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Chandrayaan 3 Update: फुल बैटरी के साथ स्लीप मोड में गया रोवर, 22 सितंबर को सूर्योदय के साथ ही करेगा 'गुड मॉर्निंग'

भारत का चंद्रयान 3 चंद्रमा पर खोज में जुटा है, जिसका अपडेट भारतीय अंतरिक्ष और अनुसंधान संगठन (इसरो) बराबर जारी कर रहा है. इसरो ने विक्रम लैंडर के प्रज्ञान रोवर मॉड्यूल को 'स्लीप मोड' पर डाल दिया है. इसके 22 सितंबर फिर से काम करने की उम्मीद है (Chandrayaan 3 Update).

Chandrayaan 3 Update
चंद्रयान 3
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 3, 2023, 5:38 PM IST

Updated : Sep 3, 2023, 6:12 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष और अनुसंधान संगठन (इसरो) ने विक्रम लैंडर के प्रज्ञान रोवर मॉड्यूल को 'स्लीप मोड' पर डाल दिया है. अब इसे चंद्रमा पर अगले सूर्योदय यानि 22 सितंबर, 2023 को फिर से ऑन करने की उम्मीद है. इसरो को असाइनमेंट के दूसरे सेट के लिए सफल होने की पूरी उम्मीद है (Chandrayaan 3 Update).

  • Chandrayaan-3 Mission:
    The Rover completed its assignments.

    It is now safely parked and set into Sleep mode.
    APXS and LIBS payloads are turned off.
    Data from these payloads is transmitted to the Earth via the Lander.

    Currently, the battery is fully charged.
    The solar panel is…

    — ISRO (@isro) September 2, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

रोवर के लिए आसन नहीं है रात : चंद्रमा पर एक दिन और एक रात पृथ्वी के 14 दिन और 14 रात के बराबर होता है. चंद्रमा पर रात के समय तापमान काफी कम होता है, यहां तक कि ये माइनस में 238 डिग्री तक चला जाता है. ऐसे में रोवर को पृथ्वी की करीब 14 रात तक इतना कम तापमान सहना पड़ेगा.

'चांद पर भारत के राजदूत के रूप में रहेगा' : इसरो ने ट्वीट किया, 'रोवर ने अपना कार्य पूरा कर लिया है. इसे अब सुरक्षित रूप से पार्क किया गया है और स्लीप मोड में सेट किया गया है. APXS और LIBS पेलोड बंद हैं. इन पेलोड से लैंडर के माध्यम से डेटा पृथ्वी पर भेजा जाता है. फिलहाल, बैटरी पूरी तरह से चार्ज है. सौर पैनल 22 सितंबर, 2023 को अपेक्षित अगले सूर्योदय पर प्रकाश प्राप्त करने के लिए उन्मुख है. रिसीवर चालू रखा गया है. कार्यों के दूसरे सेट के लिए सफल जागृति की आशा है. अन्यथा, यह हमेशा भारत के चंद्र राजदूत के रूप में वहीं रहेगा.' इससे पहले दिन में कहा गया था कि रोवर लैंडर से लगभग 100 मीटर दूर चला गया है.

  • Chandrayaan-3 Mission:

    On August 27, 2023, the Rover came across a 4-meter diameter crater positioned 3 meters ahead of its location.
    The Rover was commanded to retrace the path.

    It's now safely heading on a new path.#Chandrayaan_3#Ch3 pic.twitter.com/QfOmqDYvSF

    — ISRO (@isro) August 28, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

चंद्रयान-3 मिशन के तीन घटक: प्रोपल्शन मॉड्यूल, जो लैंडर और रोवर मॉड्यूल को चंद्र कक्षा के 100 किलोमीटर तक स्थानांतरित करता है. लैंडर मॉड्यूल, जो चंद्रयान की सॉफ्ट लैंडिंग के लिए जिम्मेदार था और रोवर मॉड्यूल, जो चंद्रयान-3 मिशन के लिए चंद्रमा पर घटकों की खोज के लिए जिम्मेदार था.

