ETV Bharat / bharat

48 drugs of sub standard quality: CDSCO ने खराब गुणवत्ता वाली दवाओं की जारी की लिस्ट, डालें एक नजर - खराब क्वालिटी वाली दवाओं की लिस्ट

इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने अगस्त महीने में खराब क्ववालिटी वाली कफ सिरप मामले को गंभीरता से लेते हुए करीब 66 लाइसेंस निलंबित किए थे.

CDSCO detects 48 drugs of sub standard quality
CDSCO ने खराब गुणवत्ता वाली दवाओं की जारी की लिस्ट
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 7, 2023, 7:57 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने शनिवार को खराब क्वालिटी वाली दवाओं की एक लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट में करीब 48 दवाओं को शामिल किया गया है. सीडीएससीओ के मुताबिक इस लिस्ट में हिमाचल प्रदेश और गुजरात के दवा उत्पादक शामिल हैं. इससे पहले भी ऐसी खराब गुणवत्ता वाली 147 दवाओं का पता चल चुका है. वहीं, जून महीने में 48 और जुलाई महीने में 51 घटिया क्वालिटी की दवाओं के बारे में जानकारी दी गई थी.

बता दें, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) भारत का प्रमुख दवा नियामक है जो दवाओं के आयात, नई दवाओं की मंजूरी और नैदानिक ​​परीक्षणों को नियंत्रित करता है. ड्रग रेगुलेटर ने अगस्त महीने में भी 1,166 दवाओं का परीक्षण किया था, जिनमें से 1,118 दवाओं को मानक की कसौटी पर सही पाया गया. इस लिस्ट में गुजरात स्थित निर्माताओं की आठ दवाएं और हिमाचल प्रदेश निर्माताओं की करीब 10 दवाएं खराब पाई गईं.

रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात के दवा निर्माताओं के कफ सिरप और इंजेक्शन के लिए सेफोटैक्सिम खराब पाए गए. इन खराब गुणवत्ता वाली दवाओं की लिस्ट में गुजरात की आन फॉर्मा प्राइवेट लिमिटेड, मेडिस्की फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड, ग्लोबेला फार्मा प्रा. लिमिटेड, नॉरिस मेडिसिन्स लिमिटेड, मान फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड, आर्म्ड फॉर्मूलेशन प्राइवेट लिमिटेड, ग्लेडियोस प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां शामिल हैं. इसके अलावा नॉरिस मेडिसिंस लिमिटेड की एक कफ सिरप और एंटी एलर्जी सिरप भी शामिल है, इन दवाओं का संबंध दुनियाभर में हुई कई मौतों से जुड़ा है. खराब गुणवत्ता वाली दवाओं की लिस्ट में हिमाचल प्रदेश के कई उत्पादक भी शामिल हैं, जो लैक्टिक एसिड कैप्सूल बना रहे थे और वे मानक पर खरी नहीं पाई गईं.

इस मुद्दे पर एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया (एएचपीआई) के महानिदेशक डॉ. गिरिधर ज्ञानी ने कहा कि सीडीएससीओ द्वारा खराब गुणवत्ता वाली दवाओं का पता लगाना एक नियमित प्रक्रिया है जिसके बाद दवा निर्माताओं को अपने मानकों में सुधार करने को कहा जाता है. उन्होंने आगे कहा कि एक बार जब कोई दवा घटिया क्वालिटी की पाई जाती है तो उसको बाजार में बेचने की परमीशन न देकर बल्कि उस कंपनी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाती है.

पढ़ें: मिलावटी कफ सिरप को लेकर 66 मामलों में उत्पाद लाइसेंस निलंबित किए गए: स्वास्थ्य मंत्रालय

ज्ञानी ने कहा कि कुछ समय पहले भारत में निर्मित ऐसी कफ सिरप को लेकर हड़कंप मच गया था, जिनसे कई देशों से गंभीर परिणाम सामने आए थे. इसके बाद गंभीरता बरतते हुए केंद्र सरकार ने इस साल के जून महीने से सिरप निर्माताओं को आदेश देते हुए कहा था कि कंपनियां अपने उत्पादों को निर्यात करने से पहले नमूनों की जांच अनिवार्य रूप से करेंगी.

