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आनंद मोहन को रिहा करने की तैयारी पर नीतीश कुमार पर भड़कीं बसपा सुप्रीमो मायावती, कहा- यह दलित विरोधी कार्य

बिहार में 5 दिसम्बर 1994 को गोपालगंज के जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन को फांसी की सजा सुनाई गई थी. बाद में पटना हाईकोर्ट ने इसे उम्रकैद में बदल दिया था.

बसपा मुखिया ने ट्वीट कर नाराजगी जाहिर की है.
बसपा मुखिया ने ट्वीट कर नाराजगी जाहिर की है.
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Published : Apr 23, 2023, 11:51 AM IST

Updated : Apr 23, 2023, 12:05 PM IST

लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन को जेल से रिहा किए जाने की तैयारी पर नाराजगी जताई है. उन्होंने ट्वीट कर बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. उन्होंने इसे दलित विरोधी कार्य करार दिया है. उन्होंने लिखा है कि नीतीश सरकार की इस तरह की कार्रवाई से देशभर में गलत संदेश जाएगा. जनता को समझ आएगा कि नीतीश सरकार दलित विरोधी है.

बता दें कि आन्ध्र प्रदेश के (अब तेलंगाना) महबूबनगर के रहने वाले दलित समाज के बेहद ईमानदार आईएएस जी. कृष्णैया की 5 दिसम्बर 1994 को बिहार में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. मामले में पटना की निचली अदालत ने 2007 में पूर्व सांसद आनंद मोहन को फांसी की सजा दी थी. इसके बाद पटना हाईकोर्ट ने इस सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था. आनंद मोहन अभी भी जेल में हैं. बताया जा रहा है कि उनकी सजा की अवधि पूरी हो चुकी है. 3 मई को आनंद मोहन के बेटे की शादी है. इसके लिए वह पैरोल पर हैं. उन्हें जल्द रिहा किए जाने की भी चर्चा है.

  • 1. बिहार की नीतीश सरकार द्वारा, आन्ध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) महबूबनगर के रहने वाले गरीब दलित समाज से आईएएस बने बेहद ईमानदार जी. कृष्णैया की निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनन्द मोहन को नियम बदल कर रिहा करने की तैयारी देश भर में दलित विरोधी निगेटिव कारणों से काफी चर्चाओं में है।

    — Mayawati (@Mayawati) April 23, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

इस पर बसपा सुप्रीमो ने नाराजगी जताई है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि 'निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनन्द मोहन को नियम बदल कर रिहा करने की तैयारी देश भर में दलित विरोधी निगेटिव कारणों से काफी चर्चाओं में है. आनन्द मोहन बिहार में कई सरकारों की मजबूरी रहे हैं, लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की हत्या मामले को लेकर नीतीश सरकार का यह दलित विरोधी व अपराध समर्थक कार्य से देश भर के दलित समाज में काफी रोष है. चाहे कुछ मजबूरी हो लेकिन बिहार सरकार इस पर जरूर पुनर्विचार करे'.

1994 में हुई थी हत्या : पांच दिसम्बर 1994 को अधिकारियों की बैठक में शामिल होने के बाद गोपालगंज के जिलाधिकारी जी.कृष्णैया लौट रहे थे. एक दिन पहले ही उत्तर बिहार के एक नामी गैंगस्टर छोटन शुक्ला की गैंगवार में हत्या हुई थी. शव को एनएच हाईवे पर रखकर लोग प्रदर्शन कर रहे थे. अचानक हाईवे-28 से एक लाल बत्ती वाली कार गुजरती दिखी. उस कार में आईएएस जी. कृष्णैया बैठे थे. कार देख भीड़ भड़क उठी. गाड़ी पर पथराव करना शुरू कर दिया. चालक और अंगरक्षक ने डीएम को बचाने का पूरा प्रयास किया, लेकिन उग्र भीड़ ने कृष्णैया को गाड़ी से बाहर खींच लिया. इसके बाद खाबरा गांव के पास पीट-पीटकर उन्हें मार दिया. आरोप था कि डीएम की कनपटी में एक गोली भी मारी गई थी. इस वारदात के लिए आनंद मोहन को दोषी ठहराया गया था.

