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छत्तीसगढ़, राजस्थान में रविवार को और मप्र में सोमवार को BJP तय करेगी सीएम का नाम!

भाजपा की छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधायक दल की बैठक रविवार को होगी. वहीं मध्यप्रदेश के विधायक दल की बैठक सोमवार को आयोजित की गई है. इन बैठकों में मुख्यमंत्री का नाम तय किया जा सकता है. तीनों ही राज्यों के लिए पार्टी ने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी है. पढ़िए पूरी खबर... BJP set to finalise CMs for Rajasthan MP Chhattisgarh, CM name for Rajasthan MP Chhattisgarh, assembly elections 2023 results

BJP will decide the name of CM in Chhattisgarh, Rajasthan and MP
छत्तीसगढ़, राजस्थान और एमपी में भाजपा तय करेगी सीएम का नाम
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 9, 2023, 7:11 PM IST

नई दिल्ली : भाजपा के द्वारा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा को क्रमश: राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी विधायक दल के नेता के चयन के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिया गया है. फलस्वरूप छत्तीसगढ़ और राजस्थान में रविवार को और मध्य प्रदेश में सोमवार को विधायकों की बैठक होगी, जिसमें विधायक दल के नेता का चुनाव होगा.

छत्तीसगढ़ में भाजपा विधायकों की होगी रविवार को बैठक

छत्तीसगढ़ में विधायक दल का नेता चुनने के लिए भाजपा के नवनिर्वाचित 54 विधायकों की रविवार को बैठक होगी. बैठक के बाद मुख्यमंत्री कौन होगा -इस पर 'सस्पेंस' खत्म होने की संभावना है. भाजपा ने पिछले महीने विधानसभा चुनाव से पहले अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने शनिवार को संवाददाताओं को बताया कि भाजपा विधायक दल की बैठक रविवार को होगी. पार्टी के तीन पर्यवेक्षक केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और सर्बानंद सोनोवाल तथा पार्टी महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम बैठक में मौजूद रहेंगे.

  • #WATCH भाजपा के विधायक दल की बैठक कल निर्धारित हुई है। 3 पर्यवेक्षक इस बैठक के लिए निर्धारित किए गए हैं जो विधायकों की बैठक लेंगे...: छत्तीसगढ़ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, रायपुर pic.twitter.com/E5nt5LAceN

    — ANI_HindiNews (@AHindinews) December 9, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने बताया कि पार्टी के छत्तीसगढ़ प्रभारी ओम माथुर, केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया और राज्य के लिए पार्टी के सह-प्रभारी नितिन नबीन भी वहां मौजूद रहेंगे. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 90 में से 54 सीट जीती हैं. वहीं 2018 में 68 सीट जीतने वाली कांग्रेस 35 सीट पर सिमट गई है. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) एक सीट जीतने में कामयाब रही. यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि भाजपा 2003 से 2018 तक तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके रमन सिंह को नहीं चुनेगी तो वह किसी ओबीसी या आदिवासी मुख्यमंत्री को चुनेगी.

आदिवासी समुदाय से आने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णु देव साय, विधायक चुने जाने के बाद केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने वाली रेणुका सिंह, राज्य के पूर्व मंत्री रामविचार नेताम और लता उसेंडी तथा विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद सांसद पद से इस्तीफा देने वाली गोमती साय दावेदारों में शामिल हैं. राज्य की आबादी में आदिवासी समुदाय की हिस्सेदारी 32 फीसदी है और भाजपा ने इस बार अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित 29 सीट में से 17 सीट जीती हैं.

  • #WATCH रांची: केंद्रीय मंत्री और छत्तीसगढ़ के लिए भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षकों में से एक अर्जुन मुंडा ने कहा, "बहुत जल्द मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की जाएगी...आज-कल में छत्तीसगढ़ जाएंगे। विधायक दल के साथ चर्चा के बाद फैसला लिया जाता है।" pic.twitter.com/ZfLArnCsKg

    — ANI_HindiNews (@AHindinews) December 9, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

भाजपा ने 2018 में आदिवासियों के लिए आरक्षित सीट में केवल तीन सीट जीती थीं. उसने इस बार आदिवासी बहुल सरगुजा संभाग में सभी 14 सीट पर जीत हासिल की है. कांग्रेस ने 2018 में संभाग की सभी 14 सीटें जीती थी. विष्णुदेव साय, रेणुका सिंह, रामविचार नेताम और गोमती साय इसी संभाग से हैं. विधायक चुने जाने के बाद सांसद पद से इस्तीफा दे चुके प्रदेश अध्यक्ष साव और नौकरशाह से नेता बने ओपी चौधरी दोनों अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं तथा मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल हैं. साव प्रभावशाली साहू (तेली) समुदाय से आते हैं जिनकी दुर्ग, रायपुर और बिलासपुर संभागों में बड़ी उपस्थिति है. राज्य की आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी करीब 45 फीसदी है.

