कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पिछले आदेश को बरकरार रखते हुए गुरुवार को केंद्रीय एजेंसियों को पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के भर्ती घोटाले के सिलसिले में तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से पूछताछ करने का अधिकार दिया. न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को युवा तृणमूल कांग्रेस के निष्कासित नेता कुंतल घोष से उनके उस आरोपों के संबंध में पूछताछ करने की भी अनुमति दी, जिसमें मामले में अभिषेक बनर्जी का नाम लेने के लिए केंद्रीय एजेंसियों पर दबाव डालने का आरोप लगाया गया था.
न्यायमूर्ति सिन्हा ने बनर्जी और घोष पर 25-25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. मामले में शामिल एक वकील फिरदौस शमीम ने मीडियाकर्मियों को सूचित किया कि अदालत का समय बर्बाद करने के कारण जुर्माना लगाया गया. प्रारंभ में, न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने केंद्रीय एजेंसियों को अभिषेक बनर्जी से पूछताछ करने का अधिकार दिया था. लेकिन उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले से जुड़े दो मामले जस्टिस सिन्हा की बेंच को ट्रांसफर कर दिए गए.
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हालांकि मामले की सुनवाई 15 मई को पूरी हो गई थी, लेकिन जस्टिस सिन्हा ने उस दिन अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अभिषेक बनर्जी का नाम तब सामने आया जब कुंतल घोष ने कथित घोटाले में तृणमूल महासचिव का नाम लेने के लिए केंद्रीय एजेंसियों पर दबाव डालने का आरोप लगाते हुए एक स्थानीय पुलिस स्टेशन के साथ-साथ एक निचली अदालत के न्यायाधीश को पत्र लिखा. पिछले हफ्ते सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सिन्हा ने मामले में जांच का सामना करने में याचिकाकर्ता की अनिच्छा के कारणों पर सवाल उठाया था.
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