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Japanese Encephalitis : केंद्र ने राज्यों से जापानी बुखार के खिलाफ सावधानी बरतने को कहा

देशभर में 2022 में जापानी इंसेफेलाइटिस के 942 मामले सामने आए हैं. इस बीमारी से जान गंवाने वालों की संख्या 127 है. इसी अवधि के दौरान भारत भर के विभिन्न राज्यों से कुल 6002 एईएस मामले सामने आए, जिनमें से 232 लोगों की मौत हो गई. वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

Union Health Ministry
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय
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Published : Feb 25, 2023, 9:34 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कई राज्यों विशेषकर असम, झारखंड, मेघालय, मणिपुर, तमिलनाडु, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश को जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) सहित एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के संभावित प्रकोप को रोकने के लिए सभी आवश्यक सावधानी बरतने को कहा है.

ईटीवी भारत के पास मौजूद सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, असम में 2022 में एईएस के 993 मामले सामने आए जिनमें से 160 लोगों की मौत हुई है. उसी वर्ष राज्य में जेई के 450 मामले दर्ज किए गए और इसके बाद 96 मौतें हुईं.

झारखंड में एईएस के 809 मामले और जेई के 73 मामले दर्ज किए गए. मणिपुर में 286 एईएस मामले दर्ज किए गए और 6 मौतें हुईं. यहां जेई के 58 मामले सामने आए, जिनमें से 6 मौतें हुईं. मेघालय में एईएस के 254 मामले सामने आए, 1 मरीज की मौत हुई. यहां जेई के 67 मामले और एक मौत दर्ज की गई. आंकड़ों के अनुसार, ओडिशा ने 2022 में 257 एईएस मामले दर्ज किए और छह मौतें हुईं. यहां जापानी एन्सेफलाइटिस के 26 मामले सामने आए.

तमिलनाडु में एईएस के 366 मामले और जेई के 22 मामले दर्ज किए गए. उत्तर प्रदेश में 2022 में 1092 एईएस मामले दर्ज किए गए और 24 मौतें हुईं. यहांजेई के 112 मामले सामने आए और तीन मौतें हुईं.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल में 2022 में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के 1287 मामले दर्ज किए गए और 24 मौतें हुईं. यहां जेई के 39 मामले और तीन मौतें हुईं. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि 'मूल रूप से फरवरी से सितंबर तक एईएस/जेई के मामले एक प्रमुख चिंता का विषय बन जाते हैं. हालांकि हमने सभी राज्यों को सभी आवश्यक सावधानी बरतने के लिए कहा है, फिर भी हम जिला प्रशासन की सहायता के लिए केंद्रीय टीम भी भेजेंगे.'

हालांकि, एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) और जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) के अलावा चिकनपॉक्स, चिकनगुनिया, डेंगू, रूबेला, हैजा जैसे मामले विभिन्न राज्यों से आते रहते हैं.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2022 में पूरे भारत से जेई के 942 मामले सामने आए हैं और साथ ही 127 मौतें भी हुई हैं. इसी अवधि के दौरान भारत भर के विभिन्न राज्यों से कुल 6002 एईएस मामले सामने आए और इसके बाद 232 मौतें हुईं. हालांकि, 2021 में यह संख्या कम थी, क्योंकि 70 मौतों के साथ पूरे भारत से 787 जेई मामले सामने आए थे. 2021 में एईएस मामलों की संख्या 6377 और 221 मौतें थीं.

जापानी एन्सेफलाइटिस सहित एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम एक वायरल बीमारी है जो मुख्य रूप से क्यूलेक्स ट्राइटेनियोरहाइन्चस, क्यूलेक्स विष्णुई और क्यूलेक्स स्यूडोविश्नुई समूह से संबंधित मादा मच्छरों के काटने से फैलती है. जेई वायरस अपने प्राकृतिक चक्र में मुख्य रूप से जूनोटिक है. जो मुख्य रूप से मनुष्य के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है.

यह वायरस संक्रमण एन्सेफलाइटिस पैदा करने वाले किसी भी अन्य वायरस के समान लक्षणों को जन्म देता है. संक्रमण के परिणामस्वरूप सिरदर्द से लेकर मेनिन्जाइटिस या एन्सेफलाइटिस तक के न्यूरोलॉजिकल लक्षणों से जुड़ी गंभीरता की बुखार संबंधी बीमारी हो सकती है.

