नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में बजट पर हुई चर्चा के जवाब में कहा, बजट निरंतरता के लिए है, इससे अर्थव्यवस्था में स्थिरता आएगी. उन्होंने कहा, बजट 2022-23 का मकसद अर्थव्यवस्था को स्थिर और स्थायी प्रोत्साहन देना है.
राज्य सभा में बजट पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इस बजट में भारत की आजादी के 100 वर्ष पूरे होने को लेकर एक दूरदृष्टि है और इसके मद्देनजर सरकार का ध्यान विकास पर केंद्रित है. उन्होंने कहा कि आने वाले 25 साल भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. कृषि क्षेत्र में ड्रोन के उपयोग का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह भारतीय कृषि को बेहतर और आधुनिक बनाने में कारगर साबित होगा.
उन्होंने कहा, 'भारत अपनी आजादी की 100वीं वर्षगांठ में कहां होगा, यदि इसके बारे में एक दूरदृष्टि नहीं होगी तो हमें उसका खामियाजा ठीक उसी तरह भुगतना होगा, जैसा हमने पहले 70 सालों में उठाया...और इनमें से 65 साल कांग्रेस ने शासन किया...उस कांग्रेस ने, जिसके पास कोई दूरदृष्टि नहीं थी सिवाय एक परिवार को फायदा पहुंचाने के.'
वित्त मंत्री ने कहा कि कोविड महामारी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को 9.57 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ जबकि 2008-09 की वैश्विक मंदी में 2.12 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. उन्होंने कहा, 'वित्त वर्ष 2008-09 में जब वित्तीय संकट कम गंभीर था, मुद्रास्फीति की दर 9.1 प्रतिशत थी जबकि महामारी का अर्थव्यवस्था पर ज्यादा प्रभाव पड़ा लेकिन उस दौरान यह दर 6.2 प्रतिशत रही.'
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर करारा हमला किया और दावा किया कि आज भी 'रिमोट कंट्रोल से संचालित' होने वाली इस विपक्षी पार्टी का वास्तव में 'राहु काल' चल रहा है जबकि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी का 'अमृत काल' चल रहा है. राज्य सभा में आम बजट पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने यह भी कहा कि कांग्रेस में कोई लोकतंत्र नहीं है, क्योंकि संप्रग सरकार के शासन में राष्ट्रीय नीतियां 10, जनपथ (कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का सरकारी आवास) में बनती थीं और घोषणाएं 7, लोक कल्याण मार्ग (प्रधानमंत्री आवास) से होती थीं. वित्त मंत्री ने कहा कि यह देश वह दिन कभी नहीं भूल सकता जब केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले की प्रति को कांग्रेस के तत्कालीन महासचिव राहुल गांधी ने मीडिया के समक्ष फाड़ कर फेंक दिया था.
दरअसल, बजट पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा था कि यह सरकार 'अमृत काल' की बात कर रही है जबकि देश 2014 से (नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से) राहु काल देख रहा है. बता दें कि सरकार ने आजादी के 75 साल से 100 साल तक के सफर को अमृत काल का नाम दिया है.
सिब्बल की टिप्पणी का जिक्र करते हुए उन्होंने जिस राहु काल का उल्लेख किया वह वास्तविकता में कांग्रेस का चल रहा है. उन्होंने कहा,'...जब एक प्रधानमंत्री एक कानून लेकर आते हैं और उसे मीडिया के समक्ष फाड़ कर फेंक दिया जाता है...वह भी तब जबकि प्रधानमंत्री कुछ घंटों के बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति से मिलने वाले थे...वह राहु काल था.'
कांग्रेस के आंतरिक मतभेदों का उल्लेख करते हुए सीतारमण ने कहा कि विपक्षी पार्टी में जी-23 का खेमा बन जाना ही उसका राहु काल है. उन्होंने कहा, 'इसलिए राहु काल तो कांग्रेस का चल रहा है. हमारा तो अमृत काल चल रहा है.' उन्होंने कहा, 'कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़ रहे हैं...यह राहु काल है...कांग्रेस जो 'राहुल काल' का सामना कर रही है, वह 44 सीटों पर सिमट कर रह गई है और उससे आगे नहीं बढ़ पा रही है.'
