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ठीक होने के बाद भी पीछा नहीं छोड़ रहा कोरोना, अब ब्लैक फंगस का खतरा, जानें कितनी घातक है यह बीमारी - bhopal news

कोरोना से ठीक हुए मरीज अब म्यूकॉरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस का शिकार हो रहे हैं. जिसके चलते मरीजों को अपनी आंखों की रोशनी गंवानी पड़ रही है. कुछ समय से कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगल इंफेक्शन की खबरें आ रही हैं और अब इस संबंध में सरकार ने एडवाइजरी जारी कर सलाह दी है. इसमें कहा गया है कि समय पर अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह बीमारी घातक हो सकती है. ब्लैक फंगस के मामले देश के कई राज्यों में मिले हैं.

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Published : May 10, 2021, 9:56 PM IST

Updated : May 10, 2021, 10:58 PM IST

हैदराबाद/चंडीगढ़/भोपाल/रांची : कोरोना संक्रमण धीरे-धीरे और ज्यादा खतरनाक रूप लेता जा रहा है. हाल ही में ये पाया गया है कि कोरोना से ठीक हुए कुछ लोगों में एक खतरनाक बीमारी पाई गई है. इस बीमारी में मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस नाम का एक ब्लैक फंगल इंफेक्शन देखने को मिल रहा है. ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस वातावरण में मौजूद रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता को कमजोर कर देता है. सही समय पर इलाज नहीं मिलने से मरीजों की जान तक जा सकती है. खासकर यह बीमारी डायबिटीज और क्रॉनिकल बीमारी वालों के लिए खतरनाक है.

देश के कई हिस्सों से ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं. वहीं हरियाणा सरकार ने एक सूचना जारी कर बताया है कि अब तक करीब दो दर्जन ब्लैक फंगस के मरीज मिल गए हैं. हैदराबाद में भी कोविड 19 के कुछ पॉजिटिव मरीज सामने आए हैं जिनमें घातक फंगल संक्रमण पाया गया है. अस्पताल ने सोमवार को कहा कि पिछले 3 से 4 हफ्तों में कॉन्टिनेंटल हॉस्पिटल्स में इस संक्रमण के साथ कुल पांच मरीज आए. वहीं ब्लैक फंगस मध्य प्रदेश के अलावा दिल्ली, महाराष्ट्र, झारखंड और गुजरात में भी दस्तक दे चुका है, जोकि सरकार के लिए चिंता का एक गंभीर विषय बन गया है.

झारखंड में आए तीन मामले

झारखंड में ऐसे तीन मामले सामने आए जब कोरोना से जंग जीतने के बाद व्यक्ति ब्लैक फंगस का शिकार हुआ. ब्लैक फंगस के खतरे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चिकित्सकों को रामगढ़ के 38 साल के एक युवक की जान बचाने के लिए उसकी एक आंख निकालनी पड़ी. अगर चिकित्सक ऐसा नहीं करते तो यह फंगस ब्रेन तक पहुंच जाता और युवक की तुरंत जान जा सकती थी.

इंदौर-भोपाल में ब्लैक फंगस के बढ़ते मरीज

इंदौर में ऐसे करीब 11 मरीज भर्ती हैं, जिन्हें यह संक्रमण हो चुका है. इनमें से 4 मरीजों को बचाने के लिए उनका ऑपरेशन होना है और आंखें निकालने की भी तैयारी की गई है. ब्लैक फंगस के शिकार 2 मरीज एमवाई अस्पताल में और 2 अन्य निजी चिकित्सालय में भर्ती हैं. नेत्र रोग विशेषज्ञ चिकित्सक श्वेता वालिया के मुताबिक एमवाई अस्पताल में पिछले एक महीने में 35 से ज्यादा ऐसे मरीज सामने आ चुके हैं, जिनमें इस इंफेक्शन के लक्षण मिले. जबकि भोपाल में करीब 10 दिनों में अलग-अलग हॉस्पिटल्स में लगभग 50 मरीज मिले हैं, जिनमें ये इंफेक्शन मिला है. उन पर लगातार स्वास्थ्य विभाग नजर बनाए है. सभी का इलाज चल रहा है.