राजस्थान में विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए कल होगी बैठक

राजस्थान विधानसभा के चुनाव में भाजपा के बहुमत हासिल कर लेने के बाद अब मुख्यमंत्री के चयन को लेकर गहमा गहमी जारी है. वहीं पार्टी हाईकमान ने राजस्थान के लिए तीन पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह, विनोद तावडे और सरोज पांडेय नियुक्त किया है. इनमें तावडे और सरोज पांडेय के शनिवार शाम और राजनाथ सिंह के रविवार को जयपुर पहुंच जाएंगे. वहीं रविवार को ही विधायक दल की बैठक होगी जिसमें विधायक दल के नेता का चुनाव किया जाएगा. संभावना है कि राजस्थान की नई सरकार का गठन 15 दिसंबर तक कर लिया जाएगा.

बता दें कि राजस्थान में दो बार मुख्यमंत्री का पद संभाल चुकी वसुंधरा राजे अबकी बार भी सीएम पद की प्रबल दावेदार है. यही वजह है कि चुनाव के रिजल्ट आने के बाद से वह विधायकों से मिल रही हैं. इसी कड़ी में वह दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से मिल चुकी हैं. इनके अलावा दीया कुमार भी मुख्यमंत्री पद की दावेदार हैं, साथ ही बाबा बालकनाथ भी सीएम की दौड़ में शामिल हैं. हालांकि बालकनाथ ने सोशल मीडिया में एक पोस्ट कर इससे इनकार किया है. वहीं केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, अर्जुन मेघवाल, अश्विनी वैष्णव भी सीएम बनने की रेस में हैं.

सोमवार को मप्र के अगले मुख्यमंत्री पर फैसला होने की संभावना

मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री को लेकर जारी सस्पेंस सोमवार को खत्म होने की संभावना है. भाजपा के 163 नवनिर्वाचित विधायक केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में सोमवार को एक बैठक में अपने नेता का चयन करेंगे. पार्टी के एक पदाधिकारी ने यह जानकारी दी. 17 नवंबर को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में, जिसके नतीजे पिछले रविवार को घोषित किए गए, भाजपा ने 230 सीटों में से 163 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस 66 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही.

पार्टी ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश में अपने विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, अपने ओबीसी मोर्चा प्रमुख के. लक्ष्मण और सचिव आशा लाकड़ा को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया. मध्य प्रदेश भाजपा मीडिया प्रकोष्ठ के प्रमुख आशीष अग्रवाल ने बताया, 'केंद्रीय पर्यवेक्षक सोमवार को पार्टी विधायकों की बैठक की अध्यक्षता करेंगे.'

  • #WATCH मध्य प्रदेश सरकार के गठन पर भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक मनोहर लाल खट्टर ने कहा, ''सोमवार को भाजपा विधायक दल की बैठक रखी गई है। मुझे आशा है कि सभी फैसले सर्वसम्मति से होंगे।'' pic.twitter.com/b75JtxNCHs

    — ANI_HindiNews (@AHindinews) December 9, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने कहा कि बैठक का कार्यक्रम तय होने के बाद इसे मीडिया के साथ साझा किया जाएगा. पार्टी सूत्रों ने बताया कि बैठक सोमवार शाम पांच बजे या सात बजे के बीच किसी भी समय शुरू होने की संभावना है. उन्होंने बताया कि बैठक पहले रविवार को होने वाली थी, लेकिन पर्यवेक्षकों के व्यस्त कार्यक्रम के कारण इसे सोमवार तक के लिए टाल दिया गया. सूत्रों ने बताया कि पर्यवेक्षकों के रविवार शाम या सोमवार सुबह मध्य प्रदेश पहुंचने की संभावना है. पिछले 19 साल में यह तीसरी बार है जब भाजपा मध्य प्रदेश में केंद्रीय पर्यवेक्षक भेज रही है.

