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सरकार ने खरीफ फसलों की एमएसपी 4-9 प्रतिशत बढ़ाई, धान का MSP 100 रुपये क्विंटल बढ़ा

किसानों को राहत देने की दिशा में सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है. केन्द्रीय कैबिनेट ने खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दे दी है. इसमें फसल वर्ष 2022-23 के लिए खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में 4-9 प्रतिशत की वृद्धि की है, जहां धान का एमएसपी 100 रुपये बढ़ाकर 2,040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. कैबिनेट ने वायु गुणवत्ता,जलवायु परिवर्तन पर शोध के लिए समझौता ज्ञापन को मंजूरी प्रदान की है. साथ ही कैबिनेट ने स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच एमओयू को मंजूरी दी.

Union Minister Anurag Thakur
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर
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Published : Jun 8, 2022, 4:24 PM IST

Updated : Jun 8, 2022, 10:45 PM IST

नई दिल्ली : सरकार ने बुधवार को फसल वर्ष 2022-23 के लिए खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 4-9 प्रतिशत की वृद्धि की है, जहां धान का एमएसपी 100 रुपये बढ़ाकर 2,040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. सरकार का यह कदम, धान के रकबे में वृद्धि करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने और उनकी आय बढ़ाने के ध्येय से प्रेरित है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने फसल वर्ष 2022-23 के लिए सभी तयशुदा 14 खरीफ (गर्मी) फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि को मंजूरी दी है.

मंत्रिमंडल के फैसले के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ट्वीट किया, 'खरीफ फसलों के एमएसपी में 92 रुपये से 523 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है और इससे किसानों को उत्पादन लागत पर 50-85 प्रतिशत का मुनाफा मिलेगा.' एक सरकारी बयान में कहा गया है, 'सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है, ताकि उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित किया जा सके.'

मीडिया को जानकारी देते हुए, सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार ने 'बीज से बाजार तक' से लेकर अन्य कई पहल की हैं, जिससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिली है. उन्होंने कहा कि खरीफ फसलों की बुवाई से पहले एमएसपी वृद्धि की घोषणा से किसानों को आगे मिलने वाली कीमत के बारे में संकेत मिलेगा और उन्हें यह तय करने में मदद मिलेगी कि कौन सी फसल उगानी है.

सीसीईए के निर्णय के अनुसार, 14 खरीफ फसलों के एमएसपी को 92-523 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में बढ़ाया गया है. तिल में अधिकतम 523 रुपये प्रति क्विंटल, जबकि सबसे कम 92 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी मक्का के मामले में की गई है. फसल वर्ष 2022-23 के लिए धान और बाजरा के एमएसपी में 100 रुपये प्रति क्विंटल, जबकि अरहर, उड़द और मूंगफली के एमएसपी में 300 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है.

धान की सामान्य किस्म का एमएसपी फसल वर्ष 2022-23 के लिए पिछले वर्ष के 1,940 रुपये से बढ़ाकर 2,040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. धान की 'ए' ग्रेड किस्म का समर्थन मूल्य 1,960 रुपये से बढ़ाकर 2,060 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. धान खरीफ की प्रमुख फसल है, जिसकी बुवाई शुरू हो चुकी है. मौसम विभाग ने जून-सितंबर की अवधि के लिए सामान्य मानसून रहने का अनुमान जताया है.

वाणिज्यिक फसलों में, कपास का एमएसपी, मध्यम स्टेपल किस्म के लिए पिछले साल के 5,726 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 6,080 रुपये कर दिया गया है, जबकि कपास की लंबी स्टेपल किस्म के लिए एमएसपी को 6,025 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 6,380 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. दलहन श्रेणी में अरहर (अरहर) का एमएसपी पिछले साल के 6,300 रुपये से बढ़ाकर 6,600 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि मूंग का एमएसपी 7,275 रुपये से बढ़ाकर 7,755 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.

ये भी पढ़ें - Cabinet Approval: फोर्टिफाइड चावल वितरण को मंजूरी, गरीबों को कुपोषण से बचायेगा

फसल वर्ष 2022-23 के लिए उड़द का एमएसपी बढ़ाकर 6,600 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि पिछले साल यह 6,300 रुपये प्रति क्विंटल था. तिलहनों में सोयाबीन का एमएसपी पिछले साल के 3,950 रुपये से बढ़ाकर 4,300 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है, जबकि सूरजमुखी के बीज के लिए समर्थन मूल्य 6,015 रुपये से बढ़ाकर 6,400 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है. मूंगफली का समर्थन मूल्य पिछले साल के 5,550 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5,850 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.