इस बारे में मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के कहा कि मैने चिकित्सकों से ब्लैक फंगस बीमारी को लेकर चर्चा की है, और हम लगातार ICMR के संपर्क में हैं. भारत सरकार से भी बात हो रही है. मध्य प्रदेश में हमारी टीम अध्ययन कर रही है. जो भी इलाज होगा हम लोगों को उपलब्ध कराएंगे. इसे लेकर सभी का हमें सुझाव चाहिए. मिलकर लड़ेंगे, कोरोना से जीतेंगे, सबके सहयोग से जीतेंगे.

फंगस की चपेट में देश की राजधानी दिल्ली

कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच ब्लैक फंगस का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. दिल्ली के अस्पतालों में भी इस बीमारी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. वहीं एक्सपर्ट का मानना है कि ये बीमारी सीधी आंखों की रोशनी पर असर डालती है. कोरोना संक्रमण से मरीज ठीक भी हो जाएं, लेकिन ब्लैक फंगस का सही समय पर इलाज न होने से मरीज की मौत तक हो जाती है.

महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस से 8 लोगों की मौत

महाराष्ट्र में भी म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. यहां फंगस की चपेट में आने से कम से कम आठ लोग दम तोड़ चुके हैं. इससे भी बड़ी बात ये है कि ये मरीज कोरोना संक्रमण से पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके थे. ताजा रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में लगभग 200 फंगल इन्फेक्टेड मरीजों का उपचार चल रहा है. चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय के प्रमुख डॉक्टर तात्याराव लहाने की मानें, तो म्यूकोरमाइकोसिस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.

गुजरात में तेजी से बढ़ रहे हैं ब्लैक फंगस के मामले

गुजरात में भी कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं. फंगस की वजह से लोगों की आंखों की रोशनी गंवाने के मामलों में यहां भी लगातारा बढ़ोतरी देखी जा रही है. बता दें कि यहा ऐसे मरीजों की संख्या बढ़कर 50 हो गई है. मिली जानकारी के अनुसार सूरत और गुजरात के अन्य इलाकों से ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिनमें म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण पाया जा रहा है. गुजराज में फंगल के शिकार 7 मरीज अपनी आंख की रोशनी गंवा चुके हैं. बता दें कि यहां 60 अन्य मरीज अभी इलाज का इंतजार कर रहे हैं.

क्या है ब्लैक फंगस?

रांची के मेडिका अस्पताल की नेत्र सर्जन अनुराधा ने ब्लैक फंगस से पीड़ित रामगढ़ के युवक की ऑपरेशन कर जान बचाई है. चिकित्सक अनुराधा के मुताबिक यह फंगस आम लोगों के भी साइनस में रहता है. लेकिन सामान्यतः शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते कोई असर नहीं होता. इस वक्त यह फंगस इसलिए खतरनाक होता जा रहा है. क्योंकि कोरोना से जूझ रहे गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए चिकित्सक हाई डोज स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके कारण शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा तेजी से बढ़ती है. कोई व्यक्ति डायबिटीज से जूझ रहा है तो ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) तेजी से बढ़ता है. यह फंगस साइनस, फेफड़ा, आंख और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है.

नेत्र सर्जन अनुराधा से खास बातचीत.

ब्लैक फंगस केस में मृत्यु दर 50%

डॉ. अनुराधा के मुताबिक ब्लैक फंगस शरीर को तेजी से संक्रमित करता है और ज्यादा समय नहीं देता है. ब्लैक फंगस के खतरे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है इससे संक्रमितों की मृत्यु दर 50% है, यानी आधे मरीज ही बच पा रहे हैं. इस बीमारी से दो से तीन दिनों में ही हालात बेकाबू हो सकते हैं और मरीज की जान जा सकती है. ब्लैक फंगस के कोई भी लक्षण दिखे, तो ऐसे अस्पताल जाएं जहां नेत्र सर्जन, ईएटी और न्यूरो के एक्सपर्ट डॉक्टर हों, तीनों से ही इस मामले में सलाह लें.

खतरा तो नहीं बन रही दवा?

बता दें कि कोरोना संक्रमण के मरीजों को स्टेरॉयड और टॉसिलिजूमैब इंजेक्शन दिए जाते हैं. मरीजों का शुगर लेवल 300 से 400 तक पहुंच जाता है. यह स्थिति पहले से डायबिटीज की बीमारी झेल रहे मरीजों के लिए जानलेवा साबित होती है. ऐसी स्थिति में वह इस संक्रमण का शिकार हो सकते हैं.

जानें क्या है लक्षण.
जानें क्या है लक्षण.