यह भी पढ़ें : क्या विद्रोह की राह पर चल पड़े मंत्री नंद गोपाल नंदी, जानिए क्या है वजह

लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन को जेल से रिहा किए जाने की तैयारी पर नाराजगी जताई है. उन्होंने ट्वीट कर बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. उन्होंने इसे दलित विरोधी कार्य करार दिया है. उन्होंने लिखा है कि नीतीश सरकार की इस तरह की कार्रवाई से देशभर में गलत संदेश जाएगा. जनता को समझ आएगा कि नीतीश सरकार दलित विरोधी है.

बता दें कि आन्ध्र प्रदेश के (अब तेलंगाना) महबूबनगर के रहने वाले दलित समाज के बेहद ईमानदार आईएएस जी. कृष्णैया की 5 दिसम्बर 1994 को बिहार में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. मामले में पटना की निचली अदालत ने 2007 में पूर्व सांसद आनंद मोहन को फांसी की सजा दी थी. इसके बाद पटना हाईकोर्ट ने इस सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था. आनंद मोहन अभी भी जेल में हैं. बताया जा रहा है कि उनकी सजा की अवधि पूरी हो चुकी है. 3 मई को आनंद मोहन के बेटे की शादी है. इसके लिए वह पैरोल पर हैं. उन्हें जल्द रिहा किए जाने की भी चर्चा है.

  • 1. बिहार की नीतीश सरकार द्वारा, आन्ध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) महबूबनगर के रहने वाले गरीब दलित समाज से आईएएस बने बेहद ईमानदार जी. कृष्णैया की निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनन्द मोहन को नियम बदल कर रिहा करने की तैयारी देश भर में दलित विरोधी निगेटिव कारणों से काफी चर्चाओं में है।

    — Mayawati (@Mayawati) April 23, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

इस पर बसपा सुप्रीमो ने नाराजगी जताई है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि 'निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनन्द मोहन को नियम बदल कर रिहा करने की तैयारी देश भर में दलित विरोधी निगेटिव कारणों से काफी चर्चाओं में है. आनन्द मोहन बिहार में कई सरकारों की मजबूरी रहे हैं, लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की हत्या मामले को लेकर नीतीश सरकार का यह दलित विरोधी व अपराध समर्थक कार्य से देश भर के दलित समाज में काफी रोष है. चाहे कुछ मजबूरी हो लेकिन बिहार सरकार इस पर जरूर पुनर्विचार करे'.

1994 में हुई थी हत्या : पांच दिसम्बर 1994 को अधिकारियों की बैठक में शामिल होने के बाद गोपालगंज के जिलाधिकारी जी.कृष्णैया लौट रहे थे. एक दिन पहले ही उत्तर बिहार के एक नामी गैंगस्टर छोटन शुक्ला की गैंगवार में हत्या हुई थी. शव को एनएच हाईवे पर रखकर लोग प्रदर्शन कर रहे थे. अचानक हाईवे-28 से एक लाल बत्ती वाली कार गुजरती दिखी. उस कार में आईएएस जी. कृष्णैया बैठे थे. कार देख भीड़ भड़क उठी. गाड़ी पर पथराव करना शुरू कर दिया. चालक और अंगरक्षक ने डीएम को बचाने का पूरा प्रयास किया, लेकिन उग्र भीड़ ने कृष्णैया को गाड़ी से बाहर खींच लिया. इसके बाद खाबरा गांव के पास पीट-पीटकर उन्हें मार दिया. आरोप था कि डीएम की कनपटी में एक गोली भी मारी गई थी. इस वारदात के लिए आनंद मोहन को दोषी ठहराया गया था.

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Last Updated : Apr 23, 2023, 12:05 PM IST
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