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नारदा घोटाला : कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता बनर्जी का हलफनामा किया स्वीकार - moloy ghatak

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कानून मंत्री मलय घटक ने नारदा घोटाले के मामले में हाई कोर्ट में हलफनामे दायर किए थे जिन्हें स्वीकार कर लिया गया है.

Calcutta HC
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Published : Jun 30, 2021, 2:16 PM IST

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री द्वारा नारदा मामले में दायर हलफनामे को उन पर 5,000 रुपये का वित्तीय जुर्माना लगाने के बाद स्वीकार कर लिया.

इसी तरह, उच्च न्यायालय ने भी राज्य के कानून मंत्री मलय घटक और राज्य सरकार के हलफनामे को समग्र रूप से दोनों पक्षों पर समान राशि का वित्तीय जुर्माना लगाने के बाद स्वीकार कर लिया.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने नारदा मामले में पश्चिम बंगाल राज्य, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कानून मंत्री मलय घटक को निर्देश दिया था कि 28 जून तक हलफनामा दाखिल नहीं कर पाने के कारणों को बताते हुए कोलकाता हाई कोर्ट में आवेदन दें.

उन्होंने नारदा मामले में दायर अपने हलफनामे को स्वीकार करने से कोलकाता हाई कोर्ट के इनकार को चुनौती दी थी. उन्हें 27 जून को सीबीआई को अग्रिम प्रतियां देने के बाद आवेदन दाखिल करने का निर्देश दिया गया है. सीबीआई को आवेदनों का जवाब दाखिल करने की स्वतंत्रता दी गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने आगे हाई कोर्ट से अनुरोध किया कि वह अगली निर्धारित सुनवाई तिथि, 29 जून को हलफनामों की स्वीकृति की मांग करने वाले आवेदनों पर पहले फैसला करे. इस व्यवस्था को सुविधाजनक बनाने के लिए, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट द्वारा पारित 9 जून के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें उसने नारदा घोटाला मामले में सीबीआई की स्थानांतरण याचिका में राज्य, मुख्यमंत्री और कानून मंत्री द्वारा दायर हलफनामों को रिकॉर्ड पर लेने से इनकार कर दिया था.

पढ़ें :- नारद घोटाला केस : सुप्रीम कोर्ट के दो जज बंगाल के मामलों की सुनवाई से हटे

जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली हाई कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ से ममता और घटक की अर्जियों पर फिर से विचार करने का आग्रह किया. इससे पहले मंगलवार सुनवाई शुरू होती जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने स्वयं को मामले की सुनवाई से अलग कर लिया है.

इसके बाद मामले को मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना के समक्ष पेश किया गया. इसके बाद मामला जस्टिस विनीत सरन और दिनेश माहेश्वरी की पीठ के सामने सुनवाई के लिए लगा. जस्टिस सरन ने मामले को उनकी पीठ के लिए नया बताते हुए सुनवाई स्थगित कर दिया. उन्होंने हाई कोर्ट से 25 जून से पहले सुनवाई न करने का आग्रह किया था.

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री द्वारा नारदा मामले में दायर हलफनामे को उन पर 5,000 रुपये का वित्तीय जुर्माना लगाने के बाद स्वीकार कर लिया.

इसी तरह, उच्च न्यायालय ने भी राज्य के कानून मंत्री मलय घटक और राज्य सरकार के हलफनामे को समग्र रूप से दोनों पक्षों पर समान राशि का वित्तीय जुर्माना लगाने के बाद स्वीकार कर लिया.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने नारदा मामले में पश्चिम बंगाल राज्य, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कानून मंत्री मलय घटक को निर्देश दिया था कि 28 जून तक हलफनामा दाखिल नहीं कर पाने के कारणों को बताते हुए कोलकाता हाई कोर्ट में आवेदन दें.

उन्होंने नारदा मामले में दायर अपने हलफनामे को स्वीकार करने से कोलकाता हाई कोर्ट के इनकार को चुनौती दी थी. उन्हें 27 जून को सीबीआई को अग्रिम प्रतियां देने के बाद आवेदन दाखिल करने का निर्देश दिया गया है. सीबीआई को आवेदनों का जवाब दाखिल करने की स्वतंत्रता दी गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने आगे हाई कोर्ट से अनुरोध किया कि वह अगली निर्धारित सुनवाई तिथि, 29 जून को हलफनामों की स्वीकृति की मांग करने वाले आवेदनों पर पहले फैसला करे. इस व्यवस्था को सुविधाजनक बनाने के लिए, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट द्वारा पारित 9 जून के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें उसने नारदा घोटाला मामले में सीबीआई की स्थानांतरण याचिका में राज्य, मुख्यमंत्री और कानून मंत्री द्वारा दायर हलफनामों को रिकॉर्ड पर लेने से इनकार कर दिया था.

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जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली हाई कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ से ममता और घटक की अर्जियों पर फिर से विचार करने का आग्रह किया. इससे पहले मंगलवार सुनवाई शुरू होती जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने स्वयं को मामले की सुनवाई से अलग कर लिया है.

इसके बाद मामले को मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना के समक्ष पेश किया गया. इसके बाद मामला जस्टिस विनीत सरन और दिनेश माहेश्वरी की पीठ के सामने सुनवाई के लिए लगा. जस्टिस सरन ने मामले को उनकी पीठ के लिए नया बताते हुए सुनवाई स्थगित कर दिया. उन्होंने हाई कोर्ट से 25 जून से पहले सुनवाई न करने का आग्रह किया था.

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