ETV Bharat / bharat

झारखंड : चतरा जिले के इन गांवों में युवाओं की नहीं हो रही शादी, वजह जानकर चौंक जाएंगे

author img

By

Published : May 6, 2021, 10:05 PM IST

चतरा जिले में आठ ऐसे गांव हैं जहां जल के अभाव में शहनाई नहीं बजती. युवाओं की उम्र निकलती जा रही है, लेकिन पानी की किल्लत के चलते कोई गांव में रिश्ता तय करने नहीं आता. पानी को लेकर परेशानी ऐसी है कि लोग गर्मी में नहाना छोड़ देते हैं. शौचालय जाने पर भी आफत आ जाती है.

jharakhand
jharakhand

चतरा : चतरा जिले के कुंदा प्रखंड में ऐसे 8 गांव हैं, जहां गर्मी का दस्तक देना यहां के लोगों के लिए श्राप बन जाता है. चार हजार से ज्यादा की आबादी वाले आठ गांव में पूरी गर्मी लोग पानी के लिए परेशान रहते हैं. परेशानी का आलम ऐसा है कि पूरी गर्मी लोग नहीं नहाते और कई बार शौचालय जाने के लिए भी आफत हो जाती है. लोग यहां रोज चुआं खोदते हैं और अपनी प्यास बुझाते हैं. पत्थर और बालू अधिक होने के कारण नवादा पंचायत के सिंदरी, उल्लवार, खूंटबलिया, रेंगनियातरी और बौधाडीह पंचायत के बाचकुम, हारुल, चितवातरी और करिलगड़वा गांव में जलस्तर काफी नीचे है. कुआं और चापाकल जल्द खराब हो जाते हैं.

घंटों मेहनत के बाद भरता है बाल्टी

इन आठ गांव में लोग सुबह उठते ही सबसे पहले नदी जाते हैं. घंटों मेहनत के बाद कोई बाल्टी, कोई तसला तो कोई दूसरे बर्तन में पानी लेकर घर लौटता है. ग्रामीण बताते हैं कि गर्मी शुरू होते ही धीरे-धीरे जलस्तर कम होने लगता है. मई-जून में स्थिति काफी खराब हो जाती है. इस मामले में पंचायत प्रतिनिधि से कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई उनकी परेशानी नहीं सुनते. हेमंत सरकार में कैबिनेट मंत्री सत्यानंद भोक्ता इस क्षेत्र से लगातार तीन बार से विधायक हैं. मंत्री बनने के बाद इस इलाके में पानी की समस्या जस की तस है. ग्रामीणों ने बताया कि वोट लेते वक्त वादा किया था चापाकल, कुआं, बिजली और सभी जरूरी चीजों की उपलब्धता सुनिश्चित कराएंगे, लेकिन कुछ नहीं किया. लोग गंदा पानी पीने के चलते बीमार होते हैं, तो डॉक्टर को बुलाते हैं. लेकिन डॉक्टर भी नहीं आना चाहते. डॉक्टर आ भी गए तो ठीक से मरीजों को नहीं देखते हैं.

पानी की किल्लत बनी मुसीबत.

पानी के चलते नहीं बजती शहनाई

सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं से महरूम इन गांवों में पानी की किल्लत के चलते शहनाई नहीं बजती. पानी की समस्या सुनकर दूसरे गांव के लोग अपनी बेटी का रिश्ता यहां तय नहीं करने आते. सबसे ज्यादा दिक्कत इस गांव के लड़कों की है. लोग बताते हैं कि लड़कों की उम्र निकलती जा रही है, लेकिन पानी की समस्या के चलते कोई रिश्ता तय नहीं हो रहा है.

रोज चुआं खोदते हैं और अपनी प्यास बुझाते हैं
रोज चुआं खोदते हैं और अपनी प्यास बुझाते हैं.

पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता राज मोहन सिंह से इसको लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि जूनियर इंजीनियर को गांव में भेजेंगे. जो भी दिक्कत है उसे दूर करने का प्रयास किया जाएगा. खराब पड़े चापाकल को दुरुस्त किया जाएगा.

पढ़ेंः रक्षा मंत्री ने बताया कैसे अदृश्य दुश्मन से लड़ रहीं सेनाएं, पीएम मोदी ने की तारीफ

चतरा : चतरा जिले के कुंदा प्रखंड में ऐसे 8 गांव हैं, जहां गर्मी का दस्तक देना यहां के लोगों के लिए श्राप बन जाता है. चार हजार से ज्यादा की आबादी वाले आठ गांव में पूरी गर्मी लोग पानी के लिए परेशान रहते हैं. परेशानी का आलम ऐसा है कि पूरी गर्मी लोग नहीं नहाते और कई बार शौचालय जाने के लिए भी आफत हो जाती है. लोग यहां रोज चुआं खोदते हैं और अपनी प्यास बुझाते हैं. पत्थर और बालू अधिक होने के कारण नवादा पंचायत के सिंदरी, उल्लवार, खूंटबलिया, रेंगनियातरी और बौधाडीह पंचायत के बाचकुम, हारुल, चितवातरी और करिलगड़वा गांव में जलस्तर काफी नीचे है. कुआं और चापाकल जल्द खराब हो जाते हैं.

घंटों मेहनत के बाद भरता है बाल्टी

इन आठ गांव में लोग सुबह उठते ही सबसे पहले नदी जाते हैं. घंटों मेहनत के बाद कोई बाल्टी, कोई तसला तो कोई दूसरे बर्तन में पानी लेकर घर लौटता है. ग्रामीण बताते हैं कि गर्मी शुरू होते ही धीरे-धीरे जलस्तर कम होने लगता है. मई-जून में स्थिति काफी खराब हो जाती है. इस मामले में पंचायत प्रतिनिधि से कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई उनकी परेशानी नहीं सुनते. हेमंत सरकार में कैबिनेट मंत्री सत्यानंद भोक्ता इस क्षेत्र से लगातार तीन बार से विधायक हैं. मंत्री बनने के बाद इस इलाके में पानी की समस्या जस की तस है. ग्रामीणों ने बताया कि वोट लेते वक्त वादा किया था चापाकल, कुआं, बिजली और सभी जरूरी चीजों की उपलब्धता सुनिश्चित कराएंगे, लेकिन कुछ नहीं किया. लोग गंदा पानी पीने के चलते बीमार होते हैं, तो डॉक्टर को बुलाते हैं. लेकिन डॉक्टर भी नहीं आना चाहते. डॉक्टर आ भी गए तो ठीक से मरीजों को नहीं देखते हैं.

पानी की किल्लत बनी मुसीबत.

पानी के चलते नहीं बजती शहनाई

सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं से महरूम इन गांवों में पानी की किल्लत के चलते शहनाई नहीं बजती. पानी की समस्या सुनकर दूसरे गांव के लोग अपनी बेटी का रिश्ता यहां तय नहीं करने आते. सबसे ज्यादा दिक्कत इस गांव के लड़कों की है. लोग बताते हैं कि लड़कों की उम्र निकलती जा रही है, लेकिन पानी की समस्या के चलते कोई रिश्ता तय नहीं हो रहा है.

रोज चुआं खोदते हैं और अपनी प्यास बुझाते हैं
रोज चुआं खोदते हैं और अपनी प्यास बुझाते हैं.

पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता राज मोहन सिंह से इसको लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि जूनियर इंजीनियर को गांव में भेजेंगे. जो भी दिक्कत है उसे दूर करने का प्रयास किया जाएगा. खराब पड़े चापाकल को दुरुस्त किया जाएगा.

पढ़ेंः रक्षा मंत्री ने बताया कैसे अदृश्य दुश्मन से लड़ रहीं सेनाएं, पीएम मोदी ने की तारीफ

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.