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बिहार में चमकी बुखार का बढ़ा प्रकोप, 12 साल तक के बच्चों को ज्यादा खतरा

बिहार में कोरोना के बाद वायरल फीवर से लोग परेशान हैं. बच्चों को वायरल फीवर अपनी चपेट में ले रहा है. इस फीवर में बच्चे कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. इन बीमारियों में से चमकी बुखार सबसे ज्यादा बच्चों को परेशान कर रहा है.

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Published : Sep 10, 2021, 10:18 PM IST

पटना : कोरोना के बाद अब वायरल फीवर (Viral Fever) ने प्रदेश में दहशत मचा रखी है. वायरल फीवर की चपेट में आने के बाद बीते 10 दिनों में प्रदेशभर में लगभग 30 से अधिक बच्चों की जानें गई हैं.

हजारों की संख्या में बच्चे वायरल फीवर से ग्रसित हैं. इस बार वायरल फीवर में कई प्रकार की बीमारियां सामने आ रही हैं. इनमें चमकी बुखार (Chamki Fever) भी शामिल है. वायरल फीवर में डेंगू, निमोनिया, मल्टी सिस्टमैटिक इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम, चमकी, टाइफाइड और कई प्रकार की वायरल इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी सामने आ रही है. इसमें सर्वाधिक मामले चमकी बुखार के मिल रहे हैं.

कोरोना के बाद अब वायरल फीवर से लोग परेशान

प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच के 276 बेड के शिशु वार्ड में 250 से अधिक मरीज एडमिट हैं. इसमें 35 फीसदी मामले चमकी बुखार के हैं. अस्पताल का शिशु इमरजेंसी वार्ड पूरी तरह भरा हुआ है. वायरल बुखार के मामलों में 3 माह से लेकर 12 साल के बच्चे शामिल हैं.

पीएमसीएच के शिशु विभाग के कर्मचारियों ने जानकारी दी कि अस्पताल के शिशु ओपीडी में प्रतिदिन 170 से 200 की संख्या में वायरल बुखार की शिकायत को लेकर मरीज पहुंच रहे हैं. इनमें से 30 से 35 बच्चों को प्रतिदिन वार्ड में एडमिट करना पड़ रहा है.

अस्पताल में ट्रीटमेंट प्रोटोकोल को लेकर क्या कुछ फॉलो किया जा रहा है, इस पर अस्पताल के चिकित्सकों ने कोई जानकारी नहीं दी. उनका साफ कहना था कि इस मसले पर कुछ भी जानकारी अधीक्षक देंगे. काफी देर इंतजार कराने के बाद भी अधीक्षक ने व्यस्तता का हवाला देते हुए संवाददाता से मिलने से मना कर दिया.

हालांकि शिशु वार्ड के चिकित्सकों ने ऑफ कैमरा यह जानकारी जरूर दी कि जिन बच्चों में कोरोना जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं, उनका कोरोना जांच कराया जा रहा है. लेकिन एंटीबॉडी टेस्ट अभी नहीं कराया जा रहा है. बताते चलें कि इस बार वायरल फीवर में एमआईसी के भी मामले काफी सामने आ रहे हैं.

ऐसे में यह गंभीर बात है कि पीएमसीएच जैसे संस्थान में गंभीर रूप से संक्रमित वायरल फीवर के बच्चे पहुंच रहे हैं. लेकिन उनका एंटीबॉडी टेस्ट नहीं किया जा रहा है. जिससे यह पता चल सके कि कहीं वह पूर्व में कोरोना से तो संक्रमित नहीं हुए और यह उसका साइड इफेक्ट तो नहीं है.

