नई दिल्ली : कर्नाटक और तेलंगाना में जोर आजमाइश के बाद अब भारतीय जनता पार्टी केरल में भी लोगों के बीच पैर जमाने की कोशिश कर रही है. केरल ऐसा राज्य है जहां अभी तक भाजपा की पैठ बहुत ज्यादा नहीं बन पाई है. केरल में लगातार राज्य की सरकार आरोप लगाती रही है कि ईसाइयों पर हमले, भाजपा और संघ परिवार की तरफ से करवाए जाते रहे हैं.
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के साथ-साथ कई मंत्रियों ने भी सार्वजनिक कार्यक्रमों में यह आरोप लगाया है कि ईसाइयों पर हुए हमले की कई घटनाओं में संघ के लोगों का हाथ रहा है. यही वजह है कि भाजपा चाहती है कि क्रिश्चियन मतदाताओं और नेताओं की बहुलता वाले राज्य में पार्टी के नेता ये बताएं कि अन्य राज्यों में भाजपा कैसे लोगों का दिल जीतने में सफल रही है. खासकर पूर्वोत्तर के राज्यों में भाजपा की सरकारों के कामकाज के बारे में केरल के लोगों को बताएं. ये भी बताएं कि अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए सरकार कैसे कार्य कर रही है. सूत्रों की मानें तो पार्टी की ये कवायद पीएम के निर्देश के बाद शुरू हुई है.
पूर्वोत्तर के कई पदाधिकारियों और मंत्रियों में अल्पसंख्यक नेताओं की संख्या काफी ज्यादा है. पार्टी उनके लिए जल्द ही केरल के कार्यक्रम तैयार कर रही है. सूत्रों की मानें तो पार्टी केरल में महासम्मेलन और 'बुद्दिजीवियों से मुलाकात' जैसे कार्यक्रमों के आयोजन का खाका तैयार कर रही है जिसमें खास तौर पर पूर्वोत्तर राज्यों के क्रिश्चियन और मुस्लिम नेताओं को संबोधित करने भेजा जाएगा.
हाल ही में रामपुर और आजमगढ़ में भी भाजपा चुनाव जीत कर आई है. कार्यकारिणी में यह बात भी निकल कर सामने आई थी कि पूर्वोत्तर के 1 राज्य असम में इस साल के शुरुआत में हुए नगर पालिका चुनाव में भी पार्टी ऐसे वार्ड भी जीत कर आई है जिसमें मतदाताओं की संख्या मुस्लिमों की ज्यादा है.
जिन नेताओं को पार्टी केरल के इन सम्मेलनों में भेजेगी उनकी जिम्मेदारी होगी कि वह केरल के मतदाताओं को बताएं कि अल्पसंख्यक वर्ग के लिए भाजपा की सरकार ने क्या-क्या कार्य किए हैं. खास तौर पर बीजेपी योजनबद्ध तरीके से अपने नेताओं को गैर-हिंदुओं के अन्य वंचित वर्गों तक पहुंचने के निर्देश दे रही है जिनमें, पसमांदा मुस्लिम भी शामिल हैं. पसमांदा मुस्लिम मोदी सरकार की विभिन्न सरकारी कल्याणकारी योजनाओं की बड़ी संख्या में लाभार्थी है.
ईसाई समुदाय को लुभाने की कोशिश : केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार है और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन है, जो लगातार केंद्र सरकार पर और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर हमले करते रहे हैं. वह सीधे सीधे अपने सार्वजनिक कार्यक्रमों में ईसाई समुदाय पर हो रहे हमलों के लिए संघ को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं. यदि देखा जाए तो केरल में संघ की सक्रियता भी काफी ज्यादा है. यह मुद्दा हमेशा से वहां पर टकराव का कारण बना रहता है. भारतीय जनता पार्टी ने इससे पहले कभी केरल में बहुत ज्यादा पैठ बनाने की कोशिश भी नहीं की थी लेकिन हाल ही में हुए अलग-अलग राज्यों के चुनाव में अल्पसंख्यक मतदाताओं के मिले वोटों ने उसे केरल के लिए नए कार्यक्रम बनाने के लिए उत्साहित किया है.
हालांकि बीजेपी के नेता यह मानते हैं कि ईसाई समुदाय के लिए मोदी सरकार के 8 साल के कार्यक्रम में भी कई कल्याणकारी योजनाएं बनाई गई हैं. उनके हित में सरकार ने काफी कार्य किया है. बावजूद ईसाई समुदाय बीजेपी का परंपरागत वोटर्स अभी तक नहीं बन पाया है, लेकिन पार्टी के नेताओं का यह मानना है कि यदि पूर्वोत्तर राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार अलग-अलग राज्यों में आ सकती है और यदि क्रिश्चियन समुदाय पार्टी के हक में मतदान कर सकता है तो फिर केरल में क्यों न कोशिश की जाए. यही वजह है कि बीजेपी 'मिशन केरल' की योजना तैयार कर रही है.
नाम ना लेने की शर्त पर बीजेपी के एक वरिष्ठ जनरल सेक्रेटरी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने पार्टी को कोई निर्देश नहीं बल्कि सलाह दी थी. उसी सलाह पर पार्टी अमल कर रही है. उन्होंने कहा कि पार्टी सभी समुदाय के कल्याण के लिए कार्य कर रही है चाहे वह मुस्लिम समुदाय हो, ईसाई हो. बौद्ध हो या जैन हो या फिर सिख समुदाय के लोग हों. उन्होंने कहा कि पार्टी केरल में इन योजनाओं को वोट लेने के लिए नहीं तैयार कर रही बल्कि लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाने के लिए तैयार कर रही है.