नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को कहा कि संसद का कामकाज ठप कर राजनीति को हथियार बनाना हमारी राजनीति के लिए गंभीर परिणाम देने वाला है. धनखड़ ने राज्यसभा के 259वें सत्र के समापन दिवस पर समापन भाषण देते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि 'यह बड़े पैमाने पर लोगों के लिए पूरी तरह नापसंद है. जनता के मन में हम एक वर्ग के रूप में तिरस्कार और उपहास के पात्र हैं.'
उन्होंने कहा कि हमें लोगों की उम्मीदों पर अपने ट्रैक रिकॉर्ड को प्रतिबिंबित करने की जरूरत है. उन्होंने सदन की कार्यवाही पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि 'संसद में विडंबनापूर्ण अव्यवस्था एक नई व्यवस्था के रूप में कैसे बदल रही है- एक नया मानदंड जो लोकतंत्र के सार को नष्ट कर देता है. कितना चिंताजनक और चेतावनीपूर्ण! संसद में वाद-विवाद, संवाद, विचार-विमर्श और चर्चा की सर्वोच्चता ने व्यवधान और गड़बड़ी को जन्म दिया है.'
बजट सत्र के पहले भाग की उत्पादकता 56.3 प्रतिशत थी, जबकि दूसरे भाग में यह घटकर 6.4 प्रतिशत रह गई. संचयी रूप से, सदन की उत्पादकता केवल 24.4 प्रतिशत थी. व्यवधानों ने अपने समय के 103 घंटे 30 मिनट का दावा किया. यह कहते हुए कि संसद लोकतंत्र की प्रहरी है और जनता हमारी प्रहरी और सर्वोच्च स्वामी है, धनखड़ ने कहा कि 'हमारा प्राथमिक दायित्व उनकी सेवा करना है.'
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आगे उन्होंने कहा कि 'संसद का पवित्र परिसर लोगों के समग्र कल्याण के लिए चर्चा और विचार-विमर्श, बहस और निर्णयों के लिए है.' उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ियां नारों से पैदा होने वाले शोर से नहीं, बल्कि हमारे देश के विकास पथ को मजबूत करने की दिशा में हमारे विविध योगदानों से हमारा आकलन करेंगी. उन्होंने कहा, 'आइए सदन के निराशाजनक प्रदर्शन पर विचार करें और कोई रास्ता निकालें.'