कांग्रेस के 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' अभियान का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि राहु काल तो राजस्थान में है जहां आए दिन महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहे हैं और वहां की लड़किया लड़ नहीं सक (पा) रही हैं.' विपक्ष की ओर बैठे कांग्रेस नेताओं की तरफ इशारा करते हुए सीतारमण ने कहा कि राहु काल तो उधर है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार आजादी के अमृत काल के लिहाज से कई कदम उठा रही है जबकि इसका अपमान करने के लिए विपक्ष के सदस्य इसे राहु काल कह रहे हैं.
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सरकार की नीतियों को रिमोट कंट्रोल से संचालित किए जाने संबंधी कांग्रेस के एक सदस्य के आरोप का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह टिप्पणी उस पार्टी की तरफ से आई है, जो अभी तक रिमोट कंट्रोल से ही संचालित हो रही है और जिसमें कोई लोकतंत्र नहीं है.
उन्होंने कहा, 'इतना ही नहीं...उनके शासन में... राष्ट्रीय नीतियां 10 जनपथ पर तय होती थीं और सात एलकेएम पर उसकी घोषणा होती थी. क्या वह रिमोट कंट्रोल था या नही?...और लोग वह दिन कभी नहीं भूल सकते जब पार्टी के एक तत्कालीन महासचिव ने सरकार के फैसलों की प्रतियों को जनता के समक्ष... प्रेस के सामने फाड़ दिया था. वह भी तब जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कुछ ही घंटों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति से मिलने वाले थे. वह रिमोट कंट्रोल नहीं था तो क्या था?'
सीतारमण की टिप्पणियों का विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह कहते हुए विरोध किया कि पूरा विपक्ष वित्त मंत्री के जवाब को गंभीरता से सुन रहा है लेकिन वह सदन को भटकाने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने कहा, 'कांग्रेस पार्टी ने क्या किया? कांग्रेस सचिव ने क्या किया?... आप बजट पर बोलिए हम सुनेंगे. 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे आ गए. जो ऊपर गए, उस पर बोलिए. क्रिप्टो करेंसी को स्वीकार किया है कि नहीं, उस पर बोलिए. क्योंकि आज ही रिजर्व बैंक के चेयरमैन (अध्यक्ष) ने कहा है कि अपने रिस्क (जोखिम) पर आप निवेश कर सकते हो. यह सब बोलिए, हम सुनने को तैयार हैं...गंभीरता से जवाब दो तो हम सुनेंगे...यह कॉमेडी टाइप बोलना बंद कीजिए.'
इसके जवाब में सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस के सदस्य राजमणि पटेल ने बजट पर चर्चा के दौरान सवाल उठाए थे, इसलिए वह जवाब दे रही हैं. उन्होंने कहा, 'मैं उन्हीं विषयों पर बोल रही है जिनकी चर्चा इस सदन में की गई है और ना कि सदन के बाहर की गई है.'
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सीतारमण ने राज्यसभा से निर्वाचित होने के कारण जमीनी सच्चाई से दूर रहने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते याद दिलाया कि मनमोहन सिंह भी राज्यसभा के ही सदस्य थे और वह 10 सालों तक देश के प्रधानमंत्री थे. उन्होंने कहा, 'कांग्रेस शासन में भी कई ऐसे राज्यसभा सदस्य थे जिन्हें मंत्री बनाया गया था...तो क्या उनके (विपक्ष) कहने का अर्थ यह तो नहीं है कि उनके मंत्री जमीन से कटे हुए थे. सिर्फ इसलिए क्योंकि वह राज्यसभा से थे. उनके समय तो देश के प्रधानमंत्री इस उच्च सदन से थे. तो क्या वह जमीन से कटे हुए थे? यह कहना चाहते हैं आप. वह इसी सदन के सदस्य थे और 10 साल देश के प्रधानमंत्री रहे.'
सीतारमण के जवाब के दौरान कई दफा सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच नोकझोंक और टीका-टिप्पणी भी हुई. उपसभापति हरिवंश ने व्यवधान के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जॉन ब्रिटस को चेतावनी दी और कहा कि उन्होंने यदि फिर व्यवधान पैदा किया तो वह उन्हें सदन से बाहर करने का मजबूर हो जाएंगे.
(इनपुट-पीटीआई-भाषा)