नई दिल्ली: संसद की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग पर अड़े सांसदों को सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के आरोप में सोमवार को भी सस्पेंड किया गया. सोमवार को कुल 33 विपक्षी सांसदों को लोकसभा से निलंबित किया गया है, जबकि राज्यसभा से सस्पेंड किए गए सांसदों की संख्या 45 है. निलंबन के मामले में अब तक सस्पेंड किए गए सांसदों की कुल संख्या 92 हो चुकी है, जो अपने आप में अब तक की रिकॉर्ड संख्या है.
इससे पहले साल 1989 में एक दिन में 63 सांसदों को सस्पेंड किया गया था. इस मुद्दे पर बीजेपी सांसद नरेश बंसल ने आरोप लगाया कि शुरू से ही विपक्ष संसद को चलने नहीं देना चाहता था और हंगामा कर रहा था. उन्होंने कहा कि विपक्ष ने बार बार चेयर की अवमानना की, जबकि पहले से तय हो गया था कि कोई सांसद वेल में नहीं जायेगा, प्लेकार्ड नहीं दिखाया जायेगा, मगर विपक्ष ने अलोकतांत्रिक रवैया अपनाया.
इस सवाल पर कि विपक्ष गृह मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहा है, उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ने साफ कहा कि हाई लेवल जांच हो रही है. पीएम ने भी कहा है जांच होनी चाहिए. ये दुर्भाग्यपूर्ण आरोप है. उन्होंने कहा कि विपक्ष चर्चा की संसद में आकर मगर वो चर्चा नहीं करना चाहता है. इस सवाल पर कि नई संसद को सुरक्षा की दृष्टि से विपक्ष कमजोर बता रहा है, भाजपा सांसद का कहना है कि इसमें नई पुरानी संसद की बात नहीं, बल्कि ये सुरक्षाकर्मियों की मानवीय चूक है.
टीएमसी की इस मांग पर कि बीजेपी सांसद जिसके नाम पर पास दिया गया था, उन पर करवाई क्यों नहीं हो रही है, भाजपा सांसद का कहना है कि टीएमसी को जांच की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए इसके बाद ही कोई कारवाई होगी. बिना विपक्ष के बिल पारित करवाना क्या अलोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा नहीं है, इस सवाल पर बीजेपी सांसद नरेश बंसल का कहना है कि जहां तक बिल पास करवाने की बात है, सरकार बार-बार आग्रह कर रही थी कि वो चर्चा में भाग ले, मगर विपक्ष चर्चा से भाग रहा है.