अगस्त 2004 में, जब उमा भारती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था तो पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद महाजन और अरुण जेटली को राज्य में केंद्रीय पर्यवेक्षकों के रूप में भेजा गया था. नवंबर 2005 में, जब बाबूलाल गौर ने राज्य में शीर्ष पद से इस्तीफा दे दिया था तो विधायकों को नया मुख्यमंत्री चुनने में मदद करने के लिए राजनाथ सिंह को केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में भेजा गया था. उस वक्त शिवराज सिंह चौहान को विधायक दल का नेता चुना गया था.

इस बार, भगवा पार्टी ने मौजूदा मुख्यमंत्री चौहान को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश किए बिना विधानसभा चुनाव लड़ा. ऐसा 20 साल बाद हुआ कि पार्टी ने मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, इस बार भाजपा 15 महीने के अंतराल को छोड़कर भारत में भाजपा के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले चौहान की जगह किसी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नेता पर ध्यान केंद्रित कर सकती है. चौहान मप्र के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री भी हैं.

ऐसी स्थिति में लोधी समुदाय से आने वाले प्रह्लाद पटेल मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हो सकते हैं. वह नरसिंहपुर विधानसभा सीट से चुने गए हैं और केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं. लोधी ओबीसी समुदाय का हिस्सा हैं. इस तथ्य को देखते हुए कि मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी 48 प्रतिशत से अधिक है, भाजपा नेतृत्व 2003 के बाद से राज्य में शीर्ष पद के लिए ओबीसी नेताओं के साथ गया है. इससे पहले उसने उमा भारती को आगे बढ़ाया था जो कि एक लोधी हैं. एक साल बाद, पार्टी ने एक और ओबीसी, बाबूलाल गौर और फिर 2004 में चौहान पर अपना दांव लगाया.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कैलाश विजयवर्गीय और भाजपा के राज्य प्रमुख वीडी शर्मा अन्य संभावित उम्मीदवारों में से हैं. नरेंद्र तोमर का नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में है जो दिमनी से चुने गए हैं और केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं. चारों बड़े दिग्गज पटेल, तोमर, विजयवर्गीय और वीडी शर्मा पहले ही नई दिल्ली में गृह मंत्री और भाजपा के मास्टर रणनीतिकार अमित शाह से मुलाकात कर चुके हैं. उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा से भी मुलाकात की. इन नेताओं ने सार्वजनिक रूप से इस बात से इनकार किया है कि वे मुख्यमंत्री बनने की होड़ में हैं.

ये भी पढ़ें - BJP ने तीनों राज्यों के लिए नियुक्त किए पर्यवेक्षक, जल्द चुना जाएगा विधायक दल का नेता

नई दिल्ली : भाजपा के द्वारा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा को क्रमश: राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी विधायक दल के नेता के चयन के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिया गया है. फलस्वरूप छत्तीसगढ़ और राजस्थान में रविवार को और मध्य प्रदेश में सोमवार को विधायकों की बैठक होगी, जिसमें विधायक दल के नेता का चुनाव होगा.

छत्तीसगढ़ में भाजपा विधायकों की होगी रविवार को बैठक

छत्तीसगढ़ में विधायक दल का नेता चुनने के लिए भाजपा के नवनिर्वाचित 54 विधायकों की रविवार को बैठक होगी. बैठक के बाद मुख्यमंत्री कौन होगा -इस पर 'सस्पेंस' खत्म होने की संभावना है. भाजपा ने पिछले महीने विधानसभा चुनाव से पहले अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने शनिवार को संवाददाताओं को बताया कि भाजपा विधायक दल की बैठक रविवार को होगी. पार्टी के तीन पर्यवेक्षक केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और सर्बानंद सोनोवाल तथा पार्टी महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम बैठक में मौजूद रहेंगे.