ब्लैक फंगस के लक्षण

  • खूनी उल्टी और मानसिक दशा में बदलाव.
  • नाक से काले म्यूकस का डिस्चार्ज होना.
  • मुंह के तालू पर काला निशान.
  • नाक पर चश्मा टिकाने वाली जगह काला निशान.
  • दांत ढीले हो जाना.
  • जबड़े में दिक्कत होना.
  • साफ न दिखे या चीजें दो-दो दिखें और आंख में दर्द भी हो.
  • थ्रॉम्बोसिस यानी कॉरोनरी आर्टरी में थक्का.
  • नेक्रोसिस यानी किसी अंग का गलने लग जाना.
  • त्वचा पर चकत्ते.
  • आंख के नीचे दर्द व सूजन है.
  • नाक का बंद हाेना, मानों साइसन की समस्या हो, नाक के नजदीक भी सूजन आने लगती है.
  • मसूड़ाें में सूजन आना, यहां तक की उनमें पस तक पड़ने लगता है. मसूड़ों पर इसके प्रभाव से दांत भी कमजोर हाे जाते हैं.
  • तालू की हड्डी काली पड़ने लगती है.

कैसे होता है ब्लैक फंगस?

अभी इस ब्लैक फंगस का संक्रमण बहुत कम देखने को मिल रहा है, लेकिन यह घातक होता है. यह पहले त्वचा में दिखता है और फिर फेफड़ों और मस्तिष्क को भी संक्रमित करता है. कोविड टास्क फोर्स ने इस खतरनाक फफूंदी को लेकर लोगों को एक एडवाइजरी जारी कर सावधान किया. ये फफुंदी उन लोगों को जकड़ रही है जो संक्रमित होने की वजह से दवाएं खा रहे हैं.

कैसे बचें.
कैसे बचें.

कैसे कम करें ब्लैक फंगस का खतरा?

कोरोना संक्रमित मरीज का घर पर इलाज चल रहा है तो खुद से स्टेरॉयड का इस्तेमाल ना करें. अगर चिकित्सक ब्लड शुगर की जांच ना लिखे, तो खुद से इसकी जांच कराएं. शरीर में शुगर बढ़ा हो, तो उसे नियंत्रित करने की दवा चिकित्सक की सलाह पर लें. जो मरीज कोरोना से ऊबरकर घर लौटे हों वे दो से तीन हफ्ते विशेष सावधानी बरतें. पोस्ट कोविड में कई तरह की दिक्कत हो सकती है.

पढ़ेंः WHO के मुताबिक 1000 लोगों पर एक डॉक्टर जरूरी, जानिये अपने राज्य का हाल

हैदराबाद/चंडीगढ़/भोपाल/रांची : कोरोना संक्रमण धीरे-धीरे और ज्यादा खतरनाक रूप लेता जा रहा है. हाल ही में ये पाया गया है कि कोरोना से ठीक हुए कुछ लोगों में एक खतरनाक बीमारी पाई गई है. इस बीमारी में मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस नाम का एक ब्लैक फंगल इंफेक्शन देखने को मिल रहा है. ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस वातावरण में मौजूद रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता को कमजोर कर देता है. सही समय पर इलाज नहीं मिलने से मरीजों की जान तक जा सकती है. खासकर यह बीमारी डायबिटीज और क्रॉनिकल बीमारी वालों के लिए खतरनाक है.

देश के कई हिस्सों से ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं. वहीं हरियाणा सरकार ने एक सूचना जारी कर बताया है कि अब तक करीब दो दर्जन ब्लैक फंगस के मरीज मिल गए हैं. हैदराबाद में भी कोविड 19 के कुछ पॉजिटिव मरीज सामने आए हैं जिनमें घातक फंगल संक्रमण पाया गया है. अस्पताल ने सोमवार को कहा कि पिछले 3 से 4 हफ्तों में कॉन्टिनेंटल हॉस्पिटल्स में इस संक्रमण के साथ कुल पांच मरीज आए. वहीं ब्लैक फंगस मध्य प्रदेश के अलावा दिल्ली, महाराष्ट्र, झारखंड और गुजरात में भी दस्तक दे चुका है, जोकि सरकार के लिए चिंता का एक गंभीर विषय बन गया है.