पढ़ें- 90 new Covid variant in India : 'भारत में दो महीनों में 90 नए कोविड वेरिएंट पाए गए'

नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कई राज्यों विशेषकर असम, झारखंड, मेघालय, मणिपुर, तमिलनाडु, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश को जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) सहित एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के संभावित प्रकोप को रोकने के लिए सभी आवश्यक सावधानी बरतने को कहा है.

ईटीवी भारत के पास मौजूद सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, असम में 2022 में एईएस के 993 मामले सामने आए जिनमें से 160 लोगों की मौत हुई है. उसी वर्ष राज्य में जेई के 450 मामले दर्ज किए गए और इसके बाद 96 मौतें हुईं.

झारखंड में एईएस के 809 मामले और जेई के 73 मामले दर्ज किए गए. मणिपुर में 286 एईएस मामले दर्ज किए गए और 6 मौतें हुईं. यहां जेई के 58 मामले सामने आए, जिनमें से 6 मौतें हुईं. मेघालय में एईएस के 254 मामले सामने आए, 1 मरीज की मौत हुई. यहां जेई के 67 मामले और एक मौत दर्ज की गई. आंकड़ों के अनुसार, ओडिशा ने 2022 में 257 एईएस मामले दर्ज किए और छह मौतें हुईं. यहां जापानी एन्सेफलाइटिस के 26 मामले सामने आए.

तमिलनाडु में एईएस के 366 मामले और जेई के 22 मामले दर्ज किए गए. उत्तर प्रदेश में 2022 में 1092 एईएस मामले दर्ज किए गए और 24 मौतें हुईं. यहांजेई के 112 मामले सामने आए और तीन मौतें हुईं.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल में 2022 में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के 1287 मामले दर्ज किए गए और 24 मौतें हुईं. यहां जेई के 39 मामले और तीन मौतें हुईं. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया कि 'मूल रूप से फरवरी से सितंबर तक एईएस/जेई के मामले एक प्रमुख चिंता का विषय बन जाते हैं. हालांकि हमने सभी राज्यों को सभी आवश्यक सावधानी बरतने के लिए कहा है, फिर भी हम जिला प्रशासन की सहायता के लिए केंद्रीय टीम भी भेजेंगे.'

हालांकि, एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) और जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) के अलावा चिकनपॉक्स, चिकनगुनिया, डेंगू, रूबेला, हैजा जैसे मामले विभिन्न राज्यों से आते रहते हैं.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2022 में पूरे भारत से जेई के 942 मामले सामने आए हैं और साथ ही 127 मौतें भी हुई हैं. इसी अवधि के दौरान भारत भर के विभिन्न राज्यों से कुल 6002 एईएस मामले सामने आए और इसके बाद 232 मौतें हुईं. हालांकि, 2021 में यह संख्या कम थी, क्योंकि 70 मौतों के साथ पूरे भारत से 787 जेई मामले सामने आए थे. 2021 में एईएस मामलों की संख्या 6377 और 221 मौतें थीं.

जापानी एन्सेफलाइटिस सहित एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम एक वायरल बीमारी है जो मुख्य रूप से क्यूलेक्स ट्राइटेनियोरहाइन्चस, क्यूलेक्स विष्णुई और क्यूलेक्स स्यूडोविश्नुई समूह से संबंधित मादा मच्छरों के काटने से फैलती है. जेई वायरस अपने प्राकृतिक चक्र में मुख्य रूप से जूनोटिक है. जो मुख्य रूप से मनुष्य के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है.

यह वायरस संक्रमण एन्सेफलाइटिस पैदा करने वाले किसी भी अन्य वायरस के समान लक्षणों को जन्म देता है. संक्रमण के परिणामस्वरूप सिरदर्द से लेकर मेनिन्जाइटिस या एन्सेफलाइटिस तक के न्यूरोलॉजिकल लक्षणों से जुड़ी गंभीरता की बुखार संबंधी बीमारी हो सकती है.

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