लखनऊ: आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर देश के सभी राजनीतिक दलों ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है. चुनाव का काउंटडाउन भी शुरू हो गया है. सभी राजनीतिक दल जीत की उम्मीद के साथ मैदान में उतरने भी लगे हैं. जहां विपक्षी दल एक मंच पर आकर भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए कमर कस रहे हैं, वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने भी मैदान में उतरकर विपक्षी दलों का सामना करने की तैयारी पूरी कर ली है. बहुजन समाज पार्टी ने भी लोकसभा चुनाव अकेले दम पर लड़ने का फैसला किया है. लिहाजा, बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी अपने सिपहसालारों के साथ रणनीति बनानी शुरू कर दी है.
बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती शनिवार को दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में पंजाब, चंडीगढ़ और हरियाणा स्टेट यूनिट के सभी पदाधिकारियों (जिनमें स्टेट कोऑर्डिनेटर, प्रदेश अध्यक्ष, जोनल इंचार्ज और जिला अध्यक्ष शामिल होंगे) के साथ समीक्षा बैठक करेंगी. इसमें पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद भी मौजूद रहेंगे. पार्टी का फोकस आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रचार-प्रसार और बहुजन समाज पार्टी की नीतियों को जन-जन तक पहुंचाने पर होगा. इसी को लेकर बीएसपी सुप्रीमो सभी पदाधिकारियों को दिशा-निर्देश देंगी. साथ ही उन्हें जीत का मूल मंत्र देंगी.
उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो पहले ही बीएसपी मुखिया पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक कर चुकी हैं और उन्हें मैदान में उतरने भेज भी दिया है. पार्टी के लोकसभा चुनाव के प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी बीएसपी सुप्रीमो ने अपने भतीजे आकाश आनंद को ही सौंपी है. इसके अलावा पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता जो केंद्रीय यूनिट में हैं, उन्हें भी मायावती की तरफ से जिम्मा सौंपा गया है. बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव में बेहतर कर सकें, इसके लिए सभी राज्यों के पदाधिकारियों के साथ बसपा सुप्रीमो बैठक कर रणनीति बनाने में जुटी हुई हैं.
उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है और चुनाव के लिहाज से यहां पर 80 लोकसभा सीटें हैं. बहुजन समाज पार्टी की बात करें तो पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर 10 सीटें जीतने में सफल हुई थी. लेकिन, इस बार समाजवादी पार्टी से बीएसपी का गठबंधन नहीं है. ऐसे में बसपा के लिए राहें बिल्कुल भी आसान नहीं हैं. इसके पीछे कारण ये है कि 2022 का विधानसभा चुनाव पार्टी ने अकेले दम पर ही लड़ा था और 403 सीटों में से सिर्फ एक सीट ही पार्टी के खाते में आई थी. जानकार मानते हैं कि मायावती को कुछ बेहतर रणनीति बनाकर ही जीत की उम्मीद करनी होगी, नहीं तो पार्टी के हिस्से में बेहतर परिणाम आ पाएं, इसकी उम्मीद उत्तर प्रदेश के लोगों को कम ही नजर आ रही है.
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