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RSS के इस संगठन का मोदी सरकार के खिलाफ हल्लाबोल, करेगा देशव्यापी आंदोलन - मोदी सरकार के खिलाफ हल्लाबोल

देश में बढ़ती महंगाई के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. इस मुद्दे को लेकर भारतीय मजदूर संघ नौ सितंबर को देशव्यापी आंदोलन करेगा.

मोदी सरकार के खिलाफ हल्लाबोल
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Published : Sep 2, 2021, 7:18 PM IST

Updated : Sep 2, 2021, 7:53 PM IST

नई दिल्ली : देश में बढ़ती महंगाई के खिलाफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh-RSS) की श्रमिक इकाई भारतीय मजदूर संघ (Bharatiya Mazdoor Sangh) ने देशव्यापी आंदोलन का आह्वान किया है. देश के सबसे बड़े मजदूर संगठन की सभी राज्य इकाइयां नौ सितंबर को इस मुद्दे को लेकर सड़क पर उतरेगा. भारतीय मजदूर संघ ने मोदी सरकार के ऊपर महंगाई को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया है. भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री विनय कुमार सिन्हा ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में यह जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि मजदूर संघ हमेशा जनता के हित में कार्य करता आया है. केवल मजदूरों के लिए ही नहीं बल्कि हम राष्ट्र और समाज की भी चिंता करते हैं. कोरोना महामारी के बाद मजदूर वर्ग समस्याओं से घिरा रहा है. नौकरियां गई और वेतन भी कटे लेकिन इन सबके बावजूद सरकार ने महंगाई पर रोक लगाने में विफल रहा. सरकार से मजदूर संघ संवाद और संघर्ष दोनों के रास्ते स्पष्ट रखता है, लेकिन इस विषय पर भारतीय मजदूर संघ का सरकार के साथ कोई अधिकृत संवाद नहीं होने के कारण यह निर्णय लिया गया कि नौ सितंबर को देश के सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन कर सरकार का ध्यान आकर्षित किया जाएगा.

बीएमएस के राष्ट्रीय महासचिव से ईटीवी भारत की बातचीत

पढ़ें : निजीकरण के विरोध में भारतीय मजदूर संघ का देशव्यापी आंदोलन शुरू

भारतीय मजदूर संघ ने सरकार के समक्ष अपनी मांगें भी स्पष्ट कर दी हैं और सुनवाई न होने पर आंदोलन तेज करने की बात भी कही है.

क्या हैं मांगें?

मजदूर संघ की मांग है कि उत्पाद वस्तुओं पर विक्रय मूल्य की तरह लागत मूल्य भी अंकित होना चाहिए. इससे उपभोक्ता को अमुख उत्पाद पर उत्पादनकर्ता को मिलने वाले मुनाफे की भी जानकारी होगी. दवाइयों का उदाहरण देते हुए सिन्हा ने कहा कि आज फार्मा कंपनियां 500 प्रतिशत तक मुनाफा एक दवाई पर कमा रही हैं.

उन्होंने कहा कि जब सरकार 'वन नेशन-वन टैक्स' की बात करती है तो पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में क्यों नहीं ला रही है? ऐसा नहीं होने के कारण लगातार डीजल-पेट्रोल की कीमतें बढ़ रही हैं. इसका असर बाकी वस्तुओं की महंगाई पर भी पड़ता है. उपभोक्ता को यह जानने अधिकार होना चाहिए कि किसी भी वस्तु के उत्पादन में कितना खर्च होता है. इसके लिए सरकार को संविधान में संशोधन कर कानून बनाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि सामान्य लोगों के लिए रोजमर्रा के उपयोग में आने वाले मूल खाद्य सामग्रियों जैसे दाल, आलू, प्याज, तेल इत्यादि को आवश्यक वस्तु अधिनियम से बाहर करने पर कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा. मुनाफाखोर व्यापारी बाजार में कृत्रिम कमी दिखाकर महंगाई को बढ़ावा दे रहे हैं. सरकार का या तो इस तरफ ध्यान नहीं है, या सरकार इसको रोकने में विफल है.

भारतीय मजदूर संघ ने केंद्र सरकार के मोनेटाइजेशन का भी विरोध किया है. उनका मानना है कि आर्थिक संकट के इस दौर में सरकार को संसाधनों की जरूरत है. सरकार को मोनेटाइजेशन के बजाय रेशनलाइजेशन का रास्ता अपनाना चाहिए. यदि सरकार मजदूर संघ के सुझाव को नहीं मानती है तो दो नवंबर को मोनेटाइजेशन के विरोध में एक बार फिर देशव्यापी आंदोलन करेगा.