झारखंड में आए तीन मामले

झारखंड में ऐसे तीन मामले सामने आए जब कोरोना से जंग जीतने के बाद व्यक्ति ब्लैक फंगस का शिकार हुआ. ब्लैक फंगस के खतरे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चिकित्सकों को रामगढ़ के 38 साल के एक युवक की जान बचाने के लिए उसकी एक आंख निकालनी पड़ी. अगर चिकित्सक ऐसा नहीं करते तो यह फंगस ब्रेन तक पहुंच जाता और युवक की तुरंत जान जा सकती थी.

इंदौर-भोपाल में ब्लैक फंगस के बढ़ते मरीज

इंदौर में ऐसे करीब 11 मरीज भर्ती हैं, जिन्हें यह संक्रमण हो चुका है. इनमें से 4 मरीजों को बचाने के लिए उनका ऑपरेशन होना है और आंखें निकालने की भी तैयारी की गई है. ब्लैक फंगस के शिकार 2 मरीज एमवाई अस्पताल में और 2 अन्य निजी चिकित्सालय में भर्ती हैं. नेत्र रोग विशेषज्ञ चिकित्सक श्वेता वालिया के मुताबिक एमवाई अस्पताल में पिछले एक महीने में 35 से ज्यादा ऐसे मरीज सामने आ चुके हैं, जिनमें इस इंफेक्शन के लक्षण मिले. जबकि भोपाल में करीब 10 दिनों में अलग-अलग हॉस्पिटल्स में लगभग 50 मरीज मिले हैं, जिनमें ये इंफेक्शन मिला है. उन पर लगातार स्वास्थ्य विभाग नजर बनाए है. सभी का इलाज चल रहा है.

इस बारे में मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के कहा कि मैने चिकित्सकों से ब्लैक फंगस बीमारी को लेकर चर्चा की है, और हम लगातार ICMR के संपर्क में हैं. भारत सरकार से भी बात हो रही है. मध्य प्रदेश में हमारी टीम अध्ययन कर रही है. जो भी इलाज होगा हम लोगों को उपलब्ध कराएंगे. इसे लेकर सभी का हमें सुझाव चाहिए. मिलकर लड़ेंगे, कोरोना से जीतेंगे, सबके सहयोग से जीतेंगे.

फंगस की चपेट में देश की राजधानी दिल्ली

कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच ब्लैक फंगस का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. दिल्ली के अस्पतालों में भी इस बीमारी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. वहीं एक्सपर्ट का मानना है कि ये बीमारी सीधी आंखों की रोशनी पर असर डालती है. कोरोना संक्रमण से मरीज ठीक भी हो जाएं, लेकिन ब्लैक फंगस का सही समय पर इलाज न होने से मरीज की मौत तक हो जाती है.

महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस से 8 लोगों की मौत

महाराष्ट्र में भी म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. यहां फंगस की चपेट में आने से कम से कम आठ लोग दम तोड़ चुके हैं. इससे भी बड़ी बात ये है कि ये मरीज कोरोना संक्रमण से पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके थे. ताजा रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में लगभग 200 फंगल इन्फेक्टेड मरीजों का उपचार चल रहा है. चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय के प्रमुख डॉक्टर तात्याराव लहाने की मानें, तो म्यूकोरमाइकोसिस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.

गुजरात में तेजी से बढ़ रहे हैं ब्लैक फंगस के मामले

गुजरात में भी कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं. फंगस की वजह से लोगों की आंखों की रोशनी गंवाने के मामलों में यहां भी लगातारा बढ़ोतरी देखी जा रही है. बता दें कि यहा ऐसे मरीजों की संख्या बढ़कर 50 हो गई है. मिली जानकारी के अनुसार सूरत और गुजरात के अन्य इलाकों से ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिनमें म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण पाया जा रहा है. गुजराज में फंगल के शिकार 7 मरीज अपनी आंख की रोशनी गंवा चुके हैं. बता दें कि यहां 60 अन्य मरीज अभी इलाज का इंतजार कर रहे हैं.

क्या है ब्लैक फंगस?

रांची के मेडिका अस्पताल की नेत्र सर्जन अनुराधा ने ब्लैक फंगस से पीड़ित रामगढ़ के युवक की ऑपरेशन कर जान बचाई है. चिकित्सक अनुराधा के मुताबिक यह फंगस आम लोगों के भी साइनस में रहता है. लेकिन सामान्यतः शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते कोई असर नहीं होता. इस वक्त यह फंगस इसलिए खतरनाक होता जा रहा है. क्योंकि कोरोना से जूझ रहे गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए चिकित्सक हाई डोज स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके कारण शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा तेजी से बढ़ती है. कोई व्यक्ति डायबिटीज से जूझ रहा है तो ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) तेजी से बढ़ता है. यह फंगस साइनस, फेफड़ा, आंख और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है.