नई दिल्ली: केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने शनिवार को खराब क्वालिटी वाली दवाओं की एक लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट में करीब 48 दवाओं को शामिल किया गया है. सीडीएससीओ के मुताबिक इस लिस्ट में हिमाचल प्रदेश और गुजरात के दवा उत्पादक शामिल हैं. इससे पहले भी ऐसी खराब गुणवत्ता वाली 147 दवाओं का पता चल चुका है. वहीं, जून महीने में 48 और जुलाई महीने में 51 घटिया क्वालिटी की दवाओं के बारे में जानकारी दी गई थी.

बता दें, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) भारत का प्रमुख दवा नियामक है जो दवाओं के आयात, नई दवाओं की मंजूरी और नैदानिक ​​परीक्षणों को नियंत्रित करता है. ड्रग रेगुलेटर ने अगस्त महीने में भी 1,166 दवाओं का परीक्षण किया था, जिनमें से 1,118 दवाओं को मानक की कसौटी पर सही पाया गया. इस लिस्ट में गुजरात स्थित निर्माताओं की आठ दवाएं और हिमाचल प्रदेश निर्माताओं की करीब 10 दवाएं खराब पाई गईं.

रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात के दवा निर्माताओं के कफ सिरप और इंजेक्शन के लिए सेफोटैक्सिम खराब पाए गए. इन खराब गुणवत्ता वाली दवाओं की लिस्ट में गुजरात की आन फॉर्मा प्राइवेट लिमिटेड, मेडिस्की फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड, ग्लोबेला फार्मा प्रा. लिमिटेड, नॉरिस मेडिसिन्स लिमिटेड, मान फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड, आर्म्ड फॉर्मूलेशन प्राइवेट लिमिटेड, ग्लेडियोस प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां शामिल हैं. इसके अलावा नॉरिस मेडिसिंस लिमिटेड की एक कफ सिरप और एंटी एलर्जी सिरप भी शामिल है, इन दवाओं का संबंध दुनियाभर में हुई कई मौतों से जुड़ा है. खराब गुणवत्ता वाली दवाओं की लिस्ट में हिमाचल प्रदेश के कई उत्पादक भी शामिल हैं, जो लैक्टिक एसिड कैप्सूल बना रहे थे और वे मानक पर खरी नहीं पाई गईं.

इस मुद्दे पर एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया (एएचपीआई) के महानिदेशक डॉ. गिरिधर ज्ञानी ने कहा कि सीडीएससीओ द्वारा खराब गुणवत्ता वाली दवाओं का पता लगाना एक नियमित प्रक्रिया है जिसके बाद दवा निर्माताओं को अपने मानकों में सुधार करने को कहा जाता है. उन्होंने आगे कहा कि एक बार जब कोई दवा घटिया क्वालिटी की पाई जाती है तो उसको बाजार में बेचने की परमीशन न देकर बल्कि उस कंपनी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाती है.

पढ़ें: मिलावटी कफ सिरप को लेकर 66 मामलों में उत्पाद लाइसेंस निलंबित किए गए: स्वास्थ्य मंत्रालय

ज्ञानी ने कहा कि कुछ समय पहले भारत में निर्मित ऐसी कफ सिरप को लेकर हड़कंप मच गया था, जिनसे कई देशों से गंभीर परिणाम सामने आए थे. इसके बाद गंभीरता बरतते हुए केंद्र सरकार ने इस साल के जून महीने से सिरप निर्माताओं को आदेश देते हुए कहा था कि कंपनियां अपने उत्पादों को निर्यात करने से पहले नमूनों की जांच अनिवार्य रूप से करेंगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.