  • #WATCH भाजपा के विधायक दल की बैठक कल निर्धारित हुई है। 3 पर्यवेक्षक इस बैठक के लिए निर्धारित किए गए हैं जो विधायकों की बैठक लेंगे...: छत्तीसगढ़ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, रायपुर pic.twitter.com/E5nt5LAceN

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उन्होंने बताया कि पार्टी के छत्तीसगढ़ प्रभारी ओम माथुर, केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया और राज्य के लिए पार्टी के सह-प्रभारी नितिन नबीन भी वहां मौजूद रहेंगे. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 90 में से 54 सीट जीती हैं. वहीं 2018 में 68 सीट जीतने वाली कांग्रेस 35 सीट पर सिमट गई है. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) एक सीट जीतने में कामयाब रही. यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि भाजपा 2003 से 2018 तक तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके रमन सिंह को नहीं चुनेगी तो वह किसी ओबीसी या आदिवासी मुख्यमंत्री को चुनेगी.

आदिवासी समुदाय से आने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णु देव साय, विधायक चुने जाने के बाद केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने वाली रेणुका सिंह, राज्य के पूर्व मंत्री रामविचार नेताम और लता उसेंडी तथा विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद सांसद पद से इस्तीफा देने वाली गोमती साय दावेदारों में शामिल हैं. राज्य की आबादी में आदिवासी समुदाय की हिस्सेदारी 32 फीसदी है और भाजपा ने इस बार अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित 29 सीट में से 17 सीट जीती हैं.

  • #WATCH रांची: केंद्रीय मंत्री और छत्तीसगढ़ के लिए भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षकों में से एक अर्जुन मुंडा ने कहा, "बहुत जल्द मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की जाएगी...आज-कल में छत्तीसगढ़ जाएंगे। विधायक दल के साथ चर्चा के बाद फैसला लिया जाता है।" pic.twitter.com/ZfLArnCsKg

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भाजपा ने 2018 में आदिवासियों के लिए आरक्षित सीट में केवल तीन सीट जीती थीं. उसने इस बार आदिवासी बहुल सरगुजा संभाग में सभी 14 सीट पर जीत हासिल की है. कांग्रेस ने 2018 में संभाग की सभी 14 सीटें जीती थी. विष्णुदेव साय, रेणुका सिंह, रामविचार नेताम और गोमती साय इसी संभाग से हैं. विधायक चुने जाने के बाद सांसद पद से इस्तीफा दे चुके प्रदेश अध्यक्ष साव और नौकरशाह से नेता बने ओपी चौधरी दोनों अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं तथा मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल हैं. साव प्रभावशाली साहू (तेली) समुदाय से आते हैं जिनकी दुर्ग, रायपुर और बिलासपुर संभागों में बड़ी उपस्थिति है. राज्य की आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी करीब 45 फीसदी है.

राजस्थान में विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए कल होगी बैठक

राजस्थान विधानसभा के चुनाव में भाजपा के बहुमत हासिल कर लेने के बाद अब मुख्यमंत्री के चयन को लेकर गहमा गहमी जारी है. वहीं पार्टी हाईकमान ने राजस्थान के लिए तीन पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह, विनोद तावडे और सरोज पांडेय नियुक्त किया है. इनमें तावडे और सरोज पांडेय के शनिवार शाम और राजनाथ सिंह के रविवार को जयपुर पहुंच जाएंगे. वहीं रविवार को ही विधायक दल की बैठक होगी जिसमें विधायक दल के नेता का चुनाव किया जाएगा. संभावना है कि राजस्थान की नई सरकार का गठन 15 दिसंबर तक कर लिया जाएगा.

बता दें कि राजस्थान में दो बार मुख्यमंत्री का पद संभाल चुकी वसुंधरा राजे अबकी बार भी सीएम पद की प्रबल दावेदार है. यही वजह है कि चुनाव के रिजल्ट आने के बाद से वह विधायकों से मिल रही हैं. इसी कड़ी में वह दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से मिल चुकी हैं. इनके अलावा दीया कुमार भी मुख्यमंत्री पद की दावेदार हैं, साथ ही बाबा बालकनाथ भी सीएम की दौड़ में शामिल हैं. हालांकि बालकनाथ ने सोशल मीडिया में एक पोस्ट कर इससे इनकार किया है. वहीं केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, अर्जुन मेघवाल, अश्विनी वैष्णव भी सीएम बनने की रेस में हैं.

सोमवार को मप्र के अगले मुख्यमंत्री पर फैसला होने की संभावना

मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री को लेकर जारी सस्पेंस सोमवार को खत्म होने की संभावना है. भाजपा के 163 नवनिर्वाचित विधायक केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में सोमवार को एक बैठक में अपने नेता का चयन करेंगे. पार्टी के एक पदाधिकारी ने यह जानकारी दी. 17 नवंबर को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में, जिसके नतीजे पिछले रविवार को घोषित किए गए, भाजपा ने 230 सीटों में से 163 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस 66 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही.