नई दिल्ली : देश में बढ़ती महंगाई के खिलाफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh-RSS) की श्रमिक इकाई भारतीय मजदूर संघ (Bharatiya Mazdoor Sangh) ने देशव्यापी आंदोलन का आह्वान किया है. देश के सबसे बड़े मजदूर संगठन की सभी राज्य इकाइयां नौ सितंबर को इस मुद्दे को लेकर सड़क पर उतरेगा. भारतीय मजदूर संघ ने मोदी सरकार के ऊपर महंगाई को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया है. भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री विनय कुमार सिन्हा ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में यह जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि मजदूर संघ हमेशा जनता के हित में कार्य करता आया है. केवल मजदूरों के लिए ही नहीं बल्कि हम राष्ट्र और समाज की भी चिंता करते हैं. कोरोना महामारी के बाद मजदूर वर्ग समस्याओं से घिरा रहा है. नौकरियां गई और वेतन भी कटे लेकिन इन सबके बावजूद सरकार ने महंगाई पर रोक लगाने में विफल रहा. सरकार से मजदूर संघ संवाद और संघर्ष दोनों के रास्ते स्पष्ट रखता है, लेकिन इस विषय पर भारतीय मजदूर संघ का सरकार के साथ कोई अधिकृत संवाद नहीं होने के कारण यह निर्णय लिया गया कि नौ सितंबर को देश के सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन कर सरकार का ध्यान आकर्षित किया जाएगा.

बीएमएस के राष्ट्रीय महासचिव से ईटीवी भारत की बातचीत

पढ़ें : निजीकरण के विरोध में भारतीय मजदूर संघ का देशव्यापी आंदोलन शुरू

भारतीय मजदूर संघ ने सरकार के समक्ष अपनी मांगें भी स्पष्ट कर दी हैं और सुनवाई न होने पर आंदोलन तेज करने की बात भी कही है.

क्या हैं मांगें?

मजदूर संघ की मांग है कि उत्पाद वस्तुओं पर विक्रय मूल्य की तरह लागत मूल्य भी अंकित होना चाहिए. इससे उपभोक्ता को अमुख उत्पाद पर उत्पादनकर्ता को मिलने वाले मुनाफे की भी जानकारी होगी. दवाइयों का उदाहरण देते हुए सिन्हा ने कहा कि आज फार्मा कंपनियां 500 प्रतिशत तक मुनाफा एक दवाई पर कमा रही हैं.

उन्होंने कहा कि जब सरकार 'वन नेशन-वन टैक्स' की बात करती है तो पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में क्यों नहीं ला रही है? ऐसा नहीं होने के कारण लगातार डीजल-पेट्रोल की कीमतें बढ़ रही हैं. इसका असर बाकी वस्तुओं की महंगाई पर भी पड़ता है. उपभोक्ता को यह जानने अधिकार होना चाहिए कि किसी भी वस्तु के उत्पादन में कितना खर्च होता है. इसके लिए सरकार को संविधान में संशोधन कर कानून बनाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि सामान्य लोगों के लिए रोजमर्रा के उपयोग में आने वाले मूल खाद्य सामग्रियों जैसे दाल, आलू, प्याज, तेल इत्यादि को आवश्यक वस्तु अधिनियम से बाहर करने पर कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा. मुनाफाखोर व्यापारी बाजार में कृत्रिम कमी दिखाकर महंगाई को बढ़ावा दे रहे हैं. सरकार का या तो इस तरफ ध्यान नहीं है, या सरकार इसको रोकने में विफल है.

भारतीय मजदूर संघ ने केंद्र सरकार के मोनेटाइजेशन का भी विरोध किया है. उनका मानना है कि आर्थिक संकट के इस दौर में सरकार को संसाधनों की जरूरत है. सरकार को मोनेटाइजेशन के बजाय रेशनलाइजेशन का रास्ता अपनाना चाहिए. यदि सरकार मजदूर संघ के सुझाव को नहीं मानती है तो दो नवंबर को मोनेटाइजेशन के विरोध में एक बार फिर देशव्यापी आंदोलन करेगा.

Last Updated : Sep 2, 2021, 7:53 PM IST
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