मुंबई : ब्रिक्स में छह नए सदस्यों को शामिल करने से समूह के देशों का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 30 प्रतिशत का हिस्सा होगा. एक शोध पत्र में कहा गया है कि वैश्विक आबादी का 46 प्रतिशत 'ब्रिक्स प्लस छह' देशों में होगा (BRICS six new member).
पिछले सप्ताह जोहानिसबर्ग में संपन्न ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में मौजूदा सदस्यों...ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका...ने अर्जेन्टीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को नए सदस्यों के तौर पर समूह में शामिल करने का निर्णय किया.
नए सदस्य एक जनवरी, 2024 से ब्रिक्स का हिस्सा बन जाएंगे. ब्रिक नाम मूल रूप से 2001 में जिम ओ नील के नेतृत्व में गोल्डमैन शैक्स के अर्थशास्त्रियों ने दिया था. बाद में दिसंबर, 2010 में दक्षिण अफ्रीका को पांचवें सदस्य के रूप में जोड़ा गया और यह ब्रिक्स बना.
वर्तमान में, पांच सदस्यीय समूह में दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी रहती है जबकि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में इनकी हिस्सेदारी 26 प्रतिशत है. भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने एक अध्ययन पत्र में कहा कि छह नए सदस्यों को शामिल करने से समूह के देशों की आबादी 46 प्रतिशत और आर्थिक उत्पादन में इनका योगदान 30 प्रतिशत का होगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि सबसे बड़ा प्रभाव वैश्विक कच्चे तेल उत्पादन की हिस्सेदारी पर होगा. यह मौजूदा 18 प्रतिशत से बढ़कर 40 प्रतिशत जबकि तेल खपत की हिस्सेदारी 27 प्रतिशत से बढ़कर 36 प्रतिशत हो जाएगी.
इसी तरह, वैश्विक वस्तु व्यापार में उनकी हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से बढ़कर 25 प्रतिशत और वैश्विक सेवा व्यापार में 12 से बढ़कर 15 प्रतिशत हो जाएगी. घोष ने कहा कि नए समूह से एक नए 'ग्लोबल साउथ' (विकासशील और अल्पविकसित देश) का उदय होगा. इसका कारण यह है कि जब वैश्विक मामलों, व्यापार, मुद्रा और ऊर्जा सुरक्षा की बात आती है तो ब्रिक्स छह नए सदस्य देशों के साथ 'ग्लोबल नॉर्थ' (विकसित देश) के दबदबे को लेकर एक भरोसेमंद विकल्प पेश करेगा.
उन्होंने कहा कि ब्रिक्स पासा पलटने वाला होगा. इससे वैश्विक व्यापार की शर्तों को फिर से लिखा जाएगा क्योंकि नया समूह नई वैश्विक व्यवस्था की धुरी हो सकता है.
(पीटीआई-भाषा)