की संपत्ति को कुर्क किया गया है. इसके अलावा अरविंद सिंह की 11.35 करोड़ रुपये की 32 संपत्तियों को भी कुर्क किया गया है. सभी अटैच की गई संपत्तियों की कुल कीमत 121.87 करोड़ रुपये है. मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला 2022 के आयकर विभाग से जुड़ा है. जो आईएएस अधिकारी टुटेजा और अन्य के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में दायर चार्जशीट से उपजा है"

अब तक शराब घोटाले में कितने की हुई गिरफ्तारी: इस मामले में अब तक अनवर ढेबर, त्रिपाठी और दो अन्य को ईडी ने गिरफ्तार किया है. ईडी ने आरोप लगाया था कि छत्तीसगढ़ में बेची जाने वाली शराब की हर बोतल के लिए अवैध रूप से धन जुटाया गया था. जिसमें अनवर ढेबर के नेतृत्व वाले शराब सिंडिकेट का खुलासा हुआ. इसमें अभूतपूर्व भ्रष्टाचार और 2,000 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग के सबूतों का पता चला है. इस मामले में दिल्ली, कोलकाता और मुंबई के अलावा छत्तीसगढ़ के रायपुर और भिलाई में विभिन्न स्थानों पर रेड मारी गई. करीब 50 से अधिक तलाशी अभियान चलाए गए. ईडी ने पहले कहा था कि उसने नकद, सावधि जमा, शेयर और आभूषण सहित 58 करोड़ रुपये की चल संपत्ति जब्त की थी.इस प्रकार अब तक मामले में कुल जब्ती और कुर्की लगभग 180 करोड़ रुपये की हो चुकी है.

यह भी पढ़ें:

  1. Chhattisgarh Liquor Scam: जानिए ईडी ने एपी त्रिपाठी को क्यों कहा भ्रष्टाचार का पितामह ?
  2. Raipur News: राजधानी की सड़कों पर फिर दौड़ेंगी इलेक्ट्रिक बसें, 6 चार्जिंग पॉइंट बनाए जाएंगे
  3. नोटबंदी पार्ट टू : 2000 रुपये के नोट खपाने में जुटे लोग, शुरू हुई कमीशनखोरी !

इस कथित अवैध शराब सिंडिकेट के तहत चार तरह से भ्रष्टाचार किया गया.

  1. भाग-ए "कमीशन" से संबंधित है. जहां एजेंसी ने आरोप लगाया कि सीएसएमसीएल द्वारा उनसे खरीदी गई शराब के मामले में डिस्टिलरों से रिश्वत ली गई.
  2. भाग-बी "बेहिसाब" 'कच्चा' या देशी शराब की बिक्री से संबंधित है. ईडी ने आरोप लगाया है कि सरकारी खजाने में एक रुपया भी नहीं पहुंचा और बिक्री की पूरी रकम सिंडिकेट की जेब में चली गई. अवैध शराब केवल सरकारी दुकानों से बेची गई.
  3. एजेंसी ने आरोप लगाया है कि कथित घोटाले के पार्ट-सी के तहत, डिस्टिलर्स से "रिश्वत" ली गई ताकि उन्हें एक कार्टेल बनाने और एक निश्चित बाजार में हिस्सेदारी की अनुमति मिल सके.
  4. FL-10A लाइसेंस धारकों से कमीशन लिया गया. जिन्हें विदेशी शराब खंड में कमाई के लिए पेश किया गया था.

सोर्स: पीटीआई

रायपुर: छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ के शराब घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने अस्थायी रूप से लगभग 119 अचल संपत्तियों को कुर्क किया है. छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच चल रही है. मामले में ईडी ने आईएएस अनिल टुटेजा, कारोबारी अनवर ढेबर, आबकारी विभाग के विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी, अरविंद सिंह और विकास अग्रवाल की 121.87 करोड़ की संम्पतियों को कुर्क किया है. इसके अलावा और भी संपत्ति अटैच की गई है. कुल मिलाकर 180 करोड़ की संपत्ति ईडी ने अटैच किया है.

