तिरुवनंतपुरम : केरल की एक अदालत ने नन बलात्कार मामले में कैथोलिक बिशप फ्रैंको मुलक्कल को बरी कर दिया है. आरोप था कि बिशप मुलक्कल ने मई 2014 में कुरविलंगड के एक गेस्ट हाउस में एक नन से बलात्कार किया था और बाद में कई मौकों पर उसका यौन शोषण किया.
अतिरिक्त जिला एवं सत्र अदालत द्वितीय ने बिशप को बरी कर दिया, क्योंकि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ सबूत पेश करने में विफल रहा था.
नन ने जून 2018 में पुलिस को दी अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि 2014 से 2016 के बीच मुलक्कल ने उनका यौन शोषण किया था. वह तब रोमन कैथोलिक चर्च के जालंधर डायोसिस के बिशप थे. कोट्टायम जिले की पुलिस ने जून 2018 में ही बिशप के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया था.
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मामले की तहकीकात करने वाले विशेष जांच दल ने बिशप को सितंबर 2018 में गिरफ्तार किया था और उन पर गलत तरीके से बंधक बनाने, बलात्कार करने, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और आपराधिक धमकी देने के आरोप लगाये थे. मामले में नवंबर 2019 में सुनवाई शुरू हुई, जो 10 जनवरी को पूरी हुई थी.
अदालत ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को उसकी अनुमति के बिना मुकदमे से संबंधित किसी भी सामग्री को प्रसारित करने पर रोक लगाई थी.
एनसीडब्ल्यू ने पीड़ित नन के प्रति समर्थन व्यक्त किया
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की प्रमुख रेखा शर्मा ने केरल की एक अदालत के बिशप फ्रैंको मुलक्कल को एक नन से बलात्कार के आरोपों से शुक्रवार को बरी करने के फैसले पर कहा कि पीड़ित महिला को फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख करना चाहिए.
रेखा शर्मा ने नन के प्रति समर्थन व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, केरल की अतिरिक्त जिला एवं सत्र अदालत के फैसले से स्तब्ध हूं. पीड़ित नन को उच्च न्यायालय का रुख करना चाहिए. न्याय के लिए इस लड़ाई में एनसीडब्ल्यू उनके साथ है. शर्मा ने अदालत के फैसले से जुड़ी एक खबर भी ट्विटर पर साझा की.
नन ने जून 2018 में पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि 2014 से 2016 के बीच मुलक्कल ने उनका यौन शोषण किया था. वह तब रोमन कैथोलिक चर्च के जालंधर डायोसिस के बिशप थे. कोट्टयम जिले की पुलिस ने जून 2018 में ही बिशप के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया था.
मामले की तहकीकात करने वाले विशेष जांच दल ने बिशप को सितंबर 2018 में गिरफ्तार किया था और उन पर गलत तरीके से बंधक बनाने, बलात्कार करने, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और आपराधिक धमकी देने के आरोप लगाये थे. मामले में नवंबर 2019 में सुनवाई शुरू हुई, जो 10 जनवरी को पूरी हुई थी.