'मेरे 4 माह के बच्चे को लगभग 1 महीने से बुखार परेशान कर रहा है. जन्म के 3 महीने तक बच्चा ठीक रहा. लेकिन उसके बाद उसे फीवर आने लगा. जिसके बाद पीएमसीएच में 9 दिन एडमिट करना पड़ा. यहां से ठीक होने के बाद जब घर गए तो कुछ दिनों बाद फिर से बच्चे को फीवर रहने लगा. ऐसे में फिर पीएमसीएच आना पड़ा. बीते 5 दिनों से यहां एडमिट है. बच्चे को खांसी बुखार के साथ-साथ हफनी की शिकायत थी. पीएमसीएच में डॉक्टरों ने देखा और बताया कि इसे चमकी बुखार है. जिसके बाद इसका ट्रीटमेंट चला. 5 दिन ट्रीटमेंट के हो गए हैं, बच्चे के सेहत में सुधार है. ऐसे में अस्पताल ने दवाइयां प्रिसक्राइब कर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया है.' -शैलेश, सोनपुर

'बेटे को काफी बुखार था. राजकुमार (10 वर्षीय) को लगभग 20 दिनों पहले काफी ज्यादा बुखार आ गया था. बुखार इतना चढ़ गया कि बेटा अनकांशस हो गया. इसके बाद पीएमसीएच में 15 दिन पहले बच्चे को दिखाने पहुंचे. डॉक्टरों ने कहा कि इसे चमकी बुखार का अटैक है और बच्चा कोमा में चला गया है. कोमा से बच्चा जल्दी भी बाहर आ सकता है और काफी लंबा समय भी लग सकता है. डॉक्टर ने एक बार फिर से जांच लिखा है और कहा है कि ब्रेन में इसके सूजन आ गया है. बच्चे का जांच कराने निकले हुए हैं. जांच के बाद फिर पता चलेगा कि डॉक्टर अस्पताल में रखेंगे या फिर घर जाने के लिए कहेंगे.' -राम अलख साह, वैशाली

यह भी पढ़ें-मीडिया समूह पर छापा : एक हजार करोड़ रुपये से अधिक के 'बेहिसाबी लेनदेन' का पता लगा : सीबीडीटी

बता दें कि राम अलख साह जब अपने 10 वर्षीय कोमा में गए बच्चे को जांच कराने के लिए निकले तो उन्हें एक ट्रॉली भी नसीब नहीं हुई. वे बच्चे को गोद में लेकर पीएमसीएच में विभिन्न जगह जांच कराने के लिए भटकते रहे. एमआरआई, सीटी स्कैन, ब्लड टेस्ट पीएमसीएच में अलग-अलग जगह पर होते हैं. ऐसे में कोमा में गए बच्चे को गोद में लेकर बेबस पिता भटकता हुआ नजर आया.

पटना : कोरोना के बाद अब वायरल फीवर (Viral Fever) ने प्रदेश में दहशत मचा रखी है. वायरल फीवर की चपेट में आने के बाद बीते 10 दिनों में प्रदेशभर में लगभग 30 से अधिक बच्चों की जानें गई हैं.

हजारों की संख्या में बच्चे वायरल फीवर से ग्रसित हैं. इस बार वायरल फीवर में कई प्रकार की बीमारियां सामने आ रही हैं. इनमें चमकी बुखार (Chamki Fever) भी शामिल है. वायरल फीवर में डेंगू, निमोनिया, मल्टी सिस्टमैटिक इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम, चमकी, टाइफाइड और कई प्रकार की वायरल इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी सामने आ रही है. इसमें सर्वाधिक मामले चमकी बुखार के मिल रहे हैं.

कोरोना के बाद अब वायरल फीवर से लोग परेशान

प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच के 276 बेड के शिशु वार्ड में 250 से अधिक मरीज एडमिट हैं. इसमें 35 फीसदी मामले चमकी बुखार के हैं. अस्पताल का शिशु इमरजेंसी वार्ड पूरी तरह भरा हुआ है. वायरल बुखार के मामलों में 3 माह से लेकर 12 साल के बच्चे शामिल हैं.

पीएमसीएच के शिशु विभाग के कर्मचारियों ने जानकारी दी कि अस्पताल के शिशु ओपीडी में प्रतिदिन 170 से 200 की संख्या में वायरल बुखार की शिकायत को लेकर मरीज पहुंच रहे हैं. इनमें से 30 से 35 बच्चों को प्रतिदिन वार्ड में एडमिट करना पड़ रहा है.