नाइजरसीड का एमएसपी वर्ष 2022-23 में बढ़कर 7,287 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है, जो पिछले साल 6,930 रुपये प्रति क्विंटल था. मोटे अनाज में, मक्के का एमएसपी पिछले साल के 1,870 रुपये से बढ़ाकर 1,962 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि रागी के लिए समर्थन मूल्य अब 3,578 रुपये प्रति क्विंटल है, जो पिछले साल 3,377 रुपये था.

बाजरा के मामले में एमएसपी 2,250 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2,350 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. ज्वार (संकर) का एमएसपी वर्ष 2022-23 में 2,738 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2,970 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि ज्वार (मालदानी) के लिए समर्थन मूल्य को 2,758 रुपये से बढ़ाकर 2,990 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.

अनुराग ठाकुर ने कहा कि आठ फसलों का एमएसपी उत्पादन लागत से 1.5 गुना अधिक है, जबकि शेष छह फसलों के समर्थन मूल्य में वृद्धि 51-85 प्रतिशत के बीच है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में तिलहन और दलहन के एमएसपी में वृद्धि से देश की आयात निर्भरता को कम करने में मदद मिली है. गेहूं, धान, कुछ तिलहन और दलहन की खरीद में भी तेज वृद्धि हुई है.

ये भी पढ़ें - उत्तराखंड : 45 सालों से लटकी लखवाड़ परियोजना को केंद्रीय कैबिनेट ने दी मंजूरी, सीएम धामी ने जताया आभार

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में तिलहन, दलहन और मोटे अनाज के पक्ष में एमएसपी को फिर से तय करने के लिए ठोस प्रयास किए गए हैं ताकि किसानों को इन फसलों की बड़े रकबे में खेती करने को प्रोत्साहित हों और वे खेती के सर्वोत्तम तकनीकों और तौर तरीकों को अपना सके, ताकि मांग-आपूर्ति असंतुलन को ठीक किया जा सके. मंत्री ने किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र के व्यापक विकास को सुनिश्चित करने के लिए मोदी सरकार द्वारा पिछले आठ वर्षों के दौरान शुरू किए गए कई कार्यक्रमों पर भी प्रकाश डाला.

वर्ष 2022-23 के लिए सभी 14 फसलों का एमएसपी 2014-15 की तुलना में 46-131 प्रतिशत अधिक है. उदाहरण के लिए, धान (सामान्य किस्म) का एमएसपी 50 प्रतिशत बढ़ाकर 2,040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो 2014-15 में 1,360 रुपये प्रति क्विंटल था.

कैबिनेट ने वायु गुणवत्ता, जलवायु परिवर्तन पर शोध के लिए समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वायु गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त अनुसंधान के लिए बुधवार को राष्ट्रीय पर्यावरण अध्ययन संस्थान (एनआईईएस), जापान और आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस), भारत के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) को मंजूरी दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एनआईईएस और मेष के बीच सहयोगी दिशानिर्देश स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की मंजूरी दे दी. पूर्व में किसी अन्य विदेशी निकाय के साथ अनुसंधान के समान क्षेत्रों में एआरआईईएस, नैनीताल द्वारा इस तरह के किसी भी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर नहीं किए गए थे.

एमओयू के तहत संभावित गतिविधियों में वैज्ञानिक उपकरणों का संयुक्त उपयोग और संचालन, अवलोकन विधियों पर वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी का आदान-प्रदान, अवलोकन डेटा का संयुक्त विश्लेषण और वैज्ञानिक रिपोर्ट बनाना, संयुक्त शैक्षिक और अनुसंधान गतिविधियां, पीएचडी छात्रों सहित विद्वानों का आदान-प्रदान शामिल है.

एआरआईईएस भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत स्थापित एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है. एआरआईईएस खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी और वायुमंडलीय विज्ञान में अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता का केंद्र है. यह पृथ्वी पर वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन, सूर्य, सितारों और आकाशगंगाओं के निर्माण और विकास पर शोध करता है.

एनआईईएस जापान का एकमात्र शोध संस्थान है जो अंत:विषय और व्यापक तरीके से पर्यावरण अनुसंधान की एक विस्तृत श्रृंखला करता है. एनआईईएस पर्यावरण संरक्षण पर वैज्ञानिक निष्कर्ष निकालने के लिए काम करता है. यह अनुसंधान परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिसमें बुनियादी अनुसंधान, डेटा अधिग्रहण और विश्लेषण, पर्यावरण के नमूनों के संरक्षण और प्रावधान के माध्यम से संस्थान की अनुसंधान नींव को मजबूत करना शामिल है.

कैबिनेट ने स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच एमओयू को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को भारत और अमेरिका के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने की मंजूरी दे दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार (डीबीटी) तथा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और अंतर्राष्ट्रीय एड्स वैक्सीन पहल (आईएवीआई), यूएसए के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की मंजूरी दे दी है.

