नई दिल्ली : राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि देश में कोरोनो वायरस की दूसरी लहर के साथ नागरिक जूझ रहे हैं. इसलिए कई राज्यों की सरकारें प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए एक बार फिर प्रतिबंध लगा रही हैं.
हालांकि कांग्रेस बार-बार यह आरोप लगाती रही है कि केंद्र सरकार देश में कोविड-19 से निपटने के लिए दिए गए सुझावों को अनदेखा कर रही है. जिससे राज्यों को कोरोना पर लगाम लगाने के लिए कठोर उपायों के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री जयशंकर ने बयान दिया कि भारत 80 देशों को टीके की आपूर्ति जारी रखेगा. जब आपके पास यहां पर्याप्त टीके नहीं हैं तो आप इसे क्यों निर्यात करना चाहते हैं? हमारी आबादी का केवल 1 प्रतिशत टीकाकरण हुआ है. हम इसकी परवाह नहीं कर रहे हैं. इसलिए विपक्ष जो भी अच्छी बात कहे, केंद्र को उसे स्वीकार करना चाहिए. उन्हें इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए.
महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को अगले 15 दिनों के लिए धारा 144 लागू कर राज्य में तालाबंदी लागू कर दी. हालांकि सार्वजनिक परिवहन और आवश्यक सेवाएं खुली रहेंगी. राज्य सरकार ने राज्य व्यापी कर्फ्यू के दौरान राज्य के लोगों का समर्थन करने के लिए 5400 करोड़ रुपये खर्च करने की भी घोषणा की है.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने गरीब लोगों को वित्तीय मदद देने की आवश्यकता के बारे में विचार करते हुए लॉकडाउन लगाने के लिए महाराष्ट्र सरकार की प्रशंसा की. उन्होंने राज्य सरकार से कुछ सीखने के लिए नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर भी कटाक्ष किया.
जब खड़गे से पूछा गया कि क्या वे लॉकडाउन का समर्थन कर रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि नहीं, यह कोई समाधान नहीं है. यह उन लोगों के लिए है जिनके पास पैसा है और वे कुछ भी कर सकते हैं. गरीब लोगों, असंगठित श्रमिकों के बारे में क्या है. यहां तक कि संगठित श्रमिक जिनके कारखाने बंद हो गए हैं? उनका क्या होगा. उनके लिए तो जीवित रहना बहुत मुश्किल होगा. आजीविका को बचाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है.
केंद्र सरकार द्वारा सीबीएसई परीक्षा स्थगित करने के मुद्दे पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि प्रियंका गांधी ने जो भी कहा है वह एक सच्चाई है. हमें कुछ लोगों के हाथों में नहीं खेलना चाहिए. बच्चे बहुत संवेदनशील होते हैं. वे हमारा भविष्य हैं. वे इस देश का निर्माण करेंगे. यही कारण है कि उन्हें सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है.
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कहा कि अगर इन परीक्षाओं को स्थगित कर दिया जाएगा तो कुछ भी नहीं होने वाला है. इसलिए उन्हें विपक्ष के कुछ सुझावों को स्वीकार करना चाहिए.