रोवर को अब तक चांद पर क्या-क्या मिला : भारत के चंद्रयान 3 के 'प्रज्ञान' रोवर पर लगे लेजर इंड्यूस्ट ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप उपकरण ने दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्र सतह में सल्फर की उपस्थिति की पुष्टि की है.

  • Chandrayaan-3 Mission:

    In-situ scientific experiments continue .....

    Laser-Induced Breakdown Spectroscope (LIBS) instrument onboard the Rover unambiguously confirms the presence of Sulphur (S) in the lunar surface near the south pole, through first-ever in-situ measurements.… pic.twitter.com/vDQmByWcSL

    — ISRO (@isro) August 29, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  • Chandrayaan-3 Mission:
    In-situ Scientific Experiments

    Radio Anatomy of Moon Bound Hypersensitive Ionosphere and Atmosphere - Langmuir Probe (RAMBHA-LP) payload onboard Chandrayaan-3 Lander has made first-ever measurements of the near-surface Lunar plasma environment over the… pic.twitter.com/n8ifIEr83h

    — ISRO (@isro) August 31, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

इसरो की ओर से जारी किए गए ग्राफ़िक रूप से दर्शाए गए शुरुआती विश्लेषणों में एल्युमीनियम (Al), कैल्शियम (Ca), आयरन (Fe), क्रोमियम (Cr), टाइटेनियम (Ti), मैंगनीज (Mn), सिलिकॉन (Si), और ऑक्सीजन (O) जैसे अन्य तत्वों का भी पता लगाया गया है. आगे के मापों से मैंगनीज (एमएन), सिलिकॉन (सी), और ऑक्सीजन (ओ) की उपस्थिति का भी पता चला है. हाइड्रोजन की मौजूदगी के संबंध में गहन जांच चल रही है.

चंद्रमा के तापमान का अध्ययन : चंद्रयान ने चंद्रमा की सतह के तापमान की भी जानकारी दी है. 27 अगस्त को इसरो ने चंद्रमा की सतह पर तापमान भिन्नता का एक ग्राफ जारी किया. इसके साथ ही अंतरिक्ष एजेंसी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने चंद्रमा पर दर्ज किए गए उच्च तापमान पर आश्चर्य व्यक्त किया है. अंतरिक्ष एजेंसी ने एक अपडेट साझा करते हुए कहा कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर चंद्रमा के सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE) पेलोड ने चंद्रमा की सतह के थर्मल व्यवहार को समझने के लिए ध्रुव के चारों ओर चंद्र ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रोफ़ाइल को मापा.

इसरो के वैज्ञानिक बीएचएम दारुकेशा ने कहा, 'अभी तक अंदाजा था कि चंद्रमा की सतह पर तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास हो सकता है, लेकिन यह 70 डिग्री सेंटीग्रेड है. आश्चर्यजनक रूप से यह हमारी अपेक्षा से कहीं अधिक है.'

चंद्रमा की सतह पर मिला 4-मीटर व्यास का गड्ढा: 27 अगस्त को, चंद्रमा की सतह पर चलते समय चंद्रयान -3 रोवर को 4-मीटर व्यास वाले गड्ढे के सामने आने से एक बाधा का सामना करना पड़ा. इसरो के एक अपडेट में कहा गया कि गड्ढा रोवर के स्थान से 3 मीटर आगे स्थित था. इसके बाद इसरो ने रोवर को अपने पथ पर वापस लौटने का आदेश देने का निर्णय लिया और सूचित किया कि रोवर अब सुरक्षित रूप से एक नए पथ पर आगे बढ़ रहा है.

गौरतलब है कि भारत ने 23 अगस्त को इसरो के महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्रमा मिशन चंद्रयान -3 के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) के चंद्रमा की सतह पर उतरने के साथ ही इतिहास रच दिया है. भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला केवल चौथा देश बन गया. जबकि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की बात की जाए तो वहां सफलतापूर्वक लैंडिग करने वाला पहला देश है.

चंद्रमा पर भूकंप! : वहीं, 31 अगस्त को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने कहा था कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा पर एक 'प्राकृतिक' भूकंपीय घटना का पता लगाया है. इसरो ने यह भी कहा कि चंद्रयान-3 लैंडर पर भूकंपीय गतिविधि का पता लगाने वाले उपकरण मिशन के प्रज्ञान रोवर और अन्य पेलोड की गतिविधियों के कारण होने वाले कंपन को रिकॉर्ड करने में भी कामयाब रहे.

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नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष और अनुसंधान संगठन (इसरो) ने विक्रम लैंडर के प्रज्ञान रोवर मॉड्यूल को 'स्लीप मोड' पर डाल दिया है. अब इसे चंद्रमा पर अगले सूर्योदय यानि 22 सितंबर, 2023 को फिर से ऑन करने की उम्मीद है. इसरो को असाइनमेंट के दूसरे सेट के लिए सफल होने की पूरी उम्मीद है (Chandrayaan 3 Update).

  • Chandrayaan-3 Mission:
    The Rover completed its assignments.

    It is now safely parked and set into Sleep mode.
    APXS and LIBS payloads are turned off.
    Data from these payloads is transmitted to the Earth via the Lander.

    Currently, the battery is fully charged.
    The solar panel is…

    — ISRO (@isro) September 2, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

रोवर के लिए आसन नहीं है रात : चंद्रमा पर एक दिन और एक रात पृथ्वी के 14 दिन और 14 रात के बराबर होता है. चंद्रमा पर रात के समय तापमान काफी कम होता है, यहां तक कि ये माइनस में 238 डिग्री तक चला जाता है. ऐसे में रोवर को पृथ्वी की करीब 14 रात तक इतना कम तापमान सहना पड़ेगा.

'चांद पर भारत के राजदूत के रूप में रहेगा' : इसरो ने ट्वीट किया, 'रोवर ने अपना कार्य पूरा कर लिया है. इसे अब सुरक्षित रूप से पार्क किया गया है और स्लीप मोड में सेट किया गया है. APXS और LIBS पेलोड बंद हैं. इन पेलोड से लैंडर के माध्यम से डेटा पृथ्वी पर भेजा जाता है. फिलहाल, बैटरी पूरी तरह से चार्ज है. सौर पैनल 22 सितंबर, 2023 को अपेक्षित अगले सूर्योदय पर प्रकाश प्राप्त करने के लिए उन्मुख है. रिसीवर चालू रखा गया है. कार्यों के दूसरे सेट के लिए सफल जागृति की आशा है. अन्यथा, यह हमेशा भारत के चंद्र राजदूत के रूप में वहीं रहेगा.' इससे पहले दिन में कहा गया था कि रोवर लैंडर से लगभग 100 मीटर दूर चला गया है.

  • Chandrayaan-3 Mission:

    On August 27, 2023, the Rover came across a 4-meter diameter crater positioned 3 meters ahead of its location.
    The Rover was commanded to retrace the path.

    It's now safely heading on a new path.#Chandrayaan_3#Ch3 pic.twitter.com/QfOmqDYvSF

    — ISRO (@isro) August 28, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

चंद्रयान-3 मिशन के तीन घटक: प्रोपल्शन मॉड्यूल, जो लैंडर और रोवर मॉड्यूल को चंद्र कक्षा के 100 किलोमीटर तक स्थानांतरित करता है. लैंडर मॉड्यूल, जो चंद्रयान की सॉफ्ट लैंडिंग के लिए जिम्मेदार था और रोवर मॉड्यूल, जो चंद्रयान-3 मिशन के लिए चंद्रमा पर घटकों की खोज के लिए जिम्मेदार था.

रोवर को अब तक चांद पर क्या-क्या मिला : भारत के चंद्रयान 3 के 'प्रज्ञान' रोवर पर लगे लेजर इंड्यूस्ट ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप उपकरण ने दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्र सतह में सल्फर की उपस्थिति की पुष्टि की है.

  • Chandrayaan-3 Mission:

    In-situ scientific experiments continue .....

