कोच्चि : एक कैथोलिक नन (Catholic nun) बुधवार को केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) में अपना मुकदमा लड़ने के लिए व्यक्तिगत रूप से पेश हुईं. चर्च के अधिकारियों की अवज्ञा करने पर वेटिकन की मंजूरी (Vatican approval) मिलने के बाद, सिस्टर लुसी कलापुरक्कल को अगस्त 2019 में केरल के मनाथवडी में चर्च से फ्रांसिस्कन क्लैरिस्ट कॉन्ग्रिगेशन (Franciscan Clarist Congregation) द्वारा बर्खास्त कर दिया गया था. तब से वह अपना मुकदमा लड़ रही हैं. वहीं उन्होंने वायनाड जिले के कॉन्वेंट से हटने से भी इनकार कर दिया, जिसमें वह रह रही हैं.
बुधवार को अपने वकील के व्यक्तिगत कारणों से हटने के बाद, नन खुद व्यक्तिगत रूप से पक्ष के रूप में पेश हुईं और कहा कि चूंकि उनके पास पहले से ही एक अन्य अदालत में उनके समूह के खिलाफ मामला है, इसलिए उन्हें फैसला आने तक उनके कॉन्वेंट में रहने की अनुमति दी जानी चाहिए. इसके साथ ही वह उच्च न्यायालय के पहले के एक निर्देश की भी समीक्षा चाहती हैं.
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सिस्टर लूसी ने एक भावुक दलील देते हुए कहा कि उन्होंने एक नन के रूप में 25 साल की सेवा पूरी कर ली है और इसी तरह जारी रखना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें सड़क पर नहीं लाना चाहिए.
वहीं, उन्होंने उस स्थान पर पुलिस सुरक्षा देने का अनुरोध किया, जहां वह रहती हैं, लेकिन समूह के वकील ने तर्क दिया कि एक नियम के रूप में एक नन जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाती है, तो उसे केवल एक कॉन्वेंट में रहना चाहिए और सिस्टर लूसी ने मामले को संचालित करने के दौरान इन सबका उल्लंघन किया है. हालांकि, अदालत ने कहा कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार हैं कि वह जहां भी रहे, उसे अपने जीवन और संपत्ति की सुरक्षा मिले.
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अदालत ने बाद में मामले को अपना अंतिम फैसला सुनाने के लिए स्थगित कर दिया.
सिस्टर लूसी ने जालंधर में रोमन कैथोलिक सूबा के प्रमुख व दुष्कर्म के आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल की गिरफ्तारी की मांग को लेकर राज्य में नन की हड़ताल का समर्थन किया था. हालांकि, मुलक्कल के खिलाफ प्राथमिकी के बावजूद गिरफ्तारी में देरी के विरोध में नन के विरोध में शामिल होने के बाद, वह चर्च के अधिकारियों का निशाना बन गईं, लेकिन भले ही उन्हें कॉन्वेंट से बाहर जाने के लिए कहा गया था, फिर भी एक अदालत से आदेश मिला कि उन्हें जबरन बाहर नहीं किया जाना चाहिए और तब से वहीं रह रही हैं.
(आईएएनएस)