अस्पताल में ट्रीटमेंट प्रोटोकोल को लेकर क्या कुछ फॉलो किया जा रहा है, इस पर अस्पताल के चिकित्सकों ने कोई जानकारी नहीं दी. उनका साफ कहना था कि इस मसले पर कुछ भी जानकारी अधीक्षक देंगे. काफी देर इंतजार कराने के बाद भी अधीक्षक ने व्यस्तता का हवाला देते हुए संवाददाता से मिलने से मना कर दिया.

हालांकि शिशु वार्ड के चिकित्सकों ने ऑफ कैमरा यह जानकारी जरूर दी कि जिन बच्चों में कोरोना जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं, उनका कोरोना जांच कराया जा रहा है. लेकिन एंटीबॉडी टेस्ट अभी नहीं कराया जा रहा है. बताते चलें कि इस बार वायरल फीवर में एमआईसी के भी मामले काफी सामने आ रहे हैं.

ऐसे में यह गंभीर बात है कि पीएमसीएच जैसे संस्थान में गंभीर रूप से संक्रमित वायरल फीवर के बच्चे पहुंच रहे हैं. लेकिन उनका एंटीबॉडी टेस्ट नहीं किया जा रहा है. जिससे यह पता चल सके कि कहीं वह पूर्व में कोरोना से तो संक्रमित नहीं हुए और यह उसका साइड इफेक्ट तो नहीं है.

'मेरे 4 माह के बच्चे को लगभग 1 महीने से बुखार परेशान कर रहा है. जन्म के 3 महीने तक बच्चा ठीक रहा. लेकिन उसके बाद उसे फीवर आने लगा. जिसके बाद पीएमसीएच में 9 दिन एडमिट करना पड़ा. यहां से ठीक होने के बाद जब घर गए तो कुछ दिनों बाद फिर से बच्चे को फीवर रहने लगा. ऐसे में फिर पीएमसीएच आना पड़ा. बीते 5 दिनों से यहां एडमिट है. बच्चे को खांसी बुखार के साथ-साथ हफनी की शिकायत थी. पीएमसीएच में डॉक्टरों ने देखा और बताया कि इसे चमकी बुखार है. जिसके बाद इसका ट्रीटमेंट चला. 5 दिन ट्रीटमेंट के हो गए हैं, बच्चे के सेहत में सुधार है. ऐसे में अस्पताल ने दवाइयां प्रिसक्राइब कर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया है.' -शैलेश, सोनपुर

'बेटे को काफी बुखार था. राजकुमार (10 वर्षीय) को लगभग 20 दिनों पहले काफी ज्यादा बुखार आ गया था. बुखार इतना चढ़ गया कि बेटा अनकांशस हो गया. इसके बाद पीएमसीएच में 15 दिन पहले बच्चे को दिखाने पहुंचे. डॉक्टरों ने कहा कि इसे चमकी बुखार का अटैक है और बच्चा कोमा में चला गया है. कोमा से बच्चा जल्दी भी बाहर आ सकता है और काफी लंबा समय भी लग सकता है. डॉक्टर ने एक बार फिर से जांच लिखा है और कहा है कि ब्रेन में इसके सूजन आ गया है. बच्चे का जांच कराने निकले हुए हैं. जांच के बाद फिर पता चलेगा कि डॉक्टर अस्पताल में रखेंगे या फिर घर जाने के लिए कहेंगे.' -राम अलख साह, वैशाली

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बता दें कि राम अलख साह जब अपने 10 वर्षीय कोमा में गए बच्चे को जांच कराने के लिए निकले तो उन्हें एक ट्रॉली भी नसीब नहीं हुई. वे बच्चे को गोद में लेकर पीएमसीएच में विभिन्न जगह जांच कराने के लिए भटकते रहे. एमआरआई, सीटी स्कैन, ब्लड टेस्ट पीएमसीएच में अलग-अलग जगह पर होते हैं. ऐसे में कोमा में गए बच्चे को गोद में लेकर बेबस पिता भटकता हुआ नजर आया.

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