जयपुर : चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा की तिथि यानी आज से मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की आराधना शुरू हो गई है. हिन्दू धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व है और इस बार हिन्दू नववर्ष पर ही नवरात्रों का शुभारंभ हो रहा है. भक्त 9 दिनों तक व्रत रखकर माता की भक्ति में लीन रहेंगे. इससे पहले प्रथम दिन शुभ मुहूर्त के अनुसार ही कलश स्थापना करने का विधान है.
कलश स्थापना का मुहूर्त सुबह
कलश स्थापना के साथ ही शक्ति की उपासना का महापर्व नवरात्रों का आरंभ हो गया है. नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना का विधान है और देवी के आह्वान के लिए कलश स्थापना का सुबह का लग्न शुभ होता है. इस बार सर्वार्थसिद्धि योग के अलावा कुमार योग, अमृत योग और रवि योग का विशेष संयोग ज्योतिष शास्त्र में बेहद शुभ माना गया है.
ऐसे में मंगलवार को सुबह 5.38 बजे से 9.38 बजे तक कलश स्थापना मुहूर्त रहेगा. इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त 11.29 बजे से 12.38 बजे तक घटस्थापना कर सकेंगे, जिसमें मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की आराधना की जाएगी. इसके अलावा सभी भक्त चौघड़िए के हिसाब से भी कलश की स्थापना कर सकते हैं.
कलश स्थापना करते समय ये ध्यान रखें
हर साल नवदुर्गा अलग-अलग वाहन से धरती पर आती हैं और इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी. ऐसे में उनकी कलश स्थापना करते समय पूजन विधि को लेकर भी कई बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. जिस पर ज्योतिषाचार्य राजेश शर्मा ने कहा कि सबसे पहले कलश स्थापना करते समय एक मिट्टी का कलश लेकर उसमें स्वच्छ जल भरकर उसमें गंगाजल, गुलाबजल डालना चाहिए. शास्त्रों का मानना है कि सभी पवित्र नदियों का जल इसमें समावित होना चाहिए और उनकी विचारों के साथ कलश स्थापना का शुभारंभ करें.
उसके बाद मंत्रोच्चार करके मां दुर्गा के 9 रूपों का ध्यान करें. वहीं लाल कपड़े पर जुहारें बिछाकर मिट्टी के दीपक को प्रज्वलित करें और चावल रखकर एक नारियल चढ़ाएं. ध्यान रहे नारियल का मुख आपकी तरफ होना चाहिए और उसके ऊपर लाल वस्त्र पहनाकर मोली चढ़ा दें. फिर मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करें.
नवरात्र में किस दिन कौनसी देवी की होगी विशेष पूजा
नवरात्र में 9 दिनों तक भक्त मां की पूजा-आराधना करते हैं. व्रत को आध्यात्म की पहली सीढ़ी कहा गया है. व्रत का तात्पर्य होता है अपने इंद्रियों को वश में करने की विधि. फिर यहीं से हम व्रत की शुरुआत करते हैं और माता के सामने एक संकल्प लेते हैं कि वो 9 दिन तक उनकी पूजा करेंगे और अखण्ड या फिर एक समय भोजन करने का प्रण लेते हैं.
उसी उपवास के तप में मां दुर्गा को प्रसन्न करने का भक्त प्रयास करता है. शास्त्रों के अनुसार नवरात्र पर माता जल्दी अपने भक्तों पर प्रसन्न हो जाती हैं. नवरात्र पर देवी मां अपने सच्चे भक्तों पर विशेष कृपा रहती हैं. ऐसे में नवरात्र पर देवी मां जिन भक्तों पर प्रसन्न होती हैं उन्हें शुभ आशीर्वाद देती है.