कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक मामला आया है जो 11 साल की एक नाबालिग बच्ची से जुड़ा है. वह चौबीस सप्ताह से अधिक समय से गर्भवती है. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बच्ची के सुरक्षित गर्भपात की संभावनाओं का पता लगाने के लिए एक मेडिकल बोर्ड के गठन का आदेश दिया है. गुरुवार को जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य ने यह निर्देश दिया. उन्होंने अपने आदेश में कहा कि 24 घंटे के भीतर मेडिकल बोर्ड का गठन करके कोर्ट को सूचित किया जाये. मेडिकल बोर्ड को कोर्ट को बताना होगा कि क्या 24 महीने से अधिक होने के बाद भी पीड़िता का सुरक्षित गर्भपात संभव है.
पूर्वी मेदिनीपुर के सीएमओएच और तमलुक मेडिकल अस्पताल के अधीक्षक को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया गया है. बोर्ड को 21 अगस्त को कोर्ट को रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है. बुधवार को नाबालिग के परिवार ने अदालत से गर्भपात की अनुमति मांगी.
बुधवार को पीड़िता के वकील ने हाई कोर्ट का ध्यान इस ओर दिलाते हुए जल्द सुनवाई की गुहार लगाई थी. न्यायाधीश ने दोपहर 2:00 बजे मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (1971) की धारा 3, 24 सप्ताह के बाद गर्भपात पर रोक लगाती है. हालांकि, कोर्ट नाबालिग के भविष्य को लेकर चिंतित है. लड़की की उम्र महज 11 साल है. उनकी पारिवारिक आर्थिक स्थिति भी उतनी अच्छी नहीं है.
जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान खेद और आश्चर्य दोनों व्यक्त किया. लड़की के परिवार की ओर से वकील ने कोर्ट को बताया कि बच्ची शारीरिक शोषण की शिकार हुई है. उन्होंने कहा कि नाबालिग का परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर है. सदस्यों के पास ज्यादा शैक्षणिक योग्यता नहीं है. उन्हें कानून की जानकारी ही नहीं है इसीलिए नाबालिग के परिवार की ओर से शारीरिक शोषण की शिकायत दर्ज कराने में देरी हुई. जुलाई में राज्य बाल संरक्षण आयोग की मदद से पूर्वी मेदिनीपुर के कोलाघाट पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई.
नाबालिग पांचवीं कक्षा की छात्रा है. परिवार का दावा है कि बच्ची के साथ कई महीनों तक यौन शोषण हुआ जिसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी. लगातार हुए शोषण के कारण वह गर्भवती तब परिवार को इसका पता चला. परिवार की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि बच्ची शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत नहीं है. मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्ची की आयु कम होने के कारण भ्रूण का वजन भी काफी कम है. इसके अलावा और भी कई समस्याएं हैं.
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देश के कानून के मुताबिक, कोई महिला, नाबालिग या नाबालिग का परिवार डॉक्टर से सलाह लेकर 20 हफ्ते तक गर्भपात करा सकता है. विशेष बीमारियों या जटिल शारीरिक स्थितियों के मामले में इसे 24 सप्ताह तक बढ़ाया जा सकता है. ऐसे में गर्भपात कराने के लिए कोर्ट की इजाजत जरूरी होती है.