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पंजाब में बसपा का खुला खाता, नवांशहर में मिली जीत - नवांशहर में मिली जीत

पंजाब विधानसभा चुनाव में बसपा ने भी खाता खोला है. नवांशहर से उसे जीत हासिल हुई है. 2017 के चुनावों में उसे 1.52 प्रतिशत का वोट शेयर मिला था, लेकिन सीट नहीं जीती थी.

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मायावती
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Published : Mar 10, 2022, 6:14 PM IST

हैदराबाद : पंजाब में 117 विधानसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी को रिकॉर्ड जीत मिली है. पंजाब में बसपा का भी इस बार खाता खुला है. शिरोमणि अकाली दल-बहुजन समाज पार्टी गठबंधन को भले ही हार का सामना करना पड़ा लेकिन पंजाब में बसपा का खाता खुल गया है. नवांशहर में उसे जीत हासिल हुई है. बसपा उम्मीदवार नछहत्तर पाल ने जीत दर्ज की है.

यूं तो पार्टी यूपी तक ही सीमित थी, लेकिन पंजाब में अल्पसंख्यकों की संख्या को देखते हुए पार्टी सुप्रीमो ने शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन किया. पंजाब में पार्टी हमेशा एक गैर-स्टार्टर रही है और 1997 के बाद से राज्य विधानमंडल में एक भी सीट नहीं जीती है. 2017 के चुनावों में उसे 1.52 प्रतिशत का वोट शेयर मिला था.इस बार शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन कर वह बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही थी, लेकिन आम आदमी पार्टी के सामने गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा.

गौरतलब है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को ध्यान में रखते हुए कांशीराम ने 1984 में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) का गठन किया था, लेकिन पार्टी का मुख्य फोकस यूपी तक ही था.

पढ़ें- पंजाब में हुआ 'आप' का 'मान', कॉमेडियन से CM बनने जा रहे भगवंत मान

हैदराबाद : पंजाब में 117 विधानसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी को रिकॉर्ड जीत मिली है. पंजाब में बसपा का भी इस बार खाता खुला है. शिरोमणि अकाली दल-बहुजन समाज पार्टी गठबंधन को भले ही हार का सामना करना पड़ा लेकिन पंजाब में बसपा का खाता खुल गया है. नवांशहर में उसे जीत हासिल हुई है. बसपा उम्मीदवार नछहत्तर पाल ने जीत दर्ज की है.

यूं तो पार्टी यूपी तक ही सीमित थी, लेकिन पंजाब में अल्पसंख्यकों की संख्या को देखते हुए पार्टी सुप्रीमो ने शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन किया. पंजाब में पार्टी हमेशा एक गैर-स्टार्टर रही है और 1997 के बाद से राज्य विधानमंडल में एक भी सीट नहीं जीती है. 2017 के चुनावों में उसे 1.52 प्रतिशत का वोट शेयर मिला था.इस बार शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन कर वह बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही थी, लेकिन आम आदमी पार्टी के सामने गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा.

गौरतलब है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को ध्यान में रखते हुए कांशीराम ने 1984 में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) का गठन किया था, लेकिन पार्टी का मुख्य फोकस यूपी तक ही था.

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