ग्वालियर। कूनो नेशनल पार्क से पिछले दिनों लगातार अशुभ समाचार मिले हैं. 3 चीतों की मौत के बाद 3 शावकों की मौत ने वन विभाग के अधिकारियों के साथ ही पूरी राज्य सरकार को हिलाकर रख दिया है. पूरा फोकस इस बात पर है कि नामीबिया से लाए गए चीते स्वस्थ रहें. चीतों की देखभाल में जुटी वन विभाग की टीमें दिन-रात इन पर नजर बनाए हुए हैं. 7 चीतों को पहले ही वन विभाग बाड़े से जंगल में रिलीज कर चुका है. अब 7 और चीतों को जंगल में छोड़ने की तैयारी हैं.
6 चीतों की मौत से चिंताएं बढ़ीं : कूनो में बीते 2 माह में 3 वयस्क चीते और नामीबिया की मादा चीता ज्वाला के चार शावकों में से तीन की मौत हो चुकी है. अब यहां बचे हुए 17 वयस्क चीतों में से 7 और चीतों को जंगल में छोड़ने की तैयारी व्यापक स्तर पर की जा रही है. चीतों की हाई लेवल कमेटी के मुताबिक सतत निगाह रखी जा रही है. ग्लोबल टाइगर फोरम के महासचिव राजेश गोपाल ने बताया कि परियोजना पटरी पर है और चिंता का कोई कारण नहीं है. जून के तीसरे सप्ताह तक दो मादा चीतों सहित सात और चीतों को जंगल में छोड़ने का फैसला किया है.
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अभी 3 चीते बाड़े में ही रहेंगे : राजेश गोपाल ने बताया कि 17 में से 7 चीतों को जंगल में छोड़ा जा चुका है. 10 चीतों में से अभी भी 3 को बाड़े में रखा जाएगा. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश की श्योपुर जिले में स्थित कूनो अभ्यारण में चीतों की मौतों से इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. चीतों को मध्यप्रदेश के गांधी सागर अभ्यारण्य में शिफ्ट करने की योजना पर काम चल रहा है. चीतों को सुरक्षित रखने के लिए एक टीम गठित की गई है, जो 24 घंटे इनके स्वास्थ्य पर कड़ी नजर रखे है. बता दें कि महत्वाकांक्षी चीता पुनर्वास परियोजना के तहत पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 17 सितंबर को अपने 72वें जन्मदिन के मौके पर नामीबिया से कूनो में 8 चीतों को छोड़ा था. इसके बाद 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीतों को कूनो में छोड़ा गया था.