नेत्र सर्जन अनुराधा से खास बातचीत.

ब्लैक फंगस केस में मृत्यु दर 50%

डॉ. अनुराधा के मुताबिक ब्लैक फंगस शरीर को तेजी से संक्रमित करता है और ज्यादा समय नहीं देता है. ब्लैक फंगस के खतरे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है इससे संक्रमितों की मृत्यु दर 50% है, यानी आधे मरीज ही बच पा रहे हैं. इस बीमारी से दो से तीन दिनों में ही हालात बेकाबू हो सकते हैं और मरीज की जान जा सकती है. ब्लैक फंगस के कोई भी लक्षण दिखे, तो ऐसे अस्पताल जाएं जहां नेत्र सर्जन, ईएटी और न्यूरो के एक्सपर्ट डॉक्टर हों, तीनों से ही इस मामले में सलाह लें.

खतरा तो नहीं बन रही दवा?

बता दें कि कोरोना संक्रमण के मरीजों को स्टेरॉयड और टॉसिलिजूमैब इंजेक्शन दिए जाते हैं. मरीजों का शुगर लेवल 300 से 400 तक पहुंच जाता है. यह स्थिति पहले से डायबिटीज की बीमारी झेल रहे मरीजों के लिए जानलेवा साबित होती है. ऐसी स्थिति में वह इस संक्रमण का शिकार हो सकते हैं.

जानें क्या है लक्षण.
जानें क्या है लक्षण.

ब्लैक फंगस के लक्षण

  • खूनी उल्टी और मानसिक दशा में बदलाव.
  • नाक से काले म्यूकस का डिस्चार्ज होना.
  • मुंह के तालू पर काला निशान.
  • नाक पर चश्मा टिकाने वाली जगह काला निशान.
  • दांत ढीले हो जाना.
  • जबड़े में दिक्कत होना.
  • साफ न दिखे या चीजें दो-दो दिखें और आंख में दर्द भी हो.
  • थ्रॉम्बोसिस यानी कॉरोनरी आर्टरी में थक्का.
  • नेक्रोसिस यानी किसी अंग का गलने लग जाना.
  • त्वचा पर चकत्ते.
  • आंख के नीचे दर्द व सूजन है.
  • नाक का बंद हाेना, मानों साइसन की समस्या हो, नाक के नजदीक भी सूजन आने लगती है.
  • मसूड़ाें में सूजन आना, यहां तक की उनमें पस तक पड़ने लगता है. मसूड़ों पर इसके प्रभाव से दांत भी कमजोर हाे जाते हैं.
  • तालू की हड्डी काली पड़ने लगती है.

कैसे होता है ब्लैक फंगस?

अभी इस ब्लैक फंगस का संक्रमण बहुत कम देखने को मिल रहा है, लेकिन यह घातक होता है. यह पहले त्वचा में दिखता है और फिर फेफड़ों और मस्तिष्क को भी संक्रमित करता है. कोविड टास्क फोर्स ने इस खतरनाक फफूंदी को लेकर लोगों को एक एडवाइजरी जारी कर सावधान किया. ये फफुंदी उन लोगों को जकड़ रही है जो संक्रमित होने की वजह से दवाएं खा रहे हैं.

कैसे बचें.
कैसे बचें.

कैसे कम करें ब्लैक फंगस का खतरा?

कोरोना संक्रमित मरीज का घर पर इलाज चल रहा है तो खुद से स्टेरॉयड का इस्तेमाल ना करें. अगर चिकित्सक ब्लड शुगर की जांच ना लिखे, तो खुद से इसकी जांच कराएं. शरीर में शुगर बढ़ा हो, तो उसे नियंत्रित करने की दवा चिकित्सक की सलाह पर लें. जो मरीज कोरोना से ऊबरकर घर लौटे हों वे दो से तीन हफ्ते विशेष सावधानी बरतें. पोस्ट कोविड में कई तरह की दिक्कत हो सकती है.

पढ़ेंः WHO के मुताबिक 1000 लोगों पर एक डॉक्टर जरूरी, जानिये अपने राज्य का हाल

Last Updated : May 10, 2021, 10:58 PM IST
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