कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने कृष्णानगर सांसद महुआ मोइत्रा (MP Mahua Maitra) के 'कैश-फॉर-क्वेरी' विवाद से खुद को दूर करने की बात कही है. ऐसे समय में लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) से अप्रत्याशित समर्थन मिला है. मंगलवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में सीपीआई (ML) महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य (CPI ML General Secretary Dipankar Bhattacharya) ने कहा, 'कैश-फॉर-क्वेरी मामले पर हालिया विवाद महुआ मोइत्रा के खिलाफ भाजपा के चरित्र हनन अभियान के अलावा कुछ नहीं है.'
भट्टाचार्य ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे (BJP MP Nishikant Dubey) को संसद में अपमानजनक और महिला द्वेषपूर्ण भाषा का इस्तेमाल करने का आदतन अपराधी करार देते हुए उस तरीके पर सवाल उठाया, जिसमें मोइत्रा के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष को दुबे की शिकायत को तुरंत संसद की आचार समिति को भेजा गया था. आगे कहा कि विडंबना यह है कि आचार समिति में बसपा के दानिश अली भी शामिल हैं, जिन्हें भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी द्वारा उनके खिलाफ दी गई नफरत भरी धमकियों के मामले में अभी तक न्याय नहीं मिला है.
यह भी दावा किया कि दुबई स्थित व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी द्वारा हस्ताक्षरित एक संदिग्ध हलफनामा इस मामले में मोइत्रा को बदनाम करने के लिए दुबे के लिए एकमात्र हथियार है. हलफनामे में दुबे के आरोपों के जवाब में हीरानंदानी समूह द्वारा जारी प्रारंभिक खंडन का पालन किया गया. हलफनामे में कॉर्पोरेट वकील शार्दुल श्रॉफ, पल्लवी श्रॉफ और पत्रकार सुचेता दलाल पर अदानी समूह के खिलाफ सवाल उठाने में मोइत्रा की मदद करने का भी आरोप लगाया गया है, एक ऐसा आरोप जिसे संबंधित वकीलों और पत्रकार ने स्पष्ट रूप से नकार दिया है.
भट्टाचार्य के अनुसार, यह स्पष्ट रूप से इस मुद्दे पर मुखर रहे हर विपक्षी सांसद को निशाना बनाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से एक केंद्रित प्रयास है. भट्टाचार्य के मुताबिक मोइत्रा को निशाना बनाने को सिर्फ किसी कॉरपोरेट प्रतिद्वंद्विता के विस्तार के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए.