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ताज कॉरिडोर घोटाले में तत्कालीन एजीएम के खिलाफ जांच करेगी सीबीआई, बढ़ सकती हैं मायावती की मुश्किलें - बसपा सुप्रीमो मायावती

करोड़ों रुपये के ताज कॉरिडोर घोटाले में सीबीआई को तत्कालीन एजीएम महेंद्र शर्मा के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी मिल गई है. मामले में अगली सुनवाई 22 मई को होनी है.

ताज कॉरिडोर घोटाले की जांच में बसपा सुप्रीमो मायावती की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
ताज कॉरिडोर घोटाले की जांच में बसपा सुप्रीमो मायावती की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
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Published : Apr 25, 2023, 9:51 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 2002 में हुए ताज कॉरिडोर घोटाले में पहली बार सीबीआई को नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (NPCC) के तत्कालीन एजीएम महेंद्र शर्मा के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी मिली है. 22 मई को विशेष जज ( एंटी करप्शन ) सीबीआई पश्चिम के कोर्ट में मामले की सुनवाई होनी है. जांच एजेंसी कोर्ट में अभियोजन से जुड़े सभी दस्तावेज सौंपेगी. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में लंबित स्पेशल लीव पिटिशन (एसएलपी) के वर्तमान स्टेटस की भी कोर्ट को जानकारी दी जाएगी. माना जा रहा है कि ताज कॉरिडोर घोटाले में आरोपी रहीं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी की मुसीबतें बढ़ सकती हैं.

दरअसल, 28 नवंबर 2022 को सीबीआई ने नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (एनपीसीसी) से तत्कालीन एजीएम महेंद्र सिंह के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मांगी थी. अब एनपीसीसी के सीएमडी रजनीकांत अग्रवाल ने इसकी मंजूरी दे दी है. यही नहीं सीबीआई रजनीकांत को सरकारी गवाह भी बनाएगी. बता दें कि एनपीसीसी को ही ताज कॉरिडोर को विकसित करने का टेंडर मिला था. इस घोटाले में मेसर्स इश्वाकू इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी कमल राधू भी अभियुक्त हैं, हालांकि वह लोकसेवक नहीं हैं, ऐसे में उनके खिलाफ अभियोजन की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है.

क्या है ताज कॉरिडोर घोटाला : गौरतलब है कि, नवंबर 2002 में मायावती सरकार में ताज हेरिटेज कॉरिडोर प्रोजेक्ट शुरू हुआ था. 175 करोड़ के इस प्रोजेक्ट में ताजमहल से लेकर आगरा फोर्ट तक के दो किलोमीटर के रास्ते पर एक कॉरिडोर बनना था. यहां शॉपिंग कॉम्पलेक्स, टूरिस्ट कॉम्पलेक्स, एम्यूजमेंट पार्क और रेस्टोरेंट बनाए जाने थे. हालांकि शुरुआती तौर पर इस प्रोजेक्ट के लिए महज 17 करोड़ रुपये ही जारी किए गए थे. पर्यावरण विदों ने इस प्रोजेक्ट को ताजमहल के लिए खतरा बताया. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई, जिसमें कोर्ट ने जांच के आदेश दे दिए. इस मामले में सीबीआई ने 120 बी, 420, 467, 468, 471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) (आधिकारिक पद का दुरुपयोग ) के साथ 13 (1) (डी) के तहत केस दर्ज किया था. इस मामले में वर्ष 2007 में सीबीआई ने यूपी के तत्कालीन राज्यपाल टीवी राजेश्वर से तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती और नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन राज्यपाल ने इंकार कर दिया था.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 2002 में हुए ताज कॉरिडोर घोटाले में पहली बार सीबीआई को नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (NPCC) के तत्कालीन एजीएम महेंद्र शर्मा के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी मिली है. 22 मई को विशेष जज ( एंटी करप्शन ) सीबीआई पश्चिम के कोर्ट में मामले की सुनवाई होनी है. जांच एजेंसी कोर्ट में अभियोजन से जुड़े सभी दस्तावेज सौंपेगी. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में लंबित स्पेशल लीव पिटिशन (एसएलपी) के वर्तमान स्टेटस की भी कोर्ट को जानकारी दी जाएगी. माना जा रहा है कि ताज कॉरिडोर घोटाले में आरोपी रहीं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी की मुसीबतें बढ़ सकती हैं.

दरअसल, 28 नवंबर 2022 को सीबीआई ने नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (एनपीसीसी) से तत्कालीन एजीएम महेंद्र सिंह के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मांगी थी. अब एनपीसीसी के सीएमडी रजनीकांत अग्रवाल ने इसकी मंजूरी दे दी है. यही नहीं सीबीआई रजनीकांत को सरकारी गवाह भी बनाएगी. बता दें कि एनपीसीसी को ही ताज कॉरिडोर को विकसित करने का टेंडर मिला था. इस घोटाले में मेसर्स इश्वाकू इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी कमल राधू भी अभियुक्त हैं, हालांकि वह लोकसेवक नहीं हैं, ऐसे में उनके खिलाफ अभियोजन की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है.

क्या है ताज कॉरिडोर घोटाला : गौरतलब है कि, नवंबर 2002 में मायावती सरकार में ताज हेरिटेज कॉरिडोर प्रोजेक्ट शुरू हुआ था. 175 करोड़ के इस प्रोजेक्ट में ताजमहल से लेकर आगरा फोर्ट तक के दो किलोमीटर के रास्ते पर एक कॉरिडोर बनना था. यहां शॉपिंग कॉम्पलेक्स, टूरिस्ट कॉम्पलेक्स, एम्यूजमेंट पार्क और रेस्टोरेंट बनाए जाने थे. हालांकि शुरुआती तौर पर इस प्रोजेक्ट के लिए महज 17 करोड़ रुपये ही जारी किए गए थे. पर्यावरण विदों ने इस प्रोजेक्ट को ताजमहल के लिए खतरा बताया. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई, जिसमें कोर्ट ने जांच के आदेश दे दिए. इस मामले में सीबीआई ने 120 बी, 420, 467, 468, 471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) (आधिकारिक पद का दुरुपयोग ) के साथ 13 (1) (डी) के तहत केस दर्ज किया था. इस मामले में वर्ष 2007 में सीबीआई ने यूपी के तत्कालीन राज्यपाल टीवी राजेश्वर से तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती और नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन राज्यपाल ने इंकार कर दिया था.

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