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'बंगाल में आज संविधान का नहीं बल्कि 'व्यक्ति विशेष' का राज'

कलकत्ता उच्च न्यायालय को गत 13 जुलाई को सौंपे गए एक रिपोर्ट में एनएचआरसी ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में कानून का राज नहीं बल्कि 'शासक का राज' है. आयोग ने हिंसा के लिए राज्य सरकार पर ठीकरा फोड़ते हुए बलात्कार व हत्या के मामलों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से जांच की सिफारिश की.

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Published : Jul 16, 2021, 10:28 PM IST

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव (Assembly elections in West Bengal) के बाद हुई हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission- NHRC) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आज (शुक्रवार) मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी तृणमूल कांग्रेस को आड़े हाथों लिया और आरोप लगाया कि राज्य में आज संविधान का नहीं बल्कि 'व्यक्ति विशेष' का राज है.

कलकत्ता उच्च न्यायालय को गत 13 जुलाई को सौंपे गए एक रिपोर्ट में एनएचआरसी ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में कानून का राज नहीं बल्कि 'शासक का राज' है. आयोग ने हिंसा के लिए राज्य सरकार पर ठीकरा फोड़ते हुए बलात्कार व हत्या के मामलों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से जांच की सिफारिश की.

पढ़ें - लखनऊ : प्रियंका गांधी के 'मौन' से योगी प्रशासन बेचैन

सूत्रों के अनुसार उच्च न्यायालय के समक्ष 13 जुलाई को पेश रिपोर्ट में तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को 'कुख्यात अपराधी' बताया गया है जिनमें वन मंत्री, कैनिंग पूर्व से विधायक शौकत मुल्ला, नैहाटी के विधायक पार्थ भौमिक, दिनहाटा के पूर्व विधायक उदयन गुहा और नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनाव एजेंट शेख सूफियान शामिल हैं.

पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस पर करारा हमला बोला और कहा कि चुनाव बाद हिंसा की 1979 शिाकयतें एनएचआरसी को मिली हैं.

उन्होंने दावा किया कि हिंसा की इन घटनाओं में 15,000 लोगों को प्रताड़ित किया गया और इनमें 8000 से अधिक लोग शामिल थे, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.

भाटिया ने कहा, दो मई के बाद पश्चिम बंगाल में जिस तरह से हिंसा हुई है और निर्दोष नागरिकों को मारा गया, उनकी हत्या की गई तथा महिलाओं के साथ दुराचार किया गया. इससे लगता है जैसे पश्चिम बंगाल में आज संविधान का नहीं बल्कि व्यक्ति विशेष का राज है.

पढ़ें - बिग बी को बीएमसी की नोटिस, समर्थन में प्रदर्शन करने पहुंच गए फैंस

उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की पुलिस ने भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं किया, जबकि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता कोहराम मचाते रहे.

बनर्जी ने एनएचआरसी पर उसकी रिर्पोट मीडिया में लीक करने का आरोप लगाया है और कहा है कि उसकी टीम ने ना तो राज्य सरकार से कोई विमर्श किया और ना ही उनकी राय ली.

(भाषा)

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव (Assembly elections in West Bengal) के बाद हुई हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission- NHRC) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आज (शुक्रवार) मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी तृणमूल कांग्रेस को आड़े हाथों लिया और आरोप लगाया कि राज्य में आज संविधान का नहीं बल्कि 'व्यक्ति विशेष' का राज है.

कलकत्ता उच्च न्यायालय को गत 13 जुलाई को सौंपे गए एक रिपोर्ट में एनएचआरसी ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में कानून का राज नहीं बल्कि 'शासक का राज' है. आयोग ने हिंसा के लिए राज्य सरकार पर ठीकरा फोड़ते हुए बलात्कार व हत्या के मामलों की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से जांच की सिफारिश की.

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सूत्रों के अनुसार उच्च न्यायालय के समक्ष 13 जुलाई को पेश रिपोर्ट में तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को 'कुख्यात अपराधी' बताया गया है जिनमें वन मंत्री, कैनिंग पूर्व से विधायक शौकत मुल्ला, नैहाटी के विधायक पार्थ भौमिक, दिनहाटा के पूर्व विधायक उदयन गुहा और नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनाव एजेंट शेख सूफियान शामिल हैं.

पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस पर करारा हमला बोला और कहा कि चुनाव बाद हिंसा की 1979 शिाकयतें एनएचआरसी को मिली हैं.

उन्होंने दावा किया कि हिंसा की इन घटनाओं में 15,000 लोगों को प्रताड़ित किया गया और इनमें 8000 से अधिक लोग शामिल थे, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.

भाटिया ने कहा, दो मई के बाद पश्चिम बंगाल में जिस तरह से हिंसा हुई है और निर्दोष नागरिकों को मारा गया, उनकी हत्या की गई तथा महिलाओं के साथ दुराचार किया गया. इससे लगता है जैसे पश्चिम बंगाल में आज संविधान का नहीं बल्कि व्यक्ति विशेष का राज है.

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उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की पुलिस ने भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं किया, जबकि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता कोहराम मचाते रहे.

बनर्जी ने एनएचआरसी पर उसकी रिर्पोट मीडिया में लीक करने का आरोप लगाया है और कहा है कि उसकी टीम ने ना तो राज्य सरकार से कोई विमर्श किया और ना ही उनकी राय ली.

(भाषा)

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