यह एचआईवी, टीबी, कोविड-19 और अन्य उभरती संक्रामक और उपेक्षित बीमारियों को रोकने और उनका इलाज करने के लिए नए, बेहतर और नवोन्मेषी (इनोवेटिव) जैव चिकित्सा उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के विकास में योगदान करेगा. यह समझौता ज्ञापन पारस्परिक हित के क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग की रूपरेखा के अंतर्गत भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंधों को और मजबूत करेगा.

(एजेंसी)

नई दिल्ली : सरकार ने बुधवार को फसल वर्ष 2022-23 के लिए खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 4-9 प्रतिशत की वृद्धि की है, जहां धान का एमएसपी 100 रुपये बढ़ाकर 2,040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. सरकार का यह कदम, धान के रकबे में वृद्धि करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने और उनकी आय बढ़ाने के ध्येय से प्रेरित है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने फसल वर्ष 2022-23 के लिए सभी तयशुदा 14 खरीफ (गर्मी) फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि को मंजूरी दी है.

मंत्रिमंडल के फैसले के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ट्वीट किया, 'खरीफ फसलों के एमएसपी में 92 रुपये से 523 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है और इससे किसानों को उत्पादन लागत पर 50-85 प्रतिशत का मुनाफा मिलेगा.' एक सरकारी बयान में कहा गया है, 'सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है, ताकि उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित किया जा सके.'

मीडिया को जानकारी देते हुए, सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार ने 'बीज से बाजार तक' से लेकर अन्य कई पहल की हैं, जिससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिली है. उन्होंने कहा कि खरीफ फसलों की बुवाई से पहले एमएसपी वृद्धि की घोषणा से किसानों को आगे मिलने वाली कीमत के बारे में संकेत मिलेगा और उन्हें यह तय करने में मदद मिलेगी कि कौन सी फसल उगानी है.

सीसीईए के निर्णय के अनुसार, 14 खरीफ फसलों के एमएसपी को 92-523 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में बढ़ाया गया है. तिल में अधिकतम 523 रुपये प्रति क्विंटल, जबकि सबसे कम 92 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी मक्का के मामले में की गई है. फसल वर्ष 2022-23 के लिए धान और बाजरा के एमएसपी में 100 रुपये प्रति क्विंटल, जबकि अरहर, उड़द और मूंगफली के एमएसपी में 300 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है.

धान की सामान्य किस्म का एमएसपी फसल वर्ष 2022-23 के लिए पिछले वर्ष के 1,940 रुपये से बढ़ाकर 2,040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. धान की 'ए' ग्रेड किस्म का समर्थन मूल्य 1,960 रुपये से बढ़ाकर 2,060 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. धान खरीफ की प्रमुख फसल है, जिसकी बुवाई शुरू हो चुकी है. मौसम विभाग ने जून-सितंबर की अवधि के लिए सामान्य मानसून रहने का अनुमान जताया है.

वाणिज्यिक फसलों में, कपास का एमएसपी, मध्यम स्टेपल किस्म के लिए पिछले साल के 5,726 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 6,080 रुपये कर दिया गया है, जबकि कपास की लंबी स्टेपल किस्म के लिए एमएसपी को 6,025 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 6,380 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. दलहन श्रेणी में अरहर (अरहर) का एमएसपी पिछले साल के 6,300 रुपये से बढ़ाकर 6,600 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि मूंग का एमएसपी 7,275 रुपये से बढ़ाकर 7,755 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.

ये भी पढ़ें - Cabinet Approval: फोर्टिफाइड चावल वितरण को मंजूरी, गरीबों को कुपोषण से बचायेगा

फसल वर्ष 2022-23 के लिए उड़द का एमएसपी बढ़ाकर 6,600 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि पिछले साल यह 6,300 रुपये प्रति क्विंटल था. तिलहनों में सोयाबीन का एमएसपी पिछले साल के 3,950 रुपये से बढ़ाकर 4,300 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है, जबकि सूरजमुखी के बीज के लिए समर्थन मूल्य 6,015 रुपये से बढ़ाकर 6,400 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है. मूंगफली का समर्थन मूल्य पिछले साल के 5,550 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5,850 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.

नाइजरसीड का एमएसपी वर्ष 2022-23 में बढ़कर 7,287 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है, जो पिछले साल 6,930 रुपये प्रति क्विंटल था. मोटे अनाज में, मक्के का एमएसपी पिछले साल के 1,870 रुपये से बढ़ाकर 1,962 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि रागी के लिए समर्थन मूल्य अब 3,578 रुपये प्रति क्विंटल है, जो पिछले साल 3,377 रुपये था.

