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यूपी में चप्पल मार होली, जानें क्या है इसके पीछे की परंपरा - Bachgaon in Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश के बछगांव (Bachgaon in Uttar Pradesh) में पिछले कई दशकों से चप्पल मार होली खेली जा रही है. होली के दिन यहां हम उम्र के लोग एक दूसरे को सिर और शरीर पर चप्पल मार कर होली की शुभकामनाएं देते हैं.

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Published : Mar 18, 2022, 8:17 PM IST

मथुरा: होली का त्योहार पूरे देश में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. कई जगहों पर होली को अनोखे तरीके से खेला जाता है. पर मथुरा में मनाई जाने वाली होली की चर्चा पूरे विश्व में है, क्योंकि यहां कही लट्ठमार होली तो कहीं लड्डुओं की होली इतना ही नहीं दहकते अंगारों पर भी होली मनाई जाती है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी किस्म की होली के बारे में बताएंगे, जिसे सुन आप भी एक पल के लिए हैरान हो जाएंगे, क्योंकि ये होली रंगों, गुलाल या फूलों से नहीं बल्कि चप्पलों से खेली जाती है और इसे चप्पलमार होली कहा जाता है.

जानकारी के मुताबिक जनपद मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर मगोर्रा क्षेत्र के बछगांव में पिछले कई दशकों से चप्पलमार होली खेली जा रही है. होली के दिन यहां बुजुर्ग लोग नौजवानों को रंग गुलाल लगाते तो वहीं, हम उम्र के लोग एक दूसरे को सिर और शरीर पर चप्पल मार कर होली की शुभकामनाएं देते हैं.

चप्पल मार होली

क्या है पौराणिक मान्यता
गांव के लोगों के मुताबिक इस गांव में ब्रिजदास का मंदिर बना हुआ है, उन्हीं से जुड़ी एक कहावत है जब बाबा ब्रिजदास दास के पास दो सगे भाई आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचे तो बाबा ब्रिजदास दास ने अपनी घास से बनी हुई खडाऊं से आशीर्वाद दिया और तभी से आशीर्वाद के रूप में चप्पल मार होली की परंपरा शुरू हुई. वहीं, ऊर्जा मंत्री और मथुरा वृंदावन विधानसभा सीट से भाजपा विधायक श्रीकांत शर्मा होलिका दहन कार्यक्रम में शामिल हुए.

यह भी पढ़ें- काशी विश्वनाथ मंदिर में खेली गई भस्म होली, होली के गीतों की रही धूम

इस दौरान उन्होंने सभी ब्रज वासियों को होली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि होली का पर्व लोगों की जिंदगी में खुशियां लेकर आता है, इसलिए इस होली सभी लोग आपस में किसी भी तरह के मनमुटाव को खत्म कर के एक साथ मिलकर होली खेले

मथुरा: होली का त्योहार पूरे देश में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. कई जगहों पर होली को अनोखे तरीके से खेला जाता है. पर मथुरा में मनाई जाने वाली होली की चर्चा पूरे विश्व में है, क्योंकि यहां कही लट्ठमार होली तो कहीं लड्डुओं की होली इतना ही नहीं दहकते अंगारों पर भी होली मनाई जाती है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी किस्म की होली के बारे में बताएंगे, जिसे सुन आप भी एक पल के लिए हैरान हो जाएंगे, क्योंकि ये होली रंगों, गुलाल या फूलों से नहीं बल्कि चप्पलों से खेली जाती है और इसे चप्पलमार होली कहा जाता है.

जानकारी के मुताबिक जनपद मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर मगोर्रा क्षेत्र के बछगांव में पिछले कई दशकों से चप्पलमार होली खेली जा रही है. होली के दिन यहां बुजुर्ग लोग नौजवानों को रंग गुलाल लगाते तो वहीं, हम उम्र के लोग एक दूसरे को सिर और शरीर पर चप्पल मार कर होली की शुभकामनाएं देते हैं.

चप्पल मार होली

क्या है पौराणिक मान्यता
गांव के लोगों के मुताबिक इस गांव में ब्रिजदास का मंदिर बना हुआ है, उन्हीं से जुड़ी एक कहावत है जब बाबा ब्रिजदास दास के पास दो सगे भाई आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचे तो बाबा ब्रिजदास दास ने अपनी घास से बनी हुई खडाऊं से आशीर्वाद दिया और तभी से आशीर्वाद के रूप में चप्पल मार होली की परंपरा शुरू हुई. वहीं, ऊर्जा मंत्री और मथुरा वृंदावन विधानसभा सीट से भाजपा विधायक श्रीकांत शर्मा होलिका दहन कार्यक्रम में शामिल हुए.

यह भी पढ़ें- काशी विश्वनाथ मंदिर में खेली गई भस्म होली, होली के गीतों की रही धूम

इस दौरान उन्होंने सभी ब्रज वासियों को होली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि होली का पर्व लोगों की जिंदगी में खुशियां लेकर आता है, इसलिए इस होली सभी लोग आपस में किसी भी तरह के मनमुटाव को खत्म कर के एक साथ मिलकर होली खेले

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