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RSS प्रमुख मोहन भागवत के 'मस्जिद में शिवलिंग' वाले बयान से कम ही लोग हैं सहमत

ज्ञापवापी मस्जिद को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष आमने-सामने हैं. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भले ही यह मानते हों कि हर मस्जिद में शिवलिंग देखना नासमझी है और ज्ञानवापी मसले को सुलह-सफाई से सुलझाया जा सकता है. सी वोटर IANS सर्वे में यह सामने आया है कि देश की बड़ी आबादी अभी उनके इस बयान से असहमत है.

Mohan Bhagwat Shivling Statement
Mohan Bhagwat Shivling Statement
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Published : Jun 4, 2022, 2:08 PM IST

Updated : Jun 4, 2022, 2:41 PM IST

नई दिल्ली : नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग, तृतीय वर्ष 2022 के समापन समारोह के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे पर जो बयान दिया, उससे पक्ष और विपक्ष दोनों हैरत में हैं. इस बयान का विश्लेषण कई नजरिये से किया जा रहा है. एक वर्ग का मानना है कि आरएसएस प्रमुख ने ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे पर अब बढ़ते विवाद को सुलह-सफाई से निपटाने पर जोर दिया है. बता दें कि आरएसएस के कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा था कि हिंदुओं का काशी विश्वनाथ मंदिर के अस्तित्व में विश्वास है मगर इतिहास को बदला नहीं जा सकता. इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, ये उस समय घटा. हर मस्जिद में शिवलिंग देखना नासमझी है. संघ प्रमुख ने ज्ञानवापी मसले को साथ मिल-बैठकर सुलझाने या फिर उस पर अदालत के फ़ैसले को मानने की सलाह दी थी. उन्होंने काशी-मथुरा को लेकर किसी आंदोलन से इनकार किया था. उनके बयान का साधु-संतों के एक वर्ग ने जोरदार विरोध किया.

क्या है ज्ञानवापी का विवाद : वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर का विवाद चल रहा है. हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद को मंदिर के अवशेषों पर बनाया गया है. औरंगजेब के आदेश से मस्जिद बनाने के लिए एक मंदिर को नष्ट कर दिया गया था. हाल ही में सर्वे के दौरान मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग मिला है. जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा है कि शिवलिंग वास्तव में एक फव्वारा है और मस्जिद वास्तव में औरंगजेब से पहले की है.

सी वोटर IANS ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर सर्वे किया. इस सर्वे में यह पता लगाने की कोशिश की गई कि उनके बयान से लोग कितने सहमत या असहमत हैं. क्या इसका असर आम भारतीयों पर पड़ा है. सर्वे के नतीजे मिलेजुले रहे. 36.4 प्रतिशत लोगों ने मोहन भागवत के बयान को सही बताया, जबकि 34.8 प्रतिशत लोगों ने उनके तर्क से असहमति जताई. लगभग 29 प्रतिशत लोगों ने इस विषय पर कोई राय नहीं दी. एनडीए के सपोर्टर्स के बीच भी सर्वे का नतीजा मिलाजुला ही रहा. 39 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने सही बयान दिया, जबकि 33 प्रतिशत से अधिक लोगों ने असहमति जताई. सर्वेक्षण में यह भी पूछा गया कि क्या यह बयान दोनों पक्षों को विवाद के सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने में मदद कर सकता है? इसके जवाब में 51 फीसदी लोगों ने हां में जवाब दिया. उनका मानना है कि मोहन भागवत के सलाह से विवाद को हल करने में मदद मिलेगी. 22 प्रतिशत लोगों का मानना था कि भागवत के बयान से विवाद को खत्म नहीं किया जा सकता है. 27 फीसदी लोगों ने इस सवाल पर कोई राय नहीं रखी. गैर भाजपा और गैर एऩडीए समर्थक 42 फीसदी लोगों का कहना है कि मोहन भागवत का बयान ज्ञानवापी मुद्दे को सौहार्दपूर्ण समाधान की ओर ले जाने में मदद नहीं करेगा.

नई दिल्ली : नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग, तृतीय वर्ष 2022 के समापन समारोह के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे पर जो बयान दिया, उससे पक्ष और विपक्ष दोनों हैरत में हैं. इस बयान का विश्लेषण कई नजरिये से किया जा रहा है. एक वर्ग का मानना है कि आरएसएस प्रमुख ने ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे पर अब बढ़ते विवाद को सुलह-सफाई से निपटाने पर जोर दिया है. बता दें कि आरएसएस के कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा था कि हिंदुओं का काशी विश्वनाथ मंदिर के अस्तित्व में विश्वास है मगर इतिहास को बदला नहीं जा सकता. इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, ये उस समय घटा. हर मस्जिद में शिवलिंग देखना नासमझी है. संघ प्रमुख ने ज्ञानवापी मसले को साथ मिल-बैठकर सुलझाने या फिर उस पर अदालत के फ़ैसले को मानने की सलाह दी थी. उन्होंने काशी-मथुरा को लेकर किसी आंदोलन से इनकार किया था. उनके बयान का साधु-संतों के एक वर्ग ने जोरदार विरोध किया.

क्या है ज्ञानवापी का विवाद : वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर का विवाद चल रहा है. हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद को मंदिर के अवशेषों पर बनाया गया है. औरंगजेब के आदेश से मस्जिद बनाने के लिए एक मंदिर को नष्ट कर दिया गया था. हाल ही में सर्वे के दौरान मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग मिला है. जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा है कि शिवलिंग वास्तव में एक फव्वारा है और मस्जिद वास्तव में औरंगजेब से पहले की है.

सी वोटर IANS ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर सर्वे किया. इस सर्वे में यह पता लगाने की कोशिश की गई कि उनके बयान से लोग कितने सहमत या असहमत हैं. क्या इसका असर आम भारतीयों पर पड़ा है. सर्वे के नतीजे मिलेजुले रहे. 36.4 प्रतिशत लोगों ने मोहन भागवत के बयान को सही बताया, जबकि 34.8 प्रतिशत लोगों ने उनके तर्क से असहमति जताई. लगभग 29 प्रतिशत लोगों ने इस विषय पर कोई राय नहीं दी. एनडीए के सपोर्टर्स के बीच भी सर्वे का नतीजा मिलाजुला ही रहा. 39 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने सही बयान दिया, जबकि 33 प्रतिशत से अधिक लोगों ने असहमति जताई. सर्वेक्षण में यह भी पूछा गया कि क्या यह बयान दोनों पक्षों को विवाद के सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने में मदद कर सकता है? इसके जवाब में 51 फीसदी लोगों ने हां में जवाब दिया. उनका मानना है कि मोहन भागवत के सलाह से विवाद को हल करने में मदद मिलेगी. 22 प्रतिशत लोगों का मानना था कि भागवत के बयान से विवाद को खत्म नहीं किया जा सकता है. 27 फीसदी लोगों ने इस सवाल पर कोई राय नहीं रखी. गैर भाजपा और गैर एऩडीए समर्थक 42 फीसदी लोगों का कहना है कि मोहन भागवत का बयान ज्ञानवापी मुद्दे को सौहार्दपूर्ण समाधान की ओर ले जाने में मदद नहीं करेगा.

(आईएएऩएस)

पढ़ें : RSS चीफ मोहन भागवत बोले, 'हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश क्यों'

Last Updated : Jun 4, 2022, 2:41 PM IST
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