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Supreme Court : मद्रास हाईकोर्ट के जज के रूप में विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति की जांच नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट - Petition against the appointment of Victoria Gowri

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति एलसी विक्टोरिया की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार नहीं कर सका क्योंकि इसमें नियुक्ति की उपयुक्तता का सवाल शामिल था.

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Published : Feb 10, 2023, 1:26 PM IST

Updated : Feb 10, 2023, 1:50 PM IST

नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति एल. विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति की उपयुक्तता की जांच नहीं कर सकता. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बी.आर. गवई की पीठ ने कहा कि अदालत ने संविधान पीठ के फैसलों का अध्ययन किया है, हम उम्मीदवार की उपयुक्तता पर विचार नहीं कर सकते हैं. 7 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसकी काफी मजबूत जांच प्रक्रिया है और याचिकाकर्ता इसे बहुत अधिक खींच सकते हैं, क्योंकि उनके वकील ने लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी को मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश पर सवाल उठाया था.

पढ़ें : America needs attention: अमेरिका को रूस के साथ भारत के संबंधों, उसके गिरते लोकतांत्रिक मूल्यों पर ध्यान देना जरूरी: रिपोर्ट

शीर्ष अदालत ने मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति गौरी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया. शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन से कहा था कि पात्रता और उपयुक्तता के बीच अंतर है, जहां तक उपयुक्तता का संबंध है, कोई कह सकता है कि इसे रिट याचिका का विषय बनाया जा सकता है, और पात्रता का पहलू केवल संविधान के तहत आवश्यक मुद्दा है.

पढ़ें : Review Cautions Against Anti-India Rhetoric On Kashmir : समीक्षा में कश्मीर, खालिस्तानी समर्थक अतिवाद पर भारत विरोधी बयानबायी के खिलाफ सचेत किया गया

न्यायमूर्ति गवई ने कहा था कि जब कॉलेजियम कोई फैसला लेता है तो वह उस विशेष उच्च न्यायालय से आए सलाहकार न्यायाधीशों की भी राय लेता है, और आप यह नहीं मान सकते कि विशेष उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी इन सभी बातों से अवगत नहीं हैं. रामचंद्रन ने कहा कि परामर्शदाता न्यायाधीश सोशल मीडिया पोस्ट से अवगत नहीं हो सकते और यह नहीं मान सकते कि प्रत्येक न्यायाधीश सार्वजनिक डोमेन में प्रत्येक ट्वीट को पढ़ता है.

पढ़ें : UP GIS 2023 : पीएम नरेंद्र मोदी बोले- वेल्थ क्रिएटर्स के लिए नई उम्मीद है यूपी

जस्टिस गवई ने कहा, हम भी परामर्शी न्यायाधीश रहे हैं और जब हम अपनी राय देते हैं, तो यह सभी कारकों पर आधारित होती है, मेरी भी राजनीतिक पृष्ठभूमि है और मैं 20 वर्षों से न्यायाधीश हूं. मुझे नहीं लगता कि किसी भी समय मेरे राजनीतिक विचार आड़े आए हैं. शीर्ष अदालत का आदेश मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में गौरी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली अन्ना मैथ्यू, आर वैगई और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर आया था.

पढ़ें : UP GlS 2023 : टाटा एंड संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन बोले- यूपी में निवेश की अपार संभावनाएं

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 17 जनवरी को मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अधिवक्ता लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी की पदोन्नति का प्रस्ताव दिया था. मद्रास उच्च न्यायालय के वकीलों के एक समूह ने गौरी के भाजपा से जुड़े होने और 'लव जिहाद' और अवैध धर्मांतरण सहित मुसलमानों और ईसाइयों के बारे में कुछ कथित बयान सामने आने पर, उनका विरोध किया था.

पढ़ें : GIS2023 : यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट शुरू, पीएम मोदी ने किया उद्घाटन

नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति एल. विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति की उपयुक्तता की जांच नहीं कर सकता. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बी.आर. गवई की पीठ ने कहा कि अदालत ने संविधान पीठ के फैसलों का अध्ययन किया है, हम उम्मीदवार की उपयुक्तता पर विचार नहीं कर सकते हैं. 7 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसकी काफी मजबूत जांच प्रक्रिया है और याचिकाकर्ता इसे बहुत अधिक खींच सकते हैं, क्योंकि उनके वकील ने लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी को मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश पर सवाल उठाया था.

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शीर्ष अदालत ने मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति गौरी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया. शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन से कहा था कि पात्रता और उपयुक्तता के बीच अंतर है, जहां तक उपयुक्तता का संबंध है, कोई कह सकता है कि इसे रिट याचिका का विषय बनाया जा सकता है, और पात्रता का पहलू केवल संविधान के तहत आवश्यक मुद्दा है.

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न्यायमूर्ति गवई ने कहा था कि जब कॉलेजियम कोई फैसला लेता है तो वह उस विशेष उच्च न्यायालय से आए सलाहकार न्यायाधीशों की भी राय लेता है, और आप यह नहीं मान सकते कि विशेष उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी इन सभी बातों से अवगत नहीं हैं. रामचंद्रन ने कहा कि परामर्शदाता न्यायाधीश सोशल मीडिया पोस्ट से अवगत नहीं हो सकते और यह नहीं मान सकते कि प्रत्येक न्यायाधीश सार्वजनिक डोमेन में प्रत्येक ट्वीट को पढ़ता है.

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जस्टिस गवई ने कहा, हम भी परामर्शी न्यायाधीश रहे हैं और जब हम अपनी राय देते हैं, तो यह सभी कारकों पर आधारित होती है, मेरी भी राजनीतिक पृष्ठभूमि है और मैं 20 वर्षों से न्यायाधीश हूं. मुझे नहीं लगता कि किसी भी समय मेरे राजनीतिक विचार आड़े आए हैं. शीर्ष अदालत का आदेश मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में गौरी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली अन्ना मैथ्यू, आर वैगई और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर आया था.

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सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 17 जनवरी को मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अधिवक्ता लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी की पदोन्नति का प्रस्ताव दिया था. मद्रास उच्च न्यायालय के वकीलों के एक समूह ने गौरी के भाजपा से जुड़े होने और 'लव जिहाद' और अवैध धर्मांतरण सहित मुसलमानों और ईसाइयों के बारे में कुछ कथित बयान सामने आने पर, उनका विरोध किया था.

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Last Updated : Feb 10, 2023, 1:50 PM IST
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