    Laser-Induced Breakdown Spectroscope (LIBS) instrument onboard the Rover unambiguously confirms the presence of Sulphur (S) in the lunar surface near the south pole, through first-ever in-situ measurements.… pic.twitter.com/vDQmByWcSL

    — ISRO (@isro) August 29, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  • Chandrayaan-3 Mission:
    In-situ Scientific Experiments

    Radio Anatomy of Moon Bound Hypersensitive Ionosphere and Atmosphere - Langmuir Probe (RAMBHA-LP) payload onboard Chandrayaan-3 Lander has made first-ever measurements of the near-surface Lunar plasma environment over the… pic.twitter.com/n8ifIEr83h

    — ISRO (@isro) August 31, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

इसरो की ओर से जारी किए गए ग्राफ़िक रूप से दर्शाए गए शुरुआती विश्लेषणों में एल्युमीनियम (Al), कैल्शियम (Ca), आयरन (Fe), क्रोमियम (Cr), टाइटेनियम (Ti), मैंगनीज (Mn), सिलिकॉन (Si), और ऑक्सीजन (O) जैसे अन्य तत्वों का भी पता लगाया गया है. आगे के मापों से मैंगनीज (एमएन), सिलिकॉन (सी), और ऑक्सीजन (ओ) की उपस्थिति का भी पता चला है. हाइड्रोजन की मौजूदगी के संबंध में गहन जांच चल रही है.

चंद्रमा के तापमान का अध्ययन : चंद्रयान ने चंद्रमा की सतह के तापमान की भी जानकारी दी है. 27 अगस्त को इसरो ने चंद्रमा की सतह पर तापमान भिन्नता का एक ग्राफ जारी किया. इसके साथ ही अंतरिक्ष एजेंसी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने चंद्रमा पर दर्ज किए गए उच्च तापमान पर आश्चर्य व्यक्त किया है. अंतरिक्ष एजेंसी ने एक अपडेट साझा करते हुए कहा कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर चंद्रमा के सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE) पेलोड ने चंद्रमा की सतह के थर्मल व्यवहार को समझने के लिए ध्रुव के चारों ओर चंद्र ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रोफ़ाइल को मापा.

इसरो के वैज्ञानिक बीएचएम दारुकेशा ने कहा, 'अभी तक अंदाजा था कि चंद्रमा की सतह पर तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास हो सकता है, लेकिन यह 70 डिग्री सेंटीग्रेड है. आश्चर्यजनक रूप से यह हमारी अपेक्षा से कहीं अधिक है.'

चंद्रमा की सतह पर मिला 4-मीटर व्यास का गड्ढा: 27 अगस्त को, चंद्रमा की सतह पर चलते समय चंद्रयान -3 रोवर को 4-मीटर व्यास वाले गड्ढे के सामने आने से एक बाधा का सामना करना पड़ा. इसरो के एक अपडेट में कहा गया कि गड्ढा रोवर के स्थान से 3 मीटर आगे स्थित था. इसके बाद इसरो ने रोवर को अपने पथ पर वापस लौटने का आदेश देने का निर्णय लिया और सूचित किया कि रोवर अब सुरक्षित रूप से एक नए पथ पर आगे बढ़ रहा है.

गौरतलब है कि भारत ने 23 अगस्त को इसरो के महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्रमा मिशन चंद्रयान -3 के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) के चंद्रमा की सतह पर उतरने के साथ ही इतिहास रच दिया है. भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला केवल चौथा देश बन गया. जबकि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की बात की जाए तो वहां सफलतापूर्वक लैंडिग करने वाला पहला देश है.

चंद्रमा पर भूकंप! : वहीं, 31 अगस्त को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने कहा था कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा पर एक 'प्राकृतिक' भूकंपीय घटना का पता लगाया है. इसरो ने यह भी कहा कि चंद्रयान-3 लैंडर पर भूकंपीय गतिविधि का पता लगाने वाले उपकरण मिशन के प्रज्ञान रोवर और अन्य पेलोड की गतिविधियों के कारण होने वाले कंपन को रिकॉर्ड करने में भी कामयाब रहे.

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Last Updated : Sep 3, 2023, 6:12 PM IST
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