बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष और अनुसंधान संगठन (इसरो) के निदेशक, एस सोमनाथ ने घोषणा की है कि चंद्रयान -3, भारत का तीसरा चंद्र अन्वेषण मिशन, 14 जुलाई को दोपहर 2.35 बजे लॉन्च किया जाएगा. इसरो प्रमुख ने भारत की जी-20 प्रेसीडेंसी के हिस्से के रूप में गुरुवार को बेंगलुरु में आयोजित स्पेस इकोनॉमी लीडर्स मीट के पहले दिन यह टिप्पणी की. बैठक में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था साझा करने में द्विपक्षीय साझेदारी की संभावनाओं पर चर्चा हुई.
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग पर सोमनाथ ने कहा, '14 जुलाई को दोपहर 2.35 बजे चंद्रयान-3 उड़ान भरेगा और अगर सब कुछ ठीक रहा तो यह 23 अगस्त को (चंद्रमा पर) उतरेगा. इस आधार पर तारीख तय की जाती है कि चंद्रमा पर सूर्योदय कब होगा, यह तो गणनाओं पर निर्भर करेगा, लेकिन अगर इसमें देरी हुई तो हमें लैंडिंग अगले महीने सितंबर के लिए रखनी होगी.'
उन्होंने यह भी कहा कि इसरो का मुख्य उद्देश्य चंद्रयान-3 की सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग कराना है. सोमनाथ ने आगे कहा, 'हमारा मुख्य उद्देश्य सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग है, अगर यह सुरक्षित हो जाता है और सॉफ्ट लैंडिंग होती है तो सभी उपकरण ठीक रहेंगे. हम लैंडिंग सिस्टम के साथ अच्छे हैं. लैंडिंग के बाद रोवर बाहर आ जाएगा, रोवर में 6 पहिए हैं और हम उम्मीद कर रहे हैं रोवर चंद्रमा पर 14 दिनों तक काम करेगा. रोवर पर लगे कई कैमरों की मदद से हम तस्वीरें प्राप्त करेंगे. हमारे पास रोवर पर एक सौर पैनल है. हमने पहले ही इसका परीक्षण कर लिया है, और बैटरी के साथ हमारे पास अच्छे परिणाम हैं.
इसरो प्रमुख ने यह भी बताया कि बैठक में अंतरिक्ष एजेंसियों, उद्योगों और स्टार्ट-अप के बीच साझेदारी पर चर्चा की गई. अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में चुनौतियों पर उन्होंने कहा, 'अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में चुनौतियां, सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण. इसलिए आपको क्षमता बढ़ाने के लिए भारी निवेश करना होगा. निवेश की वापसी बहुत देर से होती है.' बैठक में 86 अंतरिक्ष कंपनियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
भारत के जी-20 शेरपा, अमिताभ कांत ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था बढ़ते राजस्व और इस क्षेत्र में अधिक वाणिज्यिक एक्टर्स के प्रवेश के साथ तेजी से विकास कर रहा है. उन्होंने कहा कि अध्ययनों से पता चलता है कि यह आने वाले दशकों में एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का क्षेत्र बन सकता है. कांत ने कहा, 'इस तेजी से वृद्धि के लिए दुनिया भर की सरकारों से समर्थन की आवश्यकता है. यही कारण है कि हम जी-20 बैठक के भीतर एक औपचारिक तत्व के रूप में अंतरिक्ष पर चर्चा कर रहे हैं.'
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विदेश राज्य मंत्री, राजकुमार रंजन सिंह ने कहा कि भारत में 400 से अधिक निजी अंतरिक्ष कंपनियां इस क्षेत्र का दोहन करने के लिए काम कर रही हैं. इसरो प्रमुख ने कहा,'हमारे पास एक छात्र आउटरीच कार्यक्रम भी है. यह कार्यक्रम युवा दिमागों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जलवायु परिवर्तन, कृषि फसल, खाद्य सुरक्षा, प्राकृतिक आपदाओं और यहां तक कि आर्थिक सूखे के वितरण की विविधता के बारे में अत्यधिक पूर्वानुमान ला सकती है. सिंह ने कहा, 'ये अनिश्चितताएं विकासशील देशों पर सबसे बुरा प्रभाव डालती हैं.' स्पेस इकोनॉमी लीडर्स मीट के पहले दिन 27 देशों और 33 उद्योगों की भागीदारी देखी गई. इसने अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की उद्योग क्षमताओं को प्रदर्शित किया. समापन दिवस पर अंतरिक्ष उद्योग साझेदारी पर एक सत्र होगा.
(एएनआई)