पार्टी ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश में अपने विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, अपने ओबीसी मोर्चा प्रमुख के. लक्ष्मण और सचिव आशा लाकड़ा को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया. मध्य प्रदेश भाजपा मीडिया प्रकोष्ठ के प्रमुख आशीष अग्रवाल ने बताया, 'केंद्रीय पर्यवेक्षक सोमवार को पार्टी विधायकों की बैठक की अध्यक्षता करेंगे.'

  • #WATCH मध्य प्रदेश सरकार के गठन पर भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक मनोहर लाल खट्टर ने कहा, ''सोमवार को भाजपा विधायक दल की बैठक रखी गई है। मुझे आशा है कि सभी फैसले सर्वसम्मति से होंगे।'' pic.twitter.com/b75JtxNCHs

    — ANI_HindiNews (@AHindinews) December 9, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उन्होंने कहा कि बैठक का कार्यक्रम तय होने के बाद इसे मीडिया के साथ साझा किया जाएगा. पार्टी सूत्रों ने बताया कि बैठक सोमवार शाम पांच बजे या सात बजे के बीच किसी भी समय शुरू होने की संभावना है. उन्होंने बताया कि बैठक पहले रविवार को होने वाली थी, लेकिन पर्यवेक्षकों के व्यस्त कार्यक्रम के कारण इसे सोमवार तक के लिए टाल दिया गया. सूत्रों ने बताया कि पर्यवेक्षकों के रविवार शाम या सोमवार सुबह मध्य प्रदेश पहुंचने की संभावना है. पिछले 19 साल में यह तीसरी बार है जब भाजपा मध्य प्रदेश में केंद्रीय पर्यवेक्षक भेज रही है.

अगस्त 2004 में, जब उमा भारती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था तो पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद महाजन और अरुण जेटली को राज्य में केंद्रीय पर्यवेक्षकों के रूप में भेजा गया था. नवंबर 2005 में, जब बाबूलाल गौर ने राज्य में शीर्ष पद से इस्तीफा दे दिया था तो विधायकों को नया मुख्यमंत्री चुनने में मदद करने के लिए राजनाथ सिंह को केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में भेजा गया था. उस वक्त शिवराज सिंह चौहान को विधायक दल का नेता चुना गया था.

इस बार, भगवा पार्टी ने मौजूदा मुख्यमंत्री चौहान को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश किए बिना विधानसभा चुनाव लड़ा. ऐसा 20 साल बाद हुआ कि पार्टी ने मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, इस बार भाजपा 15 महीने के अंतराल को छोड़कर भारत में भाजपा के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले चौहान की जगह किसी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नेता पर ध्यान केंद्रित कर सकती है. चौहान मप्र के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री भी हैं.

ऐसी स्थिति में लोधी समुदाय से आने वाले प्रह्लाद पटेल मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हो सकते हैं. वह नरसिंहपुर विधानसभा सीट से चुने गए हैं और केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं. लोधी ओबीसी समुदाय का हिस्सा हैं. इस तथ्य को देखते हुए कि मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी 48 प्रतिशत से अधिक है, भाजपा नेतृत्व 2003 के बाद से राज्य में शीर्ष पद के लिए ओबीसी नेताओं के साथ गया है. इससे पहले उसने उमा भारती को आगे बढ़ाया था जो कि एक लोधी हैं. एक साल बाद, पार्टी ने एक और ओबीसी, बाबूलाल गौर और फिर 2004 में चौहान पर अपना दांव लगाया.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कैलाश विजयवर्गीय और भाजपा के राज्य प्रमुख वीडी शर्मा अन्य संभावित उम्मीदवारों में से हैं. नरेंद्र तोमर का नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में है जो दिमनी से चुने गए हैं और केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं. चारों बड़े दिग्गज पटेल, तोमर, विजयवर्गीय और वीडी शर्मा पहले ही नई दिल्ली में गृह मंत्री और भाजपा के मास्टर रणनीतिकार अमित शाह से मुलाकात कर चुके हैं. उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा से भी मुलाकात की. इन नेताओं ने सार्वजनिक रूप से इस बात से इनकार किया है कि वे मुख्यमंत्री बनने की होड़ में हैं.

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