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तेलंगाना: केटीआर का भाग्य तय करने में बुनकर समुदाय की अहम भूमिका होगी

तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2023 करीब आने के साथ ही राज्य में प्रचार अभियान तेज हो गया है. कई बड़े नेता इस चुनाव में अपने भाग्य आजमा रहे हैं उनमें राज्य के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव के बेटे के.टी.रामाराव भी शामिल हैं. Telangana Assembly Elections 2023-weavers decide fate of K T Rama Rao

Brewing dissent among weavers to decide fate of K T Rama Rao in Sircilla assembly segment
तेलंगाना: सिरसिला सीट पर केसीआर के बेटे का भाग्य तय करने में बुनकर समुदाय की अहम भूमिका होगी
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By PTI

Published : Nov 22, 2023, 2:13 PM IST

सिरसिला: तेलंगाना की सिरसिला सीट से मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव के बेटे के.टी.रामाराव चुनाव लड़ रहे हैं और इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाने वाले बुनकर समुदाय में व्याप्त असंतोष इस बार उनके लिए चुनौती खड़ी कर रहा है. तेलंगाना राज्य के गठन से पहले बुनकरों की आत्महत्या के कारण सुर्खियों में रहे सिरसिला विधानसभा क्षेत्र का बीते दस बरस तक भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने प्रतिनिधित्व किया है.

सिरसिला सीट से बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष एवं उद्योग मंत्री राव लगातार चौथी बार चुनाव लड़ रहे हैं. लगभग 2.43 लाख मतदाताओं वाली इस सीट में अधिकतर मतदाता ‘पद्मशालिस’ कहे जाने वाले बुनकर समुदाय के हैं। बुनकर बहुल इस सीट में किसी भी उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए इनका समर्थन महत्वपूर्ण है.

बुनकरों की आत्महत्या की घटनाएं तो रुक गई हैं, लेकिन ‘बथुकम्मा साड़ी’ योजना और समुदाय के सशक्तिकरण के लिए शुरू की गई अन्य विशेष योजनाओं के कार्यान्वयन को लेकर लोगों में असंतोष है। महंगाई के कारण जीवन यापन भी महंगा होता जा रहा है और लोगों की सरकार से मांग तथा उम्मीदें चुनाव दर चुनाव बढ़ती ही जा रही हैं.

कारीगर (पावरलूम) रामचंद्र रामपर ने न्यूज एजेंसी को बताया, 'बथुकम्मा साड़ी कार्यक्रम के तहत हमें केवल तीन महीने काम मिलता है और शेष नौ महीने हम बेरोजगार रहते हैं. महंगाई बढ़ गई है. हम किराया देने और जरूरत की चीजें खरीदने में असमर्थ हैं. हम उस पार्टी के लिए मतदान करेंगे जो हमारे लिए पूरे साल काम सुनिश्चित करेगी.'

बथुकम्मा साड़ी योजना-2017 में बुनकरों को समर्थन देने और महिलाओं को एक छोटा सा उपहार देने के दोहरे लक्ष्य के साथ शुरू की गई थी. योजना के तहत पावरलूम कार्यकर्ताओं को प्रतिदिन 12 घंटे के काम के लिए प्रति सप्ताह पांच हजार रुपये का भुगतान किया जाता है. जब कार्यक्रम शुरू किया गया था, तब छह महीने तक काम मिलता था और अब यह घटकर तीन महीने रह गया है.

एक अन्य कारीगर श्रीनिवास ने अफसोस जताते हुए कहा, 'केटीआर का कहना है कि वह हमारे लिए यह योजना लाए हैं. यह कम से कम सात से आठ महीने के लिए होनी चाहिए. अगर हमें पूरे साल काम मिलता है, तो हम उनकी जीत सुनिश्चित करेंगे.' कई कारीगरों की शिकायत है कि उन्हें यार्न सब्सिडी और अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हासिल करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है.

उदाहरण के लिए, बुनकर समुदाय में भी दलित हैं, लेकिन दलित बंधु योजना उन तक नहीं पहुंच रही है. यहां तक कि कारीगर को पेंशन भी नहीं दी जाती है. एक अन्य कारीगर वेंकटेश ने कहा, 'सरकार ने वादा किया था कि पावरलूम कार्यकर्ताओं को मालिक बनाया जाएगा, लेकिन इसे 10 वर्षों में लागू नहीं किया गया है। हमारी मांग है कि इसे लागू किया जाए.'

इस विधानसभा क्षेत्र में बुनकरों के बीच व्याप्त असंतोष को देखते हुए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस मौके को अपने पक्ष में भुनाने के प्रयास में हैं. केटीआर के खिलाफ चौथी बार चुनाव लड़ रहे कांग्रेस उम्मीदवार केके महेंद्र रेड्डी (62) एक यार्न डिपो स्थापित करने के वादे के साथ बुनकर समुदाय के बीच अपनी पैठ बना रहे हैं.

ये भी पढ़ें- तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2023 से पहले KTR बोले- इस बार मैं सीएम से मांगूगा यह मंत्रालय, जानिए क्यों

यह वादा सिरसिला के बुनकरों की प्रमुख समस्याओं का समाधान करने के लिए बेहद कारगर है. वहीं, भाजपा उम्मीदवार रानी रुद्रमा रेड्डी एक पावरलूम क्लस्टर का वादा कर रही हैं. कांग्रेस और भाजपा उम्मीदवार रेड्डी समुदाय से हैं, जिनके मतदाताओं की संख्या सिरसिला में लगभग 23,000 है, जबकि केटीआर की वेलामा जाति के मतदाता केवल 4,000 हैं. एक वर्ग का अनुमान है कि केटीआर असंतोष के बीच बेहद कम अंतर से चुनाव जीत सकते हैं.

सिरसिला: तेलंगाना की सिरसिला सीट से मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव के बेटे के.टी.रामाराव चुनाव लड़ रहे हैं और इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाने वाले बुनकर समुदाय में व्याप्त असंतोष इस बार उनके लिए चुनौती खड़ी कर रहा है. तेलंगाना राज्य के गठन से पहले बुनकरों की आत्महत्या के कारण सुर्खियों में रहे सिरसिला विधानसभा क्षेत्र का बीते दस बरस तक भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने प्रतिनिधित्व किया है.

सिरसिला सीट से बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष एवं उद्योग मंत्री राव लगातार चौथी बार चुनाव लड़ रहे हैं. लगभग 2.43 लाख मतदाताओं वाली इस सीट में अधिकतर मतदाता ‘पद्मशालिस’ कहे जाने वाले बुनकर समुदाय के हैं। बुनकर बहुल इस सीट में किसी भी उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए इनका समर्थन महत्वपूर्ण है.

बुनकरों की आत्महत्या की घटनाएं तो रुक गई हैं, लेकिन ‘बथुकम्मा साड़ी’ योजना और समुदाय के सशक्तिकरण के लिए शुरू की गई अन्य विशेष योजनाओं के कार्यान्वयन को लेकर लोगों में असंतोष है। महंगाई के कारण जीवन यापन भी महंगा होता जा रहा है और लोगों की सरकार से मांग तथा उम्मीदें चुनाव दर चुनाव बढ़ती ही जा रही हैं.

कारीगर (पावरलूम) रामचंद्र रामपर ने न्यूज एजेंसी को बताया, 'बथुकम्मा साड़ी कार्यक्रम के तहत हमें केवल तीन महीने काम मिलता है और शेष नौ महीने हम बेरोजगार रहते हैं. महंगाई बढ़ गई है. हम किराया देने और जरूरत की चीजें खरीदने में असमर्थ हैं. हम उस पार्टी के लिए मतदान करेंगे जो हमारे लिए पूरे साल काम सुनिश्चित करेगी.'

बथुकम्मा साड़ी योजना-2017 में बुनकरों को समर्थन देने और महिलाओं को एक छोटा सा उपहार देने के दोहरे लक्ष्य के साथ शुरू की गई थी. योजना के तहत पावरलूम कार्यकर्ताओं को प्रतिदिन 12 घंटे के काम के लिए प्रति सप्ताह पांच हजार रुपये का भुगतान किया जाता है. जब कार्यक्रम शुरू किया गया था, तब छह महीने तक काम मिलता था और अब यह घटकर तीन महीने रह गया है.

एक अन्य कारीगर श्रीनिवास ने अफसोस जताते हुए कहा, 'केटीआर का कहना है कि वह हमारे लिए यह योजना लाए हैं. यह कम से कम सात से आठ महीने के लिए होनी चाहिए. अगर हमें पूरे साल काम मिलता है, तो हम उनकी जीत सुनिश्चित करेंगे.' कई कारीगरों की शिकायत है कि उन्हें यार्न सब्सिडी और अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हासिल करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है.

उदाहरण के लिए, बुनकर समुदाय में भी दलित हैं, लेकिन दलित बंधु योजना उन तक नहीं पहुंच रही है. यहां तक कि कारीगर को पेंशन भी नहीं दी जाती है. एक अन्य कारीगर वेंकटेश ने कहा, 'सरकार ने वादा किया था कि पावरलूम कार्यकर्ताओं को मालिक बनाया जाएगा, लेकिन इसे 10 वर्षों में लागू नहीं किया गया है। हमारी मांग है कि इसे लागू किया जाए.'

इस विधानसभा क्षेत्र में बुनकरों के बीच व्याप्त असंतोष को देखते हुए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस मौके को अपने पक्ष में भुनाने के प्रयास में हैं. केटीआर के खिलाफ चौथी बार चुनाव लड़ रहे कांग्रेस उम्मीदवार केके महेंद्र रेड्डी (62) एक यार्न डिपो स्थापित करने के वादे के साथ बुनकर समुदाय के बीच अपनी पैठ बना रहे हैं.

ये भी पढ़ें- तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2023 से पहले KTR बोले- इस बार मैं सीएम से मांगूगा यह मंत्रालय, जानिए क्यों

यह वादा सिरसिला के बुनकरों की प्रमुख समस्याओं का समाधान करने के लिए बेहद कारगर है. वहीं, भाजपा उम्मीदवार रानी रुद्रमा रेड्डी एक पावरलूम क्लस्टर का वादा कर रही हैं. कांग्रेस और भाजपा उम्मीदवार रेड्डी समुदाय से हैं, जिनके मतदाताओं की संख्या सिरसिला में लगभग 23,000 है, जबकि केटीआर की वेलामा जाति के मतदाता केवल 4,000 हैं. एक वर्ग का अनुमान है कि केटीआर असंतोष के बीच बेहद कम अंतर से चुनाव जीत सकते हैं.

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