ऐसे हुई कार्रवाई: ईडी ने बताया कि" प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कुर्क की गई संपत्तियों में अनवर ढेबर की 98.78 करोड़ रुपये की संपत्ति शामिल है. उसके अलावा 69 संपत्तियां, 8.83 करोड़ रुपये की अनिल टुटेजा की 14 संपत्तियां हैं. इसमें भारतीय दूरसंचार सेवा, आईटीएस के अधिकारी एपी त्रिपाठी की एक संपत्ति भी शामिल है. संघीय एजेंसी ने एक बयान में कहा कि इसकी कीमत 1.35 करोड़ रुपये है. अनिल टुटेजा 2003 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और वर्तमान में राज्य के उद्योग और वाणिज्य विभाग में संयुक्त सचिव के रूप में तैनात हैं. अनवर ढेबर की फर्म ए ढेबर बिल्डकॉन के तहत चलाए जा रहे होटल वेनिंग्टन कोर्ट को भी कुर्क कर लिया गया है. विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू की 1.54 करोड़ रुपये की संपत्ति को कुर्क किया गया है. इसके अलावा अरविंद सिंह की 11.35 करोड़ रुपये की 32 संपत्तियों को भी कुर्क किया गया है. सभी अटैच की गई संपत्तियों की कुल कीमत 121.87 करोड़ रुपये है. मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला 2022 के आयकर विभाग से जुड़ा है. जो आईएएस अधिकारी टुटेजा और अन्य के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में दायर चार्जशीट से उपजा है"

अब तक शराब घोटाले में कितने की हुई गिरफ्तारी: इस मामले में अब तक अनवर ढेबर, त्रिपाठी और दो अन्य को ईडी ने गिरफ्तार किया है. ईडी ने आरोप लगाया था कि छत्तीसगढ़ में बेची जाने वाली शराब की हर बोतल के लिए अवैध रूप से धन जुटाया गया था. जिसमें अनवर ढेबर के नेतृत्व वाले शराब सिंडिकेट का खुलासा हुआ. इसमें अभूतपूर्व भ्रष्टाचार और 2,000 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग के सबूतों का पता चला है. इस मामले में दिल्ली, कोलकाता और मुंबई के अलावा छत्तीसगढ़ के रायपुर और भिलाई में विभिन्न स्थानों पर रेड मारी गई. करीब 50 से अधिक तलाशी अभियान चलाए गए. ईडी ने पहले कहा था कि उसने नकद, सावधि जमा, शेयर और आभूषण सहित 58 करोड़ रुपये की चल संपत्ति जब्त की थी.इस प्रकार अब तक मामले में कुल जब्ती और कुर्की लगभग 180 करोड़ रुपये की हो चुकी है.

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  1. भाग-ए "कमीशन" से संबंधित है. जहां एजेंसी ने आरोप लगाया कि सीएसएमसीएल द्वारा उनसे खरीदी गई शराब के मामले में डिस्टिलरों से रिश्वत ली गई.
  2. भाग-बी "बेहिसाब" 'कच्चा' या देशी शराब की बिक्री से संबंधित है. ईडी ने आरोप लगाया है कि सरकारी खजाने में एक रुपया भी नहीं पहुंचा और बिक्री की पूरी रकम सिंडिकेट की जेब में चली गई. अवैध शराब केवल सरकारी दुकानों से बेची गई.
  3. एजेंसी ने आरोप लगाया है कि कथित घोटाले के पार्ट-सी के तहत, डिस्टिलर्स से "रिश्वत" ली गई ताकि उन्हें एक कार्टेल बनाने और एक निश्चित बाजार में हिस्सेदारी की अनुमति मिल सके.
  4. FL-10A लाइसेंस धारकों से कमीशन लिया गया. जिन्हें विदेशी शराब खंड में कमाई के लिए पेश किया गया था.

सोर्स: पीटीआई

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