नई दिल्ली : केंद्र सरकार के द्वारा तटीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिए मछुआरों को 3.5 लाख मुफ्त ट्रांसपोंडर प्रदान किया जाएगा. इससे उन्हें ट्रैक करने मदद करने मिलेगी साथ ही उनके व्यवसाय को भी बढ़ावा मिलेगा. इस बारे में अधिकारियों ने बताया कि चरणबद्ध तरीके से 3.5 मछुआरों को दो तरफ ट्रांसपोंडर मुहैया कराए जा रहे हैं. पहले चरण में 20 मीटर से कम आकार की नावों पर एक लाख ट्रांसपोंडर लगाए जाएंगे. यह परियोजना प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत संचालित की जा रही है.
बता दें कि ट्रांसपोंडर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा तैयार किए जा रहे हैं. साथ ही यह लॉन्च किए जाने वाले उपग्रहों से संबद्ध होंगे. इसके मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के साथ राज्यों और केंद्र के मत्स्य विभागों सहित सरकारी संगठन तटीय क्षेत्रों में परियोजना के कार्यान्वयन के लिए समन्वय कर रहे हैं. अधिकारियों ने कहा कि ट्रांसपोंडर न केवल निगरानी एजेंसियों को हर समय मछली पकड़ने वाली नौकाओं के स्थान को जानने की अनुमति देगा, बल्कि उन्हें समुद्र से एजेंसियों से संपर्क करने की भी अनुमति प्रदान करेगा. इसके अलावा ट्रांसपोंडर के जरिये एजेंसियों को मछुआरों को चक्रवात या अन्य मौसम की स्थिति के बारे में चेतावनी भी भेजी जा सकेगी. वहीं संकट की स्थिति में भी मछुआरे के इसके माध्यम से संपर्क कर सहायता प्राप्त कर सकेंगे. इन ट्रांसपोंडरों को उप-20 मीटर नावों पर स्थापित करने की एक पायलट परियोजना तमिलनाडु में शुरू हो गई है.
गौरतलब है कि राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक वाइस एडमिरल (सेवानिवृत्त) जी अशोक कुमार का कार्यालय द्वारा मछुआरों के लिए व्यापार करने में आसानी बढ़ाने के लिए राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के साथ काम कर रहा है. वहीं एजेंसियां आधार कार्ड की तरह अपने पहचान पत्र की फोटोकॉपी ले जाने की अनुमति देंगी जिससे मूल दस्तावेज की मुश्किलों से बचा जा सकेगा. इतना ही नहीं तटीय सुरक्षा पर विशेष जोर देने के साथ समुद्री सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भारत सरकार ने नवंबर 2021 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तहत पहला राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक नियुक्त किया था. इसी क्रम में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (National security advisor Ajit Doval) ने बहु-एजेंसी समुद्री सुरक्षा समूह की बैठक को संबोधित किया जिसमें समुद्री क्षेत्र से संबंधित सभी हितधारक शामिल हैं.
खास बात यह भी है कि मुंबई में 2008 के हमलों के बाद मछली पकड़ने वाले जहाजों में एक स्वचालित पहचान प्रणाली की स्थापना अनिवार्य कर दी गई थी, क्योंकि पाकिस्तान के आतंकवादियों ने भारतीय जलक्षेत्र में प्रवेश करने के लिए एक चोरी की नाव का इस्तेमाल करने के साथ ही मुंबई में कई ठिकानों पर हमले किए थे.
ये भी पढ़ें - देश की समुद्री सुरक्षा से जुड़ी सभी एजेंसियों के बीच समन्वय जरूरी : डोभाल
(ANI)