दंतेवाड़ा : बस्तर में पहले चरण का मतदान संपन्न हुआ.इस दौरान लोकतंत्र के महापर्व का हिस्सा बने दो ऐसे परिवार जिनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था.बावजूद इसके विषम परिस्थितियों में परिवार ने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए मतदान में हिस्सा लिया.परिवारों के इस योगदान के लिए निर्वाचन आयोग ने भी दोनों ही परिवारों की सराहना करते हुए आभार पत्र दिया है.
बच्चे की मौत के बाद भी मतदान : 4 नवंबर को जिला अस्पताल में टुकेश्वरी सलामे ने दो बच्चों को जन्म दिया. जिसमें एक बच्चे की मृत्यु जन्म के बाद हो गई.वहीं दूसरा बच्चा जीवन और मृत्यु के बीच झूल रहा था.जिसे बचाने के लिए दंतेवाड़ा से जगदलपुर के लिए रिफर किया गया. जहां तीन दिन बाद दूसरे बच्चे की मौत हो गई.लेकिन उस दिन 7 नवंबर को मतदान था. एक तरफ दूसरे बच्चे को खोने का गम तो दूसरी तरफ लोकतंत्र का महापर्व. इस विकट परिस्थिति में सलाम परिवार ने दोनों ही धर्म निभाए. जिन हाथों की उंगलियों से अपने बच्चों को सहलाया था.उन्हीं उंगलियों में पहले दंपति ने वोट की अमिट स्याही लगवाई.पति-पत्नी भगवत प्रसाद सलामे और टुकेश्वरी सलामे ने मतदान किया.दोनों ने अपना वोट मतदान केंद्र 98 में डाला.इसके बाद घर वापस आकर अपने बच्चे का अंतिम संस्कार किया.
पिता की मौत के बाद भी बच्चों ने किया मतदान : वहीं मोहम्मद सोहेल खान और मोहम्मद सरफराज खान के पिता का देहांत जिला अस्पताल दंतेवाड़ा में 4 नवंबर को हो गया था.जिनका अंतिम संस्कार 5 नवंबर को किया गया. 7 नवंबर को मतदान वाले दिन पूरा परिवार मतदान करने आया.
चुनाव आयोग ने परिवारों के योगदान को सराहा : दोनों परिवारों के परिजनों का धैर्य और मानसिक संबल दूसरों के लिए प्रेरणा देने वाला है. इससे दूसरे मतदाताओं को भी प्रेरणा मिलेगी. इन दोनों ही परिवारों ने कठोर मानसिक आघात के बाद भी नागरिक होने का कर्तव्य निभाया.दोनों ही परिवारों के इस अमूल्य योगदान के लिए चुनाव आयोग ने सराहना करते हुए आभार पत्र दिया है.