बाजरा के मामले में एमएसपी 2,250 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2,350 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. ज्वार (संकर) का एमएसपी वर्ष 2022-23 में 2,738 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2,970 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि ज्वार (मालदानी) के लिए समर्थन मूल्य को 2,758 रुपये से बढ़ाकर 2,990 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.

अनुराग ठाकुर ने कहा कि आठ फसलों का एमएसपी उत्पादन लागत से 1.5 गुना अधिक है, जबकि शेष छह फसलों के समर्थन मूल्य में वृद्धि 51-85 प्रतिशत के बीच है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में तिलहन और दलहन के एमएसपी में वृद्धि से देश की आयात निर्भरता को कम करने में मदद मिली है. गेहूं, धान, कुछ तिलहन और दलहन की खरीद में भी तेज वृद्धि हुई है.

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उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में तिलहन, दलहन और मोटे अनाज के पक्ष में एमएसपी को फिर से तय करने के लिए ठोस प्रयास किए गए हैं ताकि किसानों को इन फसलों की बड़े रकबे में खेती करने को प्रोत्साहित हों और वे खेती के सर्वोत्तम तकनीकों और तौर तरीकों को अपना सके, ताकि मांग-आपूर्ति असंतुलन को ठीक किया जा सके. मंत्री ने किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र के व्यापक विकास को सुनिश्चित करने के लिए मोदी सरकार द्वारा पिछले आठ वर्षों के दौरान शुरू किए गए कई कार्यक्रमों पर भी प्रकाश डाला.

वर्ष 2022-23 के लिए सभी 14 फसलों का एमएसपी 2014-15 की तुलना में 46-131 प्रतिशत अधिक है. उदाहरण के लिए, धान (सामान्य किस्म) का एमएसपी 50 प्रतिशत बढ़ाकर 2,040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो 2014-15 में 1,360 रुपये प्रति क्विंटल था.

कैबिनेट ने वायु गुणवत्ता, जलवायु परिवर्तन पर शोध के लिए समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वायु गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त अनुसंधान के लिए बुधवार को राष्ट्रीय पर्यावरण अध्ययन संस्थान (एनआईईएस), जापान और आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस), भारत के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) को मंजूरी दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एनआईईएस और मेष के बीच सहयोगी दिशानिर्देश स्थापित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की मंजूरी दे दी. पूर्व में किसी अन्य विदेशी निकाय के साथ अनुसंधान के समान क्षेत्रों में एआरआईईएस, नैनीताल द्वारा इस तरह के किसी भी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर नहीं किए गए थे.

एमओयू के तहत संभावित गतिविधियों में वैज्ञानिक उपकरणों का संयुक्त उपयोग और संचालन, अवलोकन विधियों पर वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी का आदान-प्रदान, अवलोकन डेटा का संयुक्त विश्लेषण और वैज्ञानिक रिपोर्ट बनाना, संयुक्त शैक्षिक और अनुसंधान गतिविधियां, पीएचडी छात्रों सहित विद्वानों का आदान-प्रदान शामिल है.

एआरआईईएस भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत स्थापित एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है. एआरआईईएस खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी और वायुमंडलीय विज्ञान में अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता का केंद्र है. यह पृथ्वी पर वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन, सूर्य, सितारों और आकाशगंगाओं के निर्माण और विकास पर शोध करता है.

एनआईईएस जापान का एकमात्र शोध संस्थान है जो अंत:विषय और व्यापक तरीके से पर्यावरण अनुसंधान की एक विस्तृत श्रृंखला करता है. एनआईईएस पर्यावरण संरक्षण पर वैज्ञानिक निष्कर्ष निकालने के लिए काम करता है. यह अनुसंधान परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिसमें बुनियादी अनुसंधान, डेटा अधिग्रहण और विश्लेषण, पर्यावरण के नमूनों के संरक्षण और प्रावधान के माध्यम से संस्थान की अनुसंधान नींव को मजबूत करना शामिल है.

कैबिनेट ने स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच एमओयू को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को भारत और अमेरिका के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने की मंजूरी दे दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार (डीबीटी) तथा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और अंतर्राष्ट्रीय एड्स वैक्सीन पहल (आईएवीआई), यूएसए के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की मंजूरी दे दी है.

यह एचआईवी, टीबी, कोविड-19 और अन्य उभरती संक्रामक और उपेक्षित बीमारियों को रोकने और उनका इलाज करने के लिए नए, बेहतर और नवोन्मेषी (इनोवेटिव) जैव चिकित्सा उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के विकास में योगदान करेगा. यह समझौता ज्ञापन पारस्परिक हित के क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग की रूपरेखा के अंतर्गत भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंधों को और मजबूत करेगा.

(एजेंसी)

Last Updated : Jun 8, 2022, 10:45 PM IST
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