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सरकार ऐसा प्रमाण पत्र जारी करे जिसमें लिखा हो कि मेरी कोई जाति या धर्म नहीं: याचिकाकर्ता

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Published : Apr 2, 2022, 4:33 PM IST

एक ब्राह्मण लड़की ने गुजरात हाईकोर्ट में एक दुर्लभ याचिका (A rare petition in Gujarat High Court) दायर की है. जिसमें सरकार को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वह ऐसा प्रमाण पत्र जारी करे, जिसमें लिखा हो कि मेरा कोई धर्म या (I have no religion or caste) जाति नहीं है.

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अहमदाबाद: गुजरात के सूरत की रहने वाली काजल मंजुला (A girl named Kajal Manjula) नाम की लड़की ने जाति प्रमाण पत्र से अपनी जाति और धर्म हटाने के लिए आवेदन किया है. लड़की ने आवेदन के माध्यम से यह मांग की है कि उसके जाति प्रमाण पत्र में उसकी जाति या धर्म (I have no religion or caste) का उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए.

ऐसा पहली बार होगा कि राज्य में किसी युवती ने धर्म या जाति के उल्लेख के संबंध में गुजरात उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है. उस लड़की ने अपनी पहचान से छुटकारा पाने का फैसला किया है और वह भविष्य में कहीं भी अपनी जाति या धर्म का जिक्र नहीं करना चाहती. अधिवक्ता धर्मेश गुर्जर ने कहा कि हमारे देश और समाज में भेदभावपूर्ण जाति व्यवस्था के कारण आवेदक को अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

यह भी पढ़ें- जिलास्तर पर डॉक्टरों की कमी को लेकर SC ने मांगा यूपी सरकार से जवाब

वर्तमान आवेदक मूल रूप से राजगोर ब्राह्मण समुदाय से है फिर भी वह इस तरह की भेदभावपूर्ण जाति व्यवस्था के कारण परेशान है. याचिकाकर्ता ने मद्रास उच्च न्यायालय के एक आदेश के आधार पर यह मांग की है, जिसमें मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को स्नेहा प्रतिबराज नाम की लड़की को बिना जाति या धर्म के प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया था. इस मामले की सुनवाई निकट भविष्य में गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा की जाएगी.

अहमदाबाद: गुजरात के सूरत की रहने वाली काजल मंजुला (A girl named Kajal Manjula) नाम की लड़की ने जाति प्रमाण पत्र से अपनी जाति और धर्म हटाने के लिए आवेदन किया है. लड़की ने आवेदन के माध्यम से यह मांग की है कि उसके जाति प्रमाण पत्र में उसकी जाति या धर्म (I have no religion or caste) का उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए.

ऐसा पहली बार होगा कि राज्य में किसी युवती ने धर्म या जाति के उल्लेख के संबंध में गुजरात उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है. उस लड़की ने अपनी पहचान से छुटकारा पाने का फैसला किया है और वह भविष्य में कहीं भी अपनी जाति या धर्म का जिक्र नहीं करना चाहती. अधिवक्ता धर्मेश गुर्जर ने कहा कि हमारे देश और समाज में भेदभावपूर्ण जाति व्यवस्था के कारण आवेदक को अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

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वर्तमान आवेदक मूल रूप से राजगोर ब्राह्मण समुदाय से है फिर भी वह इस तरह की भेदभावपूर्ण जाति व्यवस्था के कारण परेशान है. याचिकाकर्ता ने मद्रास उच्च न्यायालय के एक आदेश के आधार पर यह मांग की है, जिसमें मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को स्नेहा प्रतिबराज नाम की लड़की को बिना जाति या धर्म के प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया था. इस मामले की सुनवाई निकट भविष्य में